Robert Vadra Amethi: मुरादाबाद से 10 जनपथ और अब अमेठी... जो राहुल गांधी ना कर सके क्या रॉबर्ट वाड्रा कर पाएंगे?
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Robert Vadra Amethi: मुरादाबाद से 10 जनपथ और अब अमेठी... जो राहुल गांधी ना कर सके क्या रॉबर्ट वाड्रा कर पाएंगे?

Robert Vadra Election News: रॉबर्ट वाड्रा अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. कांग्रेस ने अब तक इस सीट से उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, इससे पहले रॉबर्ट ने अपनी मंशा जाहिर की है. हालांकि वह पहले भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा जाहिर कर चुके हैं. सवाल यह है कि विवादों में रहे वाड्रा क्या स्मृति ईरानी को चुनौती दे पाएंगे?

Robert Vadra Amethi: मुरादाबाद से 10 जनपथ और अब अमेठी... जो राहुल गांधी ना कर सके क्या रॉबर्ट वाड्रा कर पाएंगे?

Robert Vadra Profile: रॉबर्ट वाड्रा का नाम हाल के वर्षों में जब भी सुर्खियों में आया, उसकी वजह निगेटिव थी. जमीन विवाद, केस, एजेंसियों की जांच या भाजपा की तरफ से लगाए गए दूसरे आरोप. गांधी परिवार से ताल्लुक रखने वाले रॉबर्ट ने जब से अमेठी लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी महत्वाकांक्षा जाहिर की है, सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी है. जब राहुल गांधी कांग्रेस के गढ़ में हार गए तो क्या विवादों में रहने वाला वाड्रा करिश्मा दिखा पाएंगे? वहां से भाजपा की फायरब्रांड नेता स्मृति ईरानी चुनाव मैदान में हैं. वह राहुल गांधी के राजनीतिक कद को डैमेज करने के लिए वायनाड तक पहुंच गईं, जहां से राहुल गांधी दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि अगर वाड्रा अमेठी से उतरते हैं तब स्मृति ही नहीं, पूरी भाजपा के लिए गांधी परिवार पर हमले का बड़ा मौका मिल जाएगा. क्या कांग्रेस तैयार है?

वैसे एक बार खुले मंच से जब सवाल पूछा गया था तो राहुल ने कहा था कि केंद्र सरकार रॉबर्ट वाड्रा की जांच करे लेकिन यह सिलेक्टिव न हों. यह भी जान लीजिए कि पहली बार नहीं है जब रॉबर्ट ने अपनी राजनीतिक हसरतों के बारे में खुलकर कहा हो. 2012 में जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तब भी उन्होंने कहा था कि अगर लोग चाहते हैं तो मैं राजनीति में उतर सकता हूं. 

10 साल में स्मृति ने जोड़ा अमेठी से कनेक्शन

जिस दिन राहुल गांधी वायनाड से नामांकन कर रहे थे, स्मृति ईरानी ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेसियों को हार से डरकर भागने की आदत हो गई है. पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी लोकसभा चुनाव में स्मृति को 49.71 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि राहल को 43.86 प्रतिशत वोटों से संतोष करना पड़ा था. यह कांग्रेस का गढ़ भले ही रहा हो लेकिन पिछले 10 साल में सीन काफी बदल गया है. 2014 में राहुल से हारने के बाद भी स्मृति ने अमेठी से कनेक्शन नहीं तोड़ा. अब 10 साल में उन्होंने अपना बेस वहां मजबूत कर लिया है. कुछ महीने तो गृह प्रवेश भी कर लिया. ऐसे में राहुल-प्रियंका की जगह दिल्ली से जाकर रॉबर्ट वाड्रा के लिए चुनौती दे पाना आसान नहीं होगा. 

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रॉबर्ट के सवाल पर यूपी चीफ बोले

यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा है कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है. हमारी कोशिश है कि लोगों की भावना के अनुरूप राहुल गांधी चुनाव लड़ें. खैर, राजनीति में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती. वैसे भी रॉबर्ट वाड्रा का मुरादाबाद-टु-10 जनपथ का सफर दिलचस्प रहा है. उनके कामकाज के बारे में लोग कम ही जानते हैं.

रॉबर्ट ने अमेठी में किया है काम?

'मौजूदा सांसद (स्मृति ईरानी) की रुचि अमेठी में विकास कार्य को लेकर नहीं बल्कि कांग्रेस पर आरोप प्रत्यारोप में ज्यादा है. अमेठी की जनता चाहती है कि गांधी परिवार का व्यक्ति ही उनका प्रतिनिधि बने. अगर मैं राजनीति में कदम रखता हूं, चुनाव लड़ने का मौका मिलता है तो अमेठी से ही... मैंने 1999 से वहां प्रचार शुरू किया था. बहुत काम किया वहां पर. मैं जनता के बीच रहता हूं. मैं विकलांग और अंधे बच्चों के लिए काम करता हूं. मेरा धार्मिक दौरा भी रहता है. धर्म और संस्कृति की समझ रखता हूं. मैं जानता हूं कि देश में सेक्युलर रहना कितना जरूरी है. मुश्किल के वक्त लोग सांसद, नेता को नहीं बल्कि भगवान को याद करते हैं. मैं अपनी मेहनत से सांसद बनना चाहता हूं. मैंने कांग्रेस से बहुत कुछ सीखा है' 

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यह कहते हुए रॉबर्ट ने अपने लिए खुद पैरवी की है. विवादों से इतर उन्होंने अपने जीवन के दूसरे पहलू को सामने रखा. धर्म और सेक्युलरिज्म पर भी बोले. अब देखना यह है कि क्या 1-2 दिन में कांग्रेस कोई बड़ा फैसला ले सकती है. भाजपा की तरफ से लगातार होते हमलों पर जवाब देते हुए रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि मैं आलोचना झेलकर मजबूत हुआ हूं. बाकी पार्टियों से मेरी ज़्यादती दुश्मनी नहीं है. हां मैं गांधी परिवार का हिस्सा हूं इसलिए बड़ी आसानी से सॉफ्ट टारगेट बन जाता हूं मगर वक्त के साथ मैं समझदार हुआ हूं. यह कहते हुए उन्होंने आरोपों से खुद को किनारे कर लिया. उनका संदेश साफ है कि गांधी परिवार से जुड़ा होने के कारण ही उन्हें निशाना बनाया जाता है. 

मुरादाबाद से शुरू हुआ रॉबर्ट का सफर

रॉबर्ट वाड्रा का जन्म 1969 में यूपी के मुरादाबाद में हुआ था. 1997 में नेहरू-गांधी परिवार में शादी होने के बाद वह लाइमलाइट में आए. बताते हैं कि पीतल के बर्तन और कृत्रिम आभूषण के पारिवारिक बिजनस के लिए उन्हें कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी थी. एक कॉमन फ्रेंड के घर पर प्रियंका और रॉबर्ट मिले थे. दोनों दिल्ली के एक स्कूल में साथ पढ़ते थे. 

फिटनेस पर फोकस, बाइक का शौक

- रॉबर्ट वाड्रा की आज के समय में सबसे बड़ी पहचान यही है कि वह कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद हैं. प्रियंका गांधी के पति वाड्रा ने 1997 में एक हैंडीक्राफ्ट बिजनस शुरू हुआ किया था. इसके बाद रियल एस्टेट, हॉस्पिटैलिटी और चार्टर एयरक्राफ्ट जैसे कई क्षेत्रों में उतरे. कई जमीन विवाद उनके साथ जुड़े. 

- साइकिलिंग और फिटनेस पर काफी ध्यान देने वाले रॉबर्ट वाड्रा को मोटरसाइकिल का काफी शौक है. उनके पास Suzuki Boulevard 1800cc V-Twin भी रही है.

- 2011 में अरविंद केजरीवाल ने वाड्रा पर जमीन से जुड़े कई गंभीर आरोप लगाए थे. वाड्रा पर कई केस अब भी चल रहे हैं. 

रॉबर्ट वाड्रा का धर्म क्या है?

- अगर आप सोशल मीडिया पर Robert Vadra सर्च करेंगे तो पाएंगे कि बहुत से लोग उनके धर्म के बारे में जानना चाहते हैं. रॉबर्ट के पिता का नाम राजिंदर वाड्रा है. 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक रॉबर्ट ने खुद बताया था कि उनके पिता पंजाबी और मां ईसाई हैं. उन्होंने कहा था कि वह एक हिंदू हैं. 

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