Patliputra Lok Sabha Chunav Result 2024: नए परिसीमन के बाद पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया था. लोकसभा चुनाव 2009 में पहली बार इस सीट के लिए मतदान हुआ था. तब से इस सीट पर लालू परिवार लगातार रनर अप रहा है. राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव एक बार और उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती दो बार हार का मुंह देख चुके हैं.
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Patliputra Lok Sabha Chunav Result 2024: बिहार राज्य के 40 लोकसभा सीटों में एक पाटलिपुत्र का गठन 2008 में हुए नए परिसीमन के दौरान किया गया था. इससे पहले यह पटना लोकसभा हुआ करता था. आसपास के तीन लोकसभा क्षेत्रों से छह विधानसभा सीटों को मिलाकर पाटलिपुत्र लोक सभा क्षेत्र बनाया गया था. इनमें जहानाबाद से मसौढ़ी, आरा से पालीगंज एवं मनेर तथा पटना लोकसभा से फुलवारी, दानापुर और बिक्रम विधानसभा क्षेत्रों को शामिल कर पाटलिपुत्र नाम दिया गया था. लोकसभा चुनाव 2024 में पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर सातवें चरण में एक जून को मतदान किया जाएगा.
पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण
पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में फुलवारी विधानसभा मुसलिम और कुर्मी बहुल क्षेत्र है. बिक्रम विधानसभा भूमिहार और मसौढ़ी में कुर्मी और यादव की बहुलता है. वहीं, पालीगंज में लोकसभा पर इस प्रकार पड़ता है कि इस क्षेत्र में सबसे ज्याद वोटर यादव और भूमिहार जाति से आते हैं. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में करीब 16.5 लाख वोटर हैं. इनमें करीब पांच लाख यादव, तीन लाख भूमिहार और चार लाख कुर्मी मतदाता हैं.हालांकि, पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर एनडीए और महागठबंधन में यादव बनाम यादव ही सीधी टक्कर होती है.
छह विधानसभा सीटों पर इंडी गठबंधन का कब्जा
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजे के मुताबिक पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों में राजद ने तीन मनेर, दानापुर, मसौढ़ी और कांग्रेस ने एक सीट बिक्रम में जीत दर्ज की थी. वहीं, पालीगंज में भाकपा माले और फुलवारी में भाकपा का कब्जा है. इसका मतलब पाटलिपुत्र की सभी विधानसभा सीटों पर विपक्षी दलों के इंडी गठबंधन का कब्जा है. लोकसभा चुनाव 2024 में पाटलिपुत्र सीट एनडीए में भाजपा के खाते में आई है. वहीं, इंडी गठबंधन में यह सीट राजद को मिलने की उम्मीद है.
पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में एनडीए का कब्जा
नए परिसीमन के बाद से पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में एनडीए का कब्जा रहा है. लोकसभा चुनाव 2009 में जदयू के रंजन प्रसाद यादव ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को मात दी थी. उसके बाद लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में भाजपा उम्मीदवार रामकृपाल यादव ने लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती को हराया था. पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर लालू परिवार हमेशा ताकतवर रहा है, लेकिन उसे अपने लोगों से ही हारना पड़ा है. रंजन प्रसाद यादव और रामकृपाल यादव दोनों ही पहले लालू प्रसाद यादव के ही राजनीतिक साथी रहे थे.
पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र का सियासी इतिहास
बिहार की राजधानी पटना साल 2008 के परिसीमन से पहले एक ही लोकसभा सीट हुआ करती थी. पटना और नालंदा जिले के कुछ हिस्से को मिलाकर बाढ़ लोकसभा क्षेत्र भी बनाया गया था. नए परिसीमन के बाद पटना दो सीटों में बंट गई. पटना लोकसभा सीट का ज्यादातर हिस्सा पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में शामिल हो गया. परिसीमन के मुताबिक पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में ज्यादातर शहरी विधानसभा सीटें है. वहीं, पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में ज्यादातर ग्रामीण इलाके हैं. पटना शहर के प्राचीन नाम के आधार पर ही पाटलिपुत्र सीट का नामकरण किया गया था.
पाटलिपुत्र से पहले पटना लोकसभा क्षेत्र का चुनावी गणित
चुनावी इतिहास की बात करें तो पाटलिपुत्र से पहले पटना लोकसभा क्षेत्र में पहले आम चुनाव 1952 से तीसरे आम चुनाव 1962 तक कांग्रेस का दबदबा रहा. लोकसभा चुनाव 1967 में सीपीआई के रामअवतार शास्त्री ने सीपीआई का लाल झंडा फहराया. उसके बाद से आज तक इस सीट पर लगातार दो बार से ज्यादा किसी का कब्जा नहीं रहा.
पटना सीट से रामअवतार शास्त्री, डॉ. सीपी ठाकुर तीन-तीन बार तो रामकृपाल यादव चार बार सांसद रह चुके हैं. बीच में 1989 में भाजपा के शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव ने इंट्री मारी थी. शास्त्री यहां से 1967, 1971 और 1980 में सांसद चुने गए. सीपी ठाकुर 1984 में कांग्रेस, 1998 और 1999 में भाजपा के टिकट पर जीते. रामकृपाल यादव 1991 और 1996 में जनता दल, 2004 में राष्ट्रीय जनता दल, फिर 2014 और 2019 में भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए.