ED on Robert Vadra: क्या प्रियंका गांधी भी थीं जमीन घोटाले में शामिल? ईडी की चार्जशीट में सामने आई ये भूमिका
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ED on Robert Vadra: क्या प्रियंका गांधी भी थीं जमीन घोटाले में शामिल? ईडी की चार्जशीट में सामने आई ये भूमिका

ED charge sheet on Robert Vadra: क्या जमीन घोटाले में पति रॉबर्ट वाड्रा के साथ प्रियंका गांधी भी शामिल थीं. ईडी की चार्जशीट में पहली बार प्रियंका का भी नाम सामने आया है. 

 

ED on Robert Vadra: क्या प्रियंका गांधी भी थीं जमीन घोटाले में शामिल? ईडी की चार्जशीट में सामने आई ये भूमिका

ED charge sheet on Robert Vadra Priyanka Gandhi Vadra: ED ने पहली बार अपनी चार्जशीट में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी का नाम लिया है. हालांकि प्रियंका गांधी इस मामले में आरोपी नहीं है लेकिन चार्जशीट में ये बताया गया है कि कैसे प्रियंका गांधी भी अपने पति रॉबर्ट वाड्रा के साथ ज़मीन ख़रीदने-बेचने के कारोबार में शामिल थीं. एजेंसी ने ये चार्जशीट संजय भंडारी की ब्लैक मनी मामले में सीसी थम्पी और सुमित चड्डा के खिलाफ दाखिल की थी, जो संजय भंडारी का आदमी है और ब्रिटिश नागरिक है. जबकि थम्पी NRI है, जिसका बिजनेस ज्यादातर दुबई में है. 

ED ने इस मामले में सी सी थम्पी को 17 जनवरी 2020 को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था. थम्पी 27 जनवरी 2020 तक एजेंसी की हिरासत में पूछताछ के लिये रहा लेकिन दो दिन बाद 29 जनवरी को ही अदालत ने थम्पी को जमानत पर रिहा कर दिया था. 

काले धन पर रॉबर्ट वाड्रा की जांच

एजेंसी ने अपनी जांच में पाया कि थम्पी और सुमित चढ्ढा का लंदन में 12 Bryanston Square के घर में काफी अहम रोल रहा है. दरअसल संजय भंडारी और रॉबर्ट वाड्रा के बीच की कड़ी है सी सी थम्पी और सुमित चढ़ढा. इस पूरे मामले की जांच राबर्ट वाड्रा के विदेश में छिपे काले ध़न को लेकर भी है. आरोप है कि लंडन में 12, Ellerton House, Bryanston Square  को 2009 में आर्मस डीलर संजय भंडारी ने खरीदा था, लेकिन जुन 2010 में ही थम्पी को बेच दिया, लेकिन ED की जांच के मुताबिक असल में ये घर रॉबर्ट वाड्रा का है और बेनामी संपति और जांच से बचने के लिये थम्पी को ये फ्लैट काग़जों में बेचा गया.

एजेंसी ने ये भी बताया कि रॉबर्ट वाड्रा और सीसी थम्पी काफी करीबी है और दोनों के बीच कारोबारी रिश्ते भी है. रॉबर्ट वाड्रा ने संजय भंडारी के नाम लंदन के फ्लैट को ना सिर्फ रेनोवेट करवाया बल्कि इस घर में वो रहा भी है. इसके अलावा रॉबर्ट वाड्रा और थम्पी ने हरियाणा के फरीदाबाद में बड़ी जमीन भी खरीदी थी और दोनों के बीच फाइनेशिंयल संबंध भी है. थम्पी ने एच एल पाहवा से साल 2005-2008 के दौरान फरीदाबाद के अमीपुर में 486 एकड़ जमीन खरीदी और रॉबर्ट वाड्रा ने भी साल 2005-06 के दौरान इसी गांव में 40.08 एकड़ जमीन पाहवा से खरीदी और साल 2010 में ये जमीन वापिस पाहवा को बेच दी. 

प्रियंका गांधी भी रही साझेदार!

ED ने थम्पी के खिलाफ दाखिल चार्जशीट में ना सिर्फ रॉबर्ट वाड्रा बल्कि प्रियंका गांधी का भी जिक्र किया है. एजेंसी ने बताया कि प्रियंका गांधी ने अप्रैल 2006 में HL Pahwa(एच एल पाहवा) से फरीदाबाद के अमिपूर गांव में पांच एकड़ जमीन खरीदी और वही जमीन चार साल बाद फरवरी 2010 में पाहवा को ही बेच दी. पाहवा ये सब कैश में काम कर रहे थे. ये सब एजेंसी को थम्पी के खिलाफ FEMA-Foreign Exchange Management Act की जांच के दौरान पता चला था, जिसकी अभी भी जांच चल रही है. 

इस मामले में एजेंसी ने रॉबर्ट वाड्रा से पूछताछ भी की थी और हैरानी की बात है कि ED ने जब रॉबर्ट वाड्रा से थम्पी से रिश्ते के बारे में पुछताछ की थी तो वाड्रा ने बताया था कि वो थम्पी से प्लेन में यात्रा के दौरान मिला था, जबकि थम्पी ने पूछताछ में इसके ठीक उलट बयान दिया. थम्पी ने बताया कि वाड्रा से सोनिया गांधी के PA पी पी माधवन ने मिलवाया था.

राजस्थान में भी किया गया 'खेल'

हालांकि रॉबर्ट वाड्रा का जमीन से जुड़ा ये कोई पहला मामला नहीं है, इसके अलावा वाड्रा का नाम राजस्थान के कोलायत (बीकानेर) में जमीन खरीदने और बेचने में आया था. आरोप है कि रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी M/s Skylight Hospitality(P) Ltd ने 275 बीघा जमीन सिर्फ 72 लाख में खरीदी और उसे 5.15 करोड़ में M/s Allegeny Finlease(P) Ltd को बेच दिया था, यानी सीधे 4.43 करोड़ का मुनाफा. इस मामले में एजेंसी ने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी की 4.43 करोड़ की संपत्ति फरवरी 2019 में अटैच कर ली थी. अटैच की गयी संपत्ति में दिल्ली के सुखदेव विहार में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी का दफ्तर है. 

ED के मुताबिक संजय भंडारी ने शातिराना तरीके से यूएई और यूके में कंपनियां का इस तरह जाल बिछाया ताकि एजेंसी किसी भी तरीके से उस तक ना पहुंच सके. इसके लिये उसने इन दोनों देशों में मौजूद लोगों की मदद ली. संजय भंडारी ने शारजाह, यूएई के हमरियाह फ्री जोन में M/s Sky Lite Investment FZE को शुरू किया, फिर बाद में अप्रैल 2009 में सीसी थम्पी के साथ मिल कर इसका नाम बदल कर Mayfair Investment FZE कर दिया गया और थम्पी को ही इसका मालिक यानी पूरे शेयर उसी के नाम कर दिये गये. 

काले धन को सफेद करने की कवायद

लंदन में 12 Bryanston Square फ्लैट M/s Sky Lite Investment FZE के नाम पर था. इस फ्लैट का रिनोवेशन करवाया गया और बाद में जब इस कंपनी का नाम Mayfair Investment FZE हो गया तो थम्पी ने इस कंपनी को अपने भतीजे Geever Vadakkethala के नाम 16 नवंबर 2011 को ट्रांसफर कर दिया. खास बात ये है कि इस फ्लैट की जो रिनोवेशन कोस्ट थी उसकी कोई लागत नहीं ली गयी और कंपनी इस संपत्ति के साथ ट्रांसफर होती चली गयी बिना किसी नफा-नुकसान के. 

यानी ये सब ट्रांसफर इसलिये किया जा रहा था ताकी एजेंसी की नजरों से छिपा रहा जा सके. इसका पता इस बात से चलता है कि, भले ही कागजों में संजय भंडारी ने जून 2010 में M/s Sky Lite Investment FZE को बेचा या ट्रासंफर किया लेकिन बावजूद इसके संजय भंडारी ही लंदन के इस फ्लैट की देखभाल कर रहा था. 

शेल कंपनियों के जरिए घुमाया गया पैसा

इस बात की जांच के लिये एंजेसी ने USA से मेल की कॉपी ली है जो सुमित चढ्ढा और बीना के बीच इस संपत्ति के देखभाल को लेकर है. सुमित चढ्ढा की शादी पूजा चढ्ढा से हुयी है जो संजय भंडारी की भांजी है यानी सुमित चड्ढा संजय भंडारी का दामाद है. बीना थम्पी की कर्मचारी है जो उसके ऑफिस के काम को देखती है.  एजेंसी को इस संपत्ति को लेकर किये गये जो मेल मिले है, उससे पता चलता है कि थम्पी और सुमित चढ्ढा आपस में मिल कर संजय भंडारी के लिये काम कर रहे थे और दोनों ही उसके इस Black Money के मामले में साझेदार है. इससे ये भी पता चलता है लंदन के 12 Brynston Square पर संजय भंडारी का ही कंट्रोल है भले ही ये फ्लैट कागजों में थम्पी को और फिर उसके भतीजे को ट्रांसफर या बेचा गया हो. 

संजय भंडारी को Black Money और Money Laundering के मामलों से बचाने के लिये विदेश में साजिश भी रची जा रही है जिसमें थम्पी और सुमित चढ्ढा मिल कर मदद कर रहे है. इस काम के लिये संजीव कपूर, अनिरूध् वाधवा, मिल कर यूएई में एक ट्रस्ट बनाने का प्लान कर रहे है जो साल 2015 से पहले की हो. इनकी योजना है कि संजय भंडारी की ब्लैक मनी को इस ट्रस्ट में ट्रासंफर कर दिया जाये और संजय भंडारी को इस ट्रस्ट का ट्रस्टी दिखाया जाये जिसने साल 2015 में ही इस्तीफा दे दिया हो, इसके बाद सुमित चड्ढा को इसका नया ट्रस्टी दिखाया जाये. इससे संजय भंडारी की सारी संपत्ति का मालिकाना हक सुमित का हो जायेगा और क्योंकि संजय भंडारी इस ट्रस्ट से 2015 में ही इस्तिफा दे चुका है तो उस पर Black Money Act 2015 लागू नहीं होगा. 

कोर्ट ने जारी किया गैर जमानती वारंट

इस साजिश का एक और सबूत एजेंसी को मिलता है जिसमें जून 2016 में संजय भंडारी ट्रस्ट का प्लान बना खुद को विदेश में छिपा कर रखी ब्लैक मनी से दूर कर रहा है वहीं दूसरी तऱफ जून 2016 में ही थम्पी Mayfair Investment FZE को अपने भतीजे Geever Vadakkethala से अपने पार्टनर Yahya Ibrahim Al Reyaysa के नाम कर देता है. इसमें खास बात ये है कि संजय भंडारी का दामाद ब्रिटिश नागरिक है और थम्पी का पार्टनर Yahya यूएई का नागरिक है यानी दोनों ही भारतीय कानून से दूर. 

हालांकि इस मामले में एजेंसी ने सुमित चढ्ढा को भी आरोपी बनाया है और उसे पूछताछ के लिये नोटिस भी दिया गया लेकिन उसने नोटिस को रिसीव होने से ही इंकार कर दिया जबकि ये नोटिस डिप्लोमेटिक चैनल के जरिये भेजे गये थे. इसी के बाद अदालत ने आरोपी सुमित चढ्ढा के खिलाफ NBW यानी गैर जमानती वारंट जारी कर दिये है. 

ब्रिटिश कोर्ट में डाली अपील की अर्जी

वहीं दूसरी तरफ मुख्य आरोपी संजय भंडारी, संजीव कपूर और अनिरूध वाधवा के खिलाफ एजेंसी 1 जून 2020 को ही चार्जशीट दाखिल कर दी थी- जिसके बाद संजय भंडारी को भगौड़ा घोषित कर दिया गया था. आरोपी को यूके से भारत वापिस लाने की कोशिश की जा रही है, वहां की अदालत ने संजय भंडारी को भारत प्रत्यर्पण करने की मंजूरी दे दी थी लेकिन संजय भंडारी ने खुद को भारत भेजे जाने के खिलाफ यूके की अदालत के इस फैसले को वहां की हाईकोर्ट में चैलेंज किया था जिस पर सुनवाई चल रही है. इस मामले में एजेंसी ने कारवाई करते हुये 26.55 करोड़ की भारत में मौजूद संपत्ति को जब्त कर लिया था. 

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