Ujjain Loksabha Seat Elections News: उज्जैन लोकसभा सीट पर कांग्रेस शुरुआत में मजबूत थी फिर कमजोर होती गई. यहां से 8 बार बीजेपी, 4 बार कांग्रेस, 2 बार जनसंघ और 1-1 बार जनता पार्टी और भारतीय लोक दल ने जीत दर्ज की है.
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Ujjain Loksabha Chunav 2024: मध्य प्रदेश की उज्जैन लोकसभा सीट 1951 में अस्तित्व में आई. क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित यह शहर अत्यंत प्राचीन और समृद्ध इतिहास वाला है. यह धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है.
विभूतियों की नगरी: उज्जैन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. यह शहर हर 12 वर्ष में सिंहस्थ कुंभ मेले का आयोजन स्थल भी है. उज्जैन को "कालिदास की नगरी" के रूप में भी जाना जाता है, जो प्रसिद्ध संस्कृत कवि कालिदास का निवास स्थान था.
विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी...
उज्जैन का इतिहास अत्यंत रोमांचक और विविधतापूर्ण रहा है. यह शहर अवन्तिका, उज्जयनी और कनक श्रन्गा जैसे नामों से भी जाना जाता था. पुराणों और महाभारत में इसका उल्लेख मिलता है. भगवान कृष्ण और बलराम ने यहां गुरु सांदीपनी के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की थी. यह विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी भी था.
उज्जैन पर कई शासकों ने शासन किया है, जिनमें प्रद्योत वंश, मगध साम्राज्य, हर्षवर्धन, परमार, चौहान, तोमर राजपूत, खिलजी सुल्तान, मराठा, मुगल और अंग्रेज शामिल हैं. प्रत्येक शासक ने शहर में अपनी छाप छोड़ी है, जो विभिन्न स्मारकों और भवनों में दिखाई देती है.
प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक सीटों में से
आज उज्जैन एक महत्वपूर्ण आधुनिक शहर भी है. यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और शिक्षा, व्यापार और उद्योग का केंद्र भी है. उज्जैन लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक सीटों में से एक है.
उज्जैन लोकसभा सीट: चुनावी उतार-चढ़ाव का रोमांचक इतिहास
उज्जैन लोकसभा सीट, मध्य प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक सीटों में से एक है. इसका चुनावी इतिहास रोमांचक घटनाओं और उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है. आजादी के बाद 1957 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के व्यास राधेलाल ने जीत दर्ज की. उन्होंने 1962 में भी अपनी जीत दोहराई. 1967 में, कांग्रेस को भारतीय जनसंघ के हुकुमचंद से हार का सामना करना पड़ा. 1971 में, बीजेपी ने फिर से जीत हासिल की, इस बार फूलचंद वर्मा के नेतृत्व में.
सत्यनारायण जटिया ने रिकॉर्ड 7 बार चुनाव जीता
1977 में, आपातकाल के बाद, हुकुमचंद कछवे भारतीय लोकदल के टिकट पर सांसद बने. 1980 में, जनता पार्टी के सत्यनारायण जटिया ने चुनाव जीता. 1984 में, कांग्रेस ने सत्यनारायण पवार के साथ वापसी की. 1989 में, बीजेपी ने सत्यनारायण जटिया के साथ अपनी पहली जीत दर्ज की.
जटिया ने 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लगातार 6 बार जीत हासिल की. 2009 में, कांग्रेस ने प्रेमचंद गुड्डू के साथ वापसी की. 2014 में, बीजेपी ने चिंतामणि मालवीय को मैदान में उतारा और उन्होंने प्रेमचंद गुड्डू को हराकर जीत हासिल की. 2019 में, अनिल फिरोजिया निर्वाचित हुए. उज्जैन लोकसभा सीट पर विभिन्न राजनीतिक दलों का वर्चस्व रहा है. कांग्रेस और बीजेपी यहां के प्रमुख दल हैं. 2014 से, बीजेपी इस सीट पर काबिज है.
धर्मधानी उज्जैन में अटल बिहारी वाजपेयी का ऐतिहासिक भाषण
1977 में, जब अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री थे, तो वे उज्जैन आए थे. क्षीरसागर में आयोजित एक सभा में उन्होंने एक ऐतिहासिक भाषण दिया था. धर्मधानी उज्जैन के प्रभाव को दर्शाते हुए उन्होंने अपनी बातें रखीं.
उन्होंने कहा, "हम वर्षों से विपक्ष की राजनीति करते रहे हैं. अभी-अभी सत्ता में आए हैं. सत्ता में आने के बाद कुछ अजीब-सा माहौल नजर आ रहा है." उन्होंने आगे कहा, "ये झुकी-झुकी नजरें, ये लंबे-लंबे सलाम, ये गाड़ियों का काफिला, कहीं हमारा दिमाग खराब न कर दे. सत्ता तो काजल की कोठरी है. मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि जब हम सत्ता से बाहर आएं तो इस सफेद कुर्ते पर कोई काला दाग नहीं आना चाहिए."
जातीय समीकरण
कुल मतदाताओं में से सामान्य वर्ग के मतदाता 24.6, पिछड़ा वर्ग- 18.6, एसटी एससी- 46.3, अल्पसंख्यक- 3.9 वहीं अन्य -6.6 मतदाता हैं. कुल 4 लाख 98 हजार 473 मतदाता हैं. करीब 47 फीसदी आबादी एससी एसटी आबादी की है.
2024 का समीकरण क्या है?
अब चूंकि उज्जैन लोकसभा सीट में ही शामिल उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के विधायक मोहन यादव अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए इस सीट का लोकसभा चुनाव जीतना इस बार और प्रतिष्ठा की बात है. वहीं कांग्रेस के लिए यह बड़ी चुनौती साबित होने वाला है.
Candidates in 2024 | Party | Votes | Result |
BJP | |||
Congress | |||