Shampoo Sachet Vs Bottle: समय गुजरता गया और इस प्रोडक्ट में कई बदलाव किए गए. आज दुनिया भर की हजारों मल्टीनेशनल कंपनियां शैंपू बना रही हैं. जानें किस तरह दुनिया में सबसे पहला हर्बल शैंपू अस्तित्व में आया...
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Shampoo Sachet Vs Bottle: आज के समय में शैंपू का उपयोग बालों की गंदगी साफ करने के लिए होता है. वहीं, भारत में पुराने समय से बालों की परंपरागत मालिश के लिए इसका इस्तेमाल होता था. यहां राजघरानों की महिलाएं, खास तौर पर रानियां अपने बालों का शृंगार करने के लिए रीठा, शिकाकाई, आंवला, प्राकृतिक तेल, फलों के गूदे, भृंगराज और ऐसी बहुत सी जड़ी-बूटियों से तैयार किए गए लेप का उपयोग करती थीं.
मुगलों ने इसे भारतीय परंपरा के अनुसार अपनाया. जिस समय ब्रिटिशों ने यहां कदम रखा तब तक धनवान घरों की महिलाएं भी जड़ी-बूटियों से तैयार होने वाले इस लेप का उपयोग करने लगी थीं. भारत की तरह ही अंग्रेजों को बालों की सफाई का यह फार्मूला भा गया.
इसके बाद अंग्रेजी वैज्ञानिकों ने इसे बोतल में बंद करने का तरीका इजाद कर लिया. बावजूद इसके भारत की प्राचीन पद्धति पर आधारित हर्बल शैंपू दुनिया भर में सबसे ज्यादा महंगा और डिमांड में रहता है.
शैंपू के आविष्कार की कहानी
दरअसल, शैंपू शब्द हिंदी के शब्द चांपी से बना है. जिसका मतलब सिर की मालिश करना होता है. हमारे देश में ही सबसे पहले शैंपू का उपयोग किया गया था. प्राचीन भारत के कुछ जड़ी बूटियों को उबालकर उसका अर्क सिर के बाल को साफ करने के लिए करते थे.
शैंपू के आविष्कार को लेकर अलग-अलग कहानियां प्रचलित है. कहते हैं कि ब्रिटेन को शैंपू के बारे में बंगाल के रहने वाले एक शख्स साके डीन मुहम्मद ने बताया था. भारतीय बिजनेसमैन ने 1814 के आसपास ब्रिटेन को इस विशेष लेप के बारे में बताया. जानकारी जुटाने पर पता चलता है कि शैंपू का आविष्कार साके डीन मोहम्मद ने किया था.
वहीं, व्यापारिक रिकॉर्ड के मुताबिक 1927 में बर्लिन में जर्मन आविष्कारक हंस श्वार्जकोफ द्वारा लिक्विड शैंपू का आविष्कार किया गया था. जानकारी के मुताबिक इनके नाम पर यूरोप में बेचा जाने वाला एक शैंपू ब्रांड भी बनाया गया.
जानें पाउच या बॉटल किसमें है ज्यादा फायदा
कुछ लोग शैंपू के पाउच खरीदते हैं तो कुछ लोग बार-बार के झमेले से बचने के लिए बड़ी बॉटल खरीदना पसंद करते हैं. बता दें कि शैंपू के पाउच खरीदना ज्यादा फायदेमंद होता है, क्योंकि इसको बनाने में सस्ते प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है, जिससे कम पैसे लगते हैं.वहीं, शैंपू के पाउच ट्रांसपोर्ट करना भी किफायती होता है.
मान लीजिए किसी शैंपू के 1 पाउच में 6.5 ग्राम शैंपू आता है. आप इसके 100 पाउच खरीदेंगे तो आपको 650 ग्राम शैंपू मिलेगा. आमतौर पर 1 पाउच एक रुपये में आता है. इस प्रकार 100 पाउच खरीदने पर आपको 100 रुपये अदा करने होते हैं.
वहीं, अरग आप 650 ग्राम की बोतल खरीदते हैं तो उसकी कीमत कम से कम 275 से 400 होती है. यानी कि पाउच में जो शैंपू 100 रुपए में मिलता है. वही शैंपू बोतल में इतना महंगा मिलता है. खाली बोतल के आपसे 175 से 250 रुपये लिए जाते हैं, इसलिए शैंपू का पाउच बोतल से सस्ता पड़ता है. लोग कैलकुलेट नहीं करते, माइंड सेट के आधार पर शॉपिंग करते हैं और इसी बात का फायदा शायद कोई भी कंपनी उठाती है.