Indians In Oscars: शेखर कपूर कब बॉलीवुड में अगली फिल्म बनाएंगे, इसका लोगों को बरसों से इंतजार है. सुशांत सिंह राजपूत के साथ वह पानी बनाने वाले थे, मगर प्रोड्यूसरों के साथ बात नहीं बनी. शेखर कपूर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिल्में बनाकर खूब नाम कमाया. ऑस्कर के लिए भी वह बेहद जाने-पहचाने हैं.
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Shekhar Kapoor: ऑस्कर अवार्ड्स की शुरुआत 1929 से हुई थी. जबकि भारत ने पहली बार इसमें 1957 में हिस्सा लिया था. जब महबूब खान की मदर इंडिया भेजी गई थी. तब से 2022 तक कुल 13 भारतीय इसमें नामांकित हुए और आठ को ट्रॉफी मिली. इनमें तीन इंडियन-अमेरिकी भी हैं. संगीतकार-गायक ए.आर. रहमान अकेले भारतीय हैं जिन्होंने दो बार ऑस्कर पुरस्कार जीता. मगर इन सबके बीच शेखर कपूर की उपलब्धियां अलग हैं. वह अकेले ऐसे भारतीय हैं, जिनकी दो फिल्मों को ऑस्कर में नौ नॉमिनेशन मिले और दो कैटेगरी में उनकी फिल्में पुरस्कृत हुईं. हालांकि ये दोनों फिल्में शेखर कपूर ने हॉलीवुड में बनाई थीं मगर यह सफलता आज तक किसी अन्य भारतीय डायरेक्टर को नसीब नहीं हुई.
कहानी एलिजाबेथ की
1994 में फिल्म बैंडिट क्वीन से शेखर कपूर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली थी. इसके बाद उन्हें हॉलीवुड में काम करने का मौका मिला और उन्होंने पीरियड फिल्म एलिजाबेथ (1998) का निर्देशन किया, जो ब्रिटिश क्वीन एलिजाबेथ प्रथम के शासनकाल की एक काल्पनिक दास्तान थी. इसे सात ऑस्कर पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया. जबकि 2007 में इस फिल्म की सीक्लव एलिजाबेथ: द गोल्डन एज को दो ऑस्कर पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया था. एलिजाबेथ को जहां बेस्ट मेकअप में ऑस्कर अवार्ड मिला था, वहीं एलिजाबेथः द गोल्डन एज को बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन के लिए ऑस्कर प्राप्त हुआ.
गोरे हो गए नाराज
इस बीच 2002 में शेखर कपूर द्वारा बनाई फिल्म द फोर फेदर्स ने गोरों को नाराज कर दिया था. इस फिल्म में जिस तरह से ब्रिटिश सेनाओं को दिखाया गया, उसके लिए ब्रिटिश अखबारों ने शेखर कपूर पर ब्रिटिश विरोधी होने के आरोप लगाए थे. शेखर कपूर ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि वह केवल उपनिवेशवाद विरोधी हैं. शेखर कपूर ने विदेश में और भी काम किए और उन्हें खूब सराहा गया. उन्होंने देश-विदेश में गोल्डन ग्लोब पुरस्कार के लिए नामांकन समेत बाफ्टा पुरस्कार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, राष्ट्रीय समीक्षा पुरस्कार बोर्ड और तीन फिल्मफेयर पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं. शेखर कपूर दूरदर्शन टीवी सीरीज खानदान से पहचाने गए थे. बॉलीवुड मे उन्होंने फिल्म मासूम (1983) से कदम रखा और 1987 में मिस्टर इंडिया के साथ उन्हें बड़ी व्यावसायिक सफलता मिली. यह फिल्म आज भी देखी और पसंद की जाती है. समय-समय पर इसके रीमेक की भी चर्चा होती रहती है.
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