Silence Period: न शराब, न सर्वे, न सभा... इन 24 घंटों में ही मन बनाएगा वोटर! जानें मतदान से पहले क्या-क्या बैन है
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Silence Period: न शराब, न सर्वे, न सभा... इन 24 घंटों में ही मन बनाएगा वोटर! जानें मतदान से पहले क्या-क्या बैन है

Lok Sabha Chunav: 102 लोकसभा सीटों पर साइलेंस पीरियड शुरू हो चुका है. यह अलग तरह की खामोशी होती है. उम्मीदवारों की धड़कनें बढ़ी रहती हैं और मतदाता आराम से कुर्सी या चारपाई पर बैठकर विचार करता है कि इस बार उसे किसे वोट देना चाहिए. निर्वाचन आयोग यह विचार करने के लिए ही 48 घंटे की शांति कायम कराता है. 

Silence Period: न शराब, न सर्वे, न सभा... इन 24 घंटों में ही मन बनाएगा वोटर! जानें मतदान से पहले क्या-क्या बैन है

Pre-election Period: कल यानी 19 अप्रैल को पहले चरण के लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होगा. नियम के तहत 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार का शोर थम गया है. इस 48 घंटे को 'साइलेंस पीरयड' कहा जाता है. माना जाता है कि शांति होने पर वोटर इसी दौरान अपना मन बनाता है. देश के 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 102 लोकसभा सीटों पर अब अगले 24 घंटे एक अलग तरह की खामोशी छाई रहेगी. यह टाइम मतदाता को किसी चीज से प्रभावित हुए बगैर अपनी पसंद के कैंडिडेट पर विचार करने का मौका देता है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126, 126ए और 135सी के तहत साइलेंस पीरियड के दौरान चुनाव संबंधी सभी गतिविधियों को बंद करने का आदेश दिया गया है. निर्वाचन आयोग इन प्रावधानों को लागू करने के लिए अधिसूचनाएं जारी करता है. 

मीडिया प्रमाणन और पर्यवेक्षण समिति के जरिए चुनाव आयोग नियमों के अनुपालन की निगरानी भी करता है. देश के नागरिक सी-विजिल (cVIGIL) मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से उल्लंघनों की रिपोर्ट कर सकते हैं. इस दौरान निम्नलिखित गतिविधियों पर प्रतिबंध रहता है. 

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1. शराब की बिक्री- मतदान वाले क्षेत्रों में शराब की बिक्री या वितरण पर सख्त पाबंदी है. अगर कोई इस तरह की गतिविधियों में शामिल पाया जाता है तो छह महीने तक जेल और/या 2,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. 

2. सार्वजनिक सभा- मतदाताओं को लुभाने के लिए सार्वजनिक रैलियों, जुलूसों या मनोरंजन कार्यक्रमों के लिए लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध है. इसका उल्लंघन करने वालों को दो साल तक का कारावास और/या जुर्माना देना पड़ सकता है. 

3. मीडिया- उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को प्रेस कॉन्फ्रेंस या साक्षात्कार के माध्यम से मीडिया को संबोधित करने से रोक दिया जाता है. इस तरह से यह चुनाव से संबंधित चर्चा पर रोक सुनिश्चित करता है. ऐसा न करने पर दो साल तक की जेल और/या जुर्माना हो सकता है. 

4. विज्ञापन- विज्ञापन समाचार सामग्री से बिल्कुल अलग होना चाहिए. गूगल जैसी सोशल मीडिया कंपनियों को अनुचित प्रभाव रोकने के लिए राजनीतिक विज्ञापनों को सत्यापित करने की आवश्यकता है.

5. प्रेस जिम्मेदारियां- मीडिया समूहों को किसी तरह की शत्रुतापूर्ण या पक्षपातपूर्ण नरैटिव को बढ़ावा देने से बचने को कहा जाता है. मीडिया प्रमाणन और पर्यवेक्षण समिति पेड न्यूज का प्रसार रोकने के लिए जांच करती है. 

6. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म- सोशल मीडिया से जुड़ी कंपनियों, लोगों को अपने से आचार संहिता का पालन करने की उम्मीद की जाती है. साथ ही अनुचित प्रथाओं पर अंकुश लगाएं. चुनावी जागरूकता को बढ़ावा देने को भी कहा जाता है.

7. लाउडस्पीकर- इस साइलेंस पीरियड में लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध रहता है. निर्वाचन आयोग के अनुसार, 48 घंटे समाप्त होने के बाद फिर से इस्तेमाल करने के लिए जिला प्रशासन से उचित अनुमति लेनी होगी. 

8. सर्वे- ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल जारी करने पर बैन रहता है. निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया जाता है जिससे वोटर प्रभावित न हों. 

ये सभी नियम उन लोकसभा क्षेत्रों के लिए हैं जहां 48 घंटे में वोटिंग होनी होती है. पहले चरण में आठ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, किरेन रीजिजू, सर्बानंद सोनोवाल, संजीव बालियान, जितेंद्र सिंह, भूपेन्द्र यादव, अर्जुन राम मेघवाल और एल मुरुगन, दो पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब (त्रिपुरा) और नबाम तुकी (अरुणाचल प्रदेश) के साथ-साथ पूर्व राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन मैदान में हैं. 

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