Maharashtra Chunav: वोट बैंक की पॉलिटिक्स क्या न करा दे. महाराष्ट्र में 12 परसेंट वोट के लिए शरद पवार-उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी ने एक डील कर ली है. डील इसलिए कह रहे हैं कि महाराष्ट्र उलेमा बोर्ड ने महाविकास अघाड़ी के नेताओं को 17 शर्तों की एक लिस्ट सौंपी है. इस लिस्ट के पांच बड़ी शर्तें बताते हैं.



पांचवीं ही शर्त सबसे अहम है. हो सकता है कि इसी से खुश होकर शरद पवार और कांग्रेस ने उलेमा बोर्ड को कह दिया है कि सत्ता में अगर आए तो उनकी शर्तों पर फैसला लेंगे.


वोटबैंक हासिल करने की शर्तें


उलेमा की चिट्ठी महाराष्ट्र में वोटबैंक हासिल करने वालों के लिए शर्तों की लिस्ट है. इस लिस्ट में लिखी शर्तों पर जिसने भी अमल किया, उसके खाते में खटाखट 12 फीसदी वोट आ सकते हैं. चुनावी राजनीति में अब तक राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन होता था. लेकिन ये पहली बार है जब वोटबैंक के लिए ही गठबंधन हो रहा है.


ये अघोषित गठबंधन है...ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड और महाविकास अघाड़ी के बीच. हम इसे अघोषित गठबंधन क्यों कह रहे हैं...उसकी वजह भी समझ लीजिए.


दरअसल ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने महाविकास अघाड़ी के दलों को शर्तों वाली चिट्ठी सौंपी है. इस चिट्ठी में मुसलमानों के लिए अलग-अलग कुल 17 डिमांड की गई हैं. इनमें मेन डिमांड है-:


  • पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ बोलने वालों पर कानूनी प्रतिबंध का कानून बनाने की मांग. 2012 से 2024 तक मुस्लिमों पर दर्ज केस वापस लेने की मांग

  • महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के लिए 1000 करोड़ के फंड की मांग 

  • मौलाना सलमान अजहरी की रिहाई के लिए PM पर दबाव बनाएं

  • रामगिरी महाराज और नीतेश राणे को जेल में डालने की मांग


पवार गुट-कांग्रेस ने भरी हामी, 


इसके अलावा भी कई मांग हैं,जिनका सरोकार सिर्फ और सिर्फ मुस्लिमों से हैं. ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड की सशर्त समर्थन की चिट्ठी मिलते ही शरद पवार की पार्टी और कांग्रेस ने अपनी रजामंदी भी जाहिर कर दी. एनसीपी शरद पवार गुट और कांग्रेस ने उलेमा बोर्ड को धन्यवाद दिया है और उनकी मांगों को पूरा करने पर सहमति जता दी है.


धर्मसंकट में फंसे उद्धव


NCP शरद पवार गुट और कांग्रेस ने जवाबी चिट्ठी में लिखा है कि अगर वो सत्ता में आए तो उन शर्तों को पूरा करने के लिए कदम उठाएंगे. कांग्रेस और शरद पवार की तरफ से रजामंदी ने उद्धव को धर्मसंकट में डाल दिया है. अभी तक उद्धव समझ ही नहीं पा रहे हैं कि उलेमा बोर्ड की चिट्ठी का जवाब कैसे दे और क्या दें. महाविकास अघाड़ी ने उलेमा बोर्ड से गठबंधन क्या किया..महाराष्ट्र के भाईजान की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.


हिंदुओं में बढ़ गई नाराजगी


मुस्लिम संतुष्ट हैं, लेकिन इससे हिंदुओं में नाराजगी बढ़ गई है. उलेमा बोर्ड की शर्तों पर महाविकास अघाड़ी के 2 दलों का समर्थन हिंदुओं को वोटबैंक पॉलिटिक्स की याद दिला रहा है.


ऐसा लगता है कांग्रेस और NCP शरद पवार गुट की ओर से चिट्ठी मिलना बस एक कोरम था. शायद वोटबैंक के बदले प्रचार की तैयारी पहले से ही थी. अब तो मुस्लिम संगठनों की ओर से महाविकास अघाड़ी के लिए प्रचार की शुरुआत भी कर दी है. 


मराठी मुस्लिम सेवा संघ ने पर्चे बांट कर BJP के खिलाफ माहौल बनाने की शुरुआत की है. दावा है कि 400 NGO इस कैंपेन में उनके साथ है. यानी मुस्लिम वोट को पोलराइज करने की कोशिश शुरू हो चुकी है.


धार्मिक आधार पर नहीं होने देंगे आरक्षण


  • उलेमा बोर्ड ने मुस्लिमों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की मांग की थी. लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने साफ-साफ ऐलान कर दिया है कि धार्मिक आधार पर आरक्षण कतई नहीं होने देंगे.

  • महाराष्ट्र में एमवीए के साथ ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड की डील को बीजेपी वोट जिहाद का नाम दे रही है.उलेमा बोर्ड की शर्तों में आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग है. उस पर भी बीजेपी ने महाविकास अघाड़ी को चुनौती दे दी है.

  • ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड की विवादित शर्तों के साथ महाविकास अघाड़ी की रजामंदी पर बीजेपी हमलावर हुई तो कांग्रेस ने भी जवाब देने में देर नहीं लगाई.

  • बीजेपी की लाइन है कि एक रहेंगे..तो सेफ रहेंगे. लेकिन इस लाइन को मुस्लिम अपने लिए इस्तेमाल करते दिख रहे हैं क्योंकि उलेमा बोर्ड की चिट्ठी का मजमून यही है कि मुस्लिम एक हैं और वोट उसे ही मिलेगा...जो उनके हक की बात करेगा.