Independence Day 2023: देश की आजादी के दौर में देशभक्ति गीतों (Patriotic Songs) ने जनता को खूब आंदोलित किया. ऐसा ही एक गाना था आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है. सेंसर बोर्ड (Censor Board) ने निर्माता के तर्क को मान कर पास तो कर दिया, लेकिन बाद में यह अंग्रेजों के लिए मुसीबत बन गया...
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15 August Songs: अंग्रेजों के शासनकाल में ऐसे भी मौके आए, जब निर्माता-निर्देशकों ने चालाकी से सेंसर बोर्ड को गुमराह किया. बॉलीवुड (Bollywood) की पहली एंटी-हीरो फिल्म (Anti-Hero Film) किस्मत (1943) में कुछ ऐसा ही हुआ. इस फिल्म में अशोक कुमार (Ashok Kumar) लीड रोल में थे और वह एक क्रिमिनल बने थे. फिल्म जबर्दस्त हिट हुई थी. फिल्म ने कलकत्ता के रॉक्सी सिनेमा में लगातार चार साल चलने का रिकॉर्ड बनाया था. जिसे बाद में शोले (Sholay) ने तोड़ा. किस्मत (Film Kismat) पर उस दौर में अपराधी को ग्लैमरस ढंग से दिखाने के आरोप लगे और कहा गया कि इससे नौजवान पीढ़ी गुमराह होगी. परंतु फिल्म का एक गाना आगे चलकर अंग्रेज सरकार के लिए सिरदर्द बन गया.
जाग उठो हिन्दुस्तानी
यह सुपरहिट फिल्म आने वाले कई वर्षों तक देश में यहां-वहां चलती रही. जिससे स्थानीय स्तर पर भी अंग्रेज प्रशासन परेशान होता रहा. फिल्म का संगीत अनिल बिस्वास (Anil Biswas) ने तैयार किया और फिल्म में एक गाना था आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है/दूर हटो ऐ दुनिया वालो हिंदुस्तान हमारा है. सेंसर बोर्ड ने इस गाने पर आपत्ति उठाई और इसे हटाने के लिए कहा. परंतु फिल्म दूसरे विश्व युद्ध (Second World War) के दौर में बनी तथा रिलीज हुई थी. निर्माता ने तर्क दिया कि यह गाना अंग्रेजों के खिलाफ नहीं बल्कि जर्मनी और जापान जैसी ताकतों के खिलाफ है, जो ब्रिटेन के खिलाफ मैदान में हैं. गाने में एक लाइन आती हैः शुरू हुआ है जंग तुम्हारा/जाग उठो हिन्दुस्तानी/तुम न किसी के आगे झुकना/जर्मन हो या जापानी/आज सभी के लिए हमारा यही कौमी नारा है.
रैलियों में मची धूम
जर्मन हो या जापानी वाली पंक्ति की बदौलत निर्माता सेंसर को यह समझाने में कामयाब रहे कि गाने का निशाना ध्रुवीय शक्तियों की तरफ है. लेकिन फिल्म रिलीज होने के बाद गीत ने अपना असर दिखाया और लोगों ने इसे खूब पसंद किया. अंग्रेजों को अपनी गलती का एहसास तब हुआ, जब धीरे-धीरे यह गाना उनके खिलाफ होने वाली सभाओं में गाया जाने लगा. लोग रैलियों में पूरे जोश से झूम-झूम कर इस गाने को गाते थे. इसके बाद अंग्रेज सरकार ने यह गीत लिखने वाले कवि प्रदीप (Kavi Pradeep) की खोज शुरू की. जैसे ही कवि प्रदीप को यह पता लगा तो वह अंडरग्राउंड हो गए. पकड़े जाने का सीधा मतलब यह था कि उन पर देशद्रोह का आरोप लगाकर मुकदमा चलाया जाता और कड़ी सजा दी जाती.