क्या तुरही से दमदार आवाज निकाल पाएंगे शरद पवार? चुनाव में 'घड़ी' नहीं देगी साथ
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क्या तुरही से दमदार आवाज निकाल पाएंगे शरद पवार? चुनाव में 'घड़ी' नहीं देगी साथ

Turahi Symbol: अभी तक महाराष्ट्र में शरद पवार के समर्थकों के बीच चुनाव निशान को लेकर असमंजस नहीं था और बड़े-बड़े होर्डिंग्स और पोस्टर्स में शरद पवार के पीछे या अगल-बगल घड़ी का निशान दिखता आया था. लेकिन अब पिक्चर बदल गई, इसमें कुछ चुनौती है.

क्या तुरही से दमदार आवाज निकाल पाएंगे शरद पवार? चुनाव में 'घड़ी' नहीं देगी साथ

Sharad Pawar NCP News: सुप्रीम कोर्ट ने शरद पवार गुट को इजाजत दे दी है कि वो लोकसभा-विधानसभा चुनावों में 'तुरही बजाते हुए शख्स' वाले चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल कर सकता है. कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वो इस चुनाव चिन्ह को शरद पवार गुट के लिए आरक्षित रखें. इस चिन्ह को किसी दूसरे उम्मीदवार या पार्टी को अलॉट न किया जाए. यह फैसला तब आया है जब शरद पवार गुट की याचिका पर सुनवाई हुई है. इसमें अजित पवार गुट को चुनाव आयोग द्वारा आवंटित 'घड़ी' चुनाव चिह्न का उपयोग करने से इस आधार पर रोकने की मांग की गई थी कि यह समान अवसर को रोक रहा है.

अब सवाल यह है कि नया चुनाव निशान शरद पवार गुट के लिए कितना कारगर होगा. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट से कहा वो हिंदी, अंग्रेजी, मराठी में पब्लिक नोटिस जारी कर ये साफ करें कि उसके द्वारा अभी इस्तेमाल किया जा रहा घड़ी का चुनाव चिन्ह का मामला अदालत में विचाराधीन है. हालांकि वो इसका इस्तेमाल आगे कर पाएगा या नहीं, ये कोर्ट के फैसले से तय होगा.

यह एक अलग चुनौती है..
असल में एनसीपी में जब दो फाड़ हुआ तो अजित पवार गुट अलग होगा एनडीए में शामिल हुआ. पहले पार्टी को लेकर कोर्ट में जंग हुई और फिर पार्टी निशान को लेकर जंग हुई. इसके बाद शरद पवार की नई पार्टी एनसीपी शरद चंद्र पवार को नया चुनाव निशान मिला. यह निशान तुरही है. अब उनकी पार्टी इस नए निशान के साथ चुनाव में उतरेगी. उनके लिए यह चुनौती भी होगी क्योंकि अभी तक महाराष्ट्र में शरद पवार के समर्थकों के बीच चुनाव निशान को लेकर असमंजस नहीं था और बड़े-बड़े होर्डिंग्स और पोस्टर्स में शरद पवार के पीछे या अगल-बगल घड़ी का निशान दिखता आया था.

जब आमने-सामने होगी तुरही और घड़ी...
देखना होगा कि मराठा क्षत्रप शरद पवार अब 'तुरही' से कितनी दमदार आवाज निकाल पाएंगे. यह चुनौती भले ही छोटी है लेकिन जब आमने-सामने तुरही और घडी के प्रत्याशी होंगे तो पवार परिवार के समर्थकों के बीच द्वन्द जरूर होगा कि बटन कौन सी दबाना है. वैसे तो शरद पवार राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं लेकिन पिछले कुछ समय से उनकी पार्टी को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं, पहले पार्टी टूट गई और अब निशान भी चला गया. ऐसे में देखना होगा कि महाराष्ट्र के वोटर पवार परिवार के कौन से गुट का साथ देंगे. 

जब निशान मिला था तो खुश हुई थी पार्टी.. 
पिछले दिनों जब शरद पवार की पार्टी को यह निशान मिला था तो इसका बकायदा पार्टी ने ऐलान किया था. बताया गया था कि पार्टी के लिए एक नया प्रतीक चिन्ह तुतारी है, जो महाराष्ट्र के आदर्शों और छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता का प्रतीक है. महाराष्ट्र के आदर्श, फुले, शाहू, अम्बेडकर, छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रगतिशील विचारों के साथ, 'तुतारी' आदरणीय श्रीमान यह शरद चंद्र पवार साहब के साथ दिल्ली के सिंहासन को हिलाने के लिए एक बार फिर से बिगुल बजाने के लिए तैयार है. 

तुरही का ऐतिहासिक महत्त्व भी..
असल में तुतारी यानि कि तुरही का ऐतिहासिक महत्त्व भी है. तुतारी शब्द का सबसे आम अर्थ तुरही है. यह एक पीतल का वाद्य यंत्र है जो शंख की तरह आकार का होता है और इसमें से तेज आवाज निकलती है. इसका उपयोग युद्ध, त्योहारों, और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर किया जाता है.

छत्रपति शिवाजी से भी है कनेक्शन..
कई कहानियों में इस बात का जिक्र है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के दौर में इसका उपयोग युद्ध में रणनीति बनाने, सैनिकों को प्रेरित करने और विजय का जश्न मनाने के लिए किया जाता था. तुरही का उपयोग युद्ध में रणनीति बनाने के लिए भी किया जाता था. जब शत्रु सेना नजदीक आती थी, तो इसे  बजाकर सैनिकों को सचेत किया जाता था. 

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