Maharashtra Elections: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटरों का रुख सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है. प्रचार के दौरान मुस्लिम बहुल इलाकों में मुद्दों की बाढ़ थी. महाविकास अघाड़ी से लेकर AIMIM और महायुति गठबंधन तक सभी ने मुस्लिम वोटरों को लुभाने की पूरी कोशिश की.
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Maharashtra Elections: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटरों का रुख सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है. प्रचार के दौरान मुस्लिम बहुल इलाकों में मुद्दों की बाढ़ थी. महाविकास अघाड़ी से लेकर AIMIM और महायुति गठबंधन तक सभी ने मुस्लिम वोटरों को लुभाने की पूरी कोशिश की. अब सवाल यह है कि किसकी कोशिश रंग लाई और किसकी नहीं.
मुस्लिम वोटरों की ताकत
महाराष्ट्र की 288 सीटों में से 60 ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इस बार 420 मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे, जिनमें 218 निर्दलीय थे. ऐसे में सवाल उठता है कि इन सीटों पर मुस्लिम वोटरों ने किसके पक्ष में मतदान किया और कौन उनकी उम्मीदों पर खरा उतरा.
धारावी में चुनावी माहौल
मुंबई के धारावी इलाके में मुस्लिम वोटर 33.4% हैं. यहां का प्रमुख मुद्दा "धारावी बचाओ" रहा. कांग्रेस ने यहां राहुल गांधी के धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट को प्रचार का हिस्सा बनाया. वोटरों ने महंगाई और विकास को मुख्य कारण बताते हुए कहा कि उनके वोट कांग्रेस और बीजेपी के नारों पर निर्भर नहीं, बल्कि लोकल मुद्दों पर हैं.
मलाड में संविधान और भाईचारा
मलाड के मुस्लिम बहुल इलाके में महाविकास अघाड़ी के प्रचार में संविधान और भाईचारे का मुद्दा बड़ा था. हालांकि, यहां कई वोटरों ने कहा कि मुल्ला-मौलवियों के भाषणों का कोई खास असर नहीं हुआ. स्थानीय समस्याओं और महंगाई जैसे मुद्दे यहां अधिक प्रभावी रहे.
AIMIM का असर कितना?
असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश की. धारावी और भायखला जैसे इलाकों में वोटरों ने कहा कि AIMIM का ज्यादा प्रभाव नहीं था. कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी के प्रति उम्मीदें अधिक दिखीं.
मुस्लिम बहुल सीटों पर मतदान का गणित
महाराष्ट्र में कुल मतदान 58% रहा, लेकिन मुस्लिम बहुल सीटों पर यह आंकड़ा 55% के करीब था.
मालेगांव सेंट्रल: 78% मुस्लिम मतदाता, 60% मतदान.
भिवंडी ईस्ट: 51% मुस्लिम मतदाता, 50% मतदान.
औरंगाबाद सेंट्रल: 38.5% मुस्लिम मतदाता, 62% मतदान.
यह आंकड़े दिखाते हैं कि मुस्लिम बहुल इलाकों में मतदान अपेक्षा से कम हुआ.
प्रचार के नारे और वोटिंग का असर
महाराष्ट्र में "वोट जिहाद" और "धर्मयुद्ध" जैसे नारों ने खूब सुर्खियां बटोरीं. वहीं, "धारावी बचाओ" और विकास जैसे स्थानीय मुद्दे भी चर्चा में रहे. वोटरों ने साफ किया कि धर्म आधारित नारों का असर सीमित रहा, जबकि स्थानीय समस्याओं ने उनके निर्णय को ज्यादा प्रभावित किया.
राहुल गांधी का धारावी कार्ड
राहुल गांधी ने धारावी के रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया. इसका असर कई मुस्लिम बहुल इलाकों में दिखा, जहां वोटरों ने कांग्रेस को प्राथमिकता दी. लोगों ने महंगाई और रोजगार जैसे मुद्दों को भी वोटिंग का आधार बताया.
NGO और मौलवियों की सक्रियता
मुस्लिम वोटरों को रिझाने के लिए एनजीओ और मौलवियों ने प्रचार किया. लेकिन ज़मीनी स्तर पर यह कोशिश नाकाम साबित हुई. वोटरों ने इसे "सियासी चाल" करार दिया और संविधान और विकास को प्राथमिकता दी. महाराष्ट्र में मुस्लिम वोटरों का झुकाव चुनाव परिणामों को प्रभावित करेगा. लेकिन कम मतदान दर ने सभी दलों की चिंता बढ़ा दी है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव प्रचार के दौरान किए गए दावे और नारों का क्या असर पड़ा.