Dharmendra Films: धर्मेंद्र पंजाब से आए थे और उनकी सादगी ने दर्शकों को शुरू से रिझाया. फिर उस दौर की शुरुआत हुई, जब धर्मेंद्र दर्शकों के बीच गरम धरम ही-मैन बन गए. कुछ तो पर्दे पर उनकी इमेज ने काम किया और कुछ इंडस्ट्री से निकलने वाली उन खबरों ने, जिन पर फैन्स ने आंख मूंद कर भरोसा किया.
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Dharmendra Young: धर्मेंद्र को फिल्म इंडस्ट्री में गरम धरम और ही-मैन के नाम से जाना जाता है. उनका यह नाम यूं ही नहीं पड़ा. उनकी पर्सनैलिटी और इमेज ही कुछ ऐसी थी कि इंडस्ट्री ने उन्हें ही-मैन का नाम दिया. दरअसल 1966 में उनकी एक फिल्म आई थी, फूल और पत्थर. इसी फिल्म के बाद उन्हें फैन्स ने ही-मैन का खिताब दिया. फूल और पत्थर रिलीज होने से पहले धर्मेंद्र कई फिल्में आ चुकी थीं. सभी फिल्मों में उनकी छवि एक सॉफ्ट, हैंडसम युवक की थी. लेकिन फूल और पत्थर ने उनकी इमेज बदल दी. कुछ बातें फिल्म की शूटिंग के दौरान भी हुई तथा फिल्म में कुछ ऐसे सीन थे, जिसके कारण दर्शकों में उनकी एक अलग पहचान बनी.
बजी सीटियां और तालियां
फूल और पत्थर में धर्मेंद्र और मीना कुमारी की मुख्य भूमिकाएं थी. शूटिंग के दौरान नौजवान धर्मेंद्र के रौब से सब घबराने लगे थे. शूटिंग करते हुए धर्मेंद्र को महसूस हुआ कि डायरेक्टर ओ.पी. रल्हन का व्यवहार काफी अहंकारी है. सो, उन्होंने फिल्म छोड़ने का फैसला ले लिया. लेकिन फिर उन्हें एहसास हुआ कि वह प्रोफेशनल गलती कर रहे हैं. उन्होंने फिल्म पूरी की. इसी फिल्म के एक गाने की शूटिंग में धर्मेंद्र ने कोरियोग्राफर हीरालाल को पीट दिया. हीरालाल के हिसाब से धर्मेंद्र सही स्टेप नहीं कर रहे हैं और वह धर्मेंद्र पर चिल्लाने लगे. खैर, जब रिलीज हुई तो फिल्म ने धमाल मचा दिया. यह 1966 की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म बनी. फिल्म ने धर्मेंद्र को रातोंरात स्टार बना दिया. फिल्म के एक दृश्य में वह बीमार मीना कुमारी को ढंकने के लिए अपना शर्ट उतार देते है. लोगों को सीन खूब पसंद आया. धर्मेंद्र की बॉडी देखकर लोगों ने खूब सीटियां और तालियां बजाईं. बाद में सलमान खान ने अपनी फिल्मों में धर्मेंद्र का यही अंदाज अपनाया.
प्यार और कहानी में ट्विस्ट
फूल और पत्थर शाका (धर्मेंद्र), नाम के ऐसे क्रिमिनल की कहानी थी जो परिस्थितिवश अपराधी बना. एक घर में सेंध लगाते हुए उसकी मुलाकात शांति (मीना कुमारी) से होती है. जिसे उसके क्रूर रिश्तेदारों ने मरने के लिए छोड़ दिया है. शाका उसकी खराब तबियत देखकर उसका इलाज कराता है. जब शांति के रिश्तेदार लौटते हैं, तो वे उसे जीवित पाकर खुश नहीं होते. शाका शांति को अपने देवर के हाथों पिटने से बचाता है और उसे लेकर भाग जाता है, उससे शादी करता है. बाद में कहानी एक बार फिर मोड़ लेती है, जब शांति के रिश्तेदारों को पता चलता है कि शांति एक विरासत छोड़ गई है.
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