राजस्थान में पनप रहा स्नैक रेस्क्यू माफिया! जानिए कैसे करता है काम
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राजस्थान में पनप रहा स्नैक रेस्क्यू माफिया! जानिए कैसे करता है काम

इन गैंग्स की दादागिरी और दहशत इतनी है कि कोई इनके आगे नहीं बोलता. यदि एक ही जगह दो गैंग के सदस्य पहुंच जाते हैं तो वो वहां झगड़े और हाथापाई पर उतारू हो जाते हैं.

राजस्थान में पनप रहा स्नैक रेस्क्यू माफिया. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Jaipur: राजस्थान में स्नेक माफिया के खिलाफ वन्य जीव प्रेमी सामने आए. वन्य जीव प्रेमियों ने बताया कि राजस्थान में महज 5 से 10 सालों के अंदर एक ऐसा माफिया पनपा है जो आपकी आंखों के सामने से अवैध काम कर जाता है और आपको भनक भी नहीं लगती. और तो और आप इनाम के तौर पर इनको सर्टिफिकेट और पैसे तक दे रहे हैं.

जी हां, ये स्नेक रेस्क्यू अब इनका धंधा बन चुका, जिले वार गैंग्स पनप चुकी हैं जो अब इस धंधे में शामिल है. एक-एक जिले में आपको ऐसे फर्जी संगठन या व्यक्तिगत लोग मिल जाएंगे जो लगातार इन कामों को अंजाम दे रहे हैं. पहले ये तो व्यक्तिगत रूप से स्नेक रेस्क्यू का काम शुरू करना, फिर संगठन बना लेना. इनकी मोडस ऑपरेंडी ऐसी है कि शुरुआत में लोगों की नजरों में जमने के लिए सच्चाई से रेस्क्यू करते हैं, कभी-कभी तो रेस्क्यू के पैसे भी नहीं लेते, इनका मकसद होता है सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों में अपनी पैठ जमाना.

अधिकांश मामलों में ये सफल हो जाते हैं. इनके मोबाइल नंबर को सोशल मीडिया के माध्यम से और स्नेक रेस्क्यू के नाम पर प्रचारित करते हैं. वहीं, वन विभाग व स्थानीय प्रशासन इस बात से अनजान हैं कि इन लोगों का असली काम क्या है? इनको सार्वजनिक समारोह में सर्टिफिकेट प्रदान करते हैं, इनका सम्मान करते हैं. कुछ बड़े लोगों से ये उनके लेटर हेड पर प्रशस्ति पत्र भी लिखवा लेते हैं.

अब जब रास्ता साफ हो जाता है, ये अपना असली काम शुरू करते हैं. ये सांपों की तस्करी करने के बाद उनके अंगों का व्यापार एवं अवैध रूप से उसका विष निकाल कर बेचते हैं, जो ज्यादातर चाइनीज दवाओं में काम आता है, इस वजह से वैध रूप से बनने वाली एंटी वेनम में भी कई बार कमी आ जाती है. 

जानकारी के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय ब्लैक मार्केट में कुछ सांपों की कीमत करोड़ों में है. अतः इनकी कालाबाजारी होना भी तय है. इन गैंग्स की दादागिरी और दहशत इतनी है कि कोई इनके आगे नहीं बोलता. यदि एक ही जगह दो गैंग के सदस्य पहुंच जाते हैं तो वो वहां झगड़े और हाथापाई पर उतारू हो जाते हैं.

मामला सेटल नहीं होने पर सांप वहीं फेंक कर चले जाते हैं. जैसा सांप वैसा सांप पकड़ने वाले की पैसे की डिमांड. कई बार तो बिना जहर वाले सांप को बेहद दुर्लभ और जहरीला बता के हजारों रुपए ऐंठ लेते हैं. वहीं, सोशल मीडिया पर स्टंट कर फोटो वीडियो डालना इनके शगल में शामिल हो चुका है, जिसकी वजह से जो बच्चे इनको सोशल मीडिया पर फॉलो करते हैं स्नेक बाइट की वजह से अपनी जान तक गंवा चुके हैं.

कुछ स्नेक रेस्क्यूर्स बिना वेटनरी नॉलेज के वाहवाही के चक्कर में सांपों के इलाज भी करने लगे हैं. पूछने पर इनका तर्क होता है कि हम यह दूसरे राज्य के सर्प मित्र से सीखकर आए हैं. वहीं, आजकल कुछ पुलिस मित्र भी सांप पकड़ने का काम करने लगे हैं. जबकि इनका काम पुलिस की सहायता करना होता है. 

सांप को पकड़ने का काम फारेस्ट डिपार्टमेंट का एवं प्रशिक्षित एनजीओ एवं प्रशिक्षित निजी व्यक्ति का होता है. सांप पकड़ने का काम सिविल डिफेंस वाले भी तभी कर सकते हैं जब वो इस काम के लिए प्रशिक्षित हों. स्नेक रेस्क्यू माफिया कई युवा लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है और उन्हें जान के खतरे की तरफ धकेल रहा है.

इधर, वन विभाग इन पर कोई कार्रवाई नहीं करता, जिसके चलते ये रेस्क्यू माफिया फल-फूल रहा है. जबकि कई व्यक्तिगत लोग एवं संगठन अच्छा काम भी कर रहे हैं.

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