Knowledge: जानिए उस तोप के बारे में जिसका गोला 35 Km दूर गिरा और बन गया तालाब
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Knowledge: जानिए उस तोप के बारे में जिसका गोला 35 Km दूर गिरा और बन गया तालाब

रियासत की सुरक्षा के लिए महाराज सवाई जय सिंह द्वितीय के शासनकाल में जयबाण तोप को निर्मित किया गया था. हालांकि इसका इस्तेमाल कभी किसी युद्ध में नहीं किया गया.

Knowledge: जानिए उस तोप के बारे में जिसका गोला 35 Km दूर गिरा और बन गया तालाब

नई दिल्लीः पुराने समय में एक-दूसरे पर वर्चस्व जताने के लिए लड़ाइयों से फैसला हुआ करता था. इनमें कई अस्त्र व शस्त्रों का उपयोग होता था. उन्हीं में से एक तोप को बेहद खतरनाक हथियार माना जाता था, जिसके जरिए बारूद के गोलों को दूर तक फेंक कर विरोधियों पर हमला किया जाता था. अंग्रेजों के देश में घुसने से पहले तक युद्ध में तोपों का ही इस्तेमाल होता था. पानीपत के प्रसिद्ध युद्ध के दौरान बाबर ने भी इनका जमकर इस्तेमाल किया था. 

भारत में भी एक खास तरह की तोप इस्तेमाल की जाती थी, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी तोप का दर्जा मिला है. बताया जाता है कि जब इस तोप का इस्तेमला हुआ था, तब एक कस्बे में बड़ा सा तालाब बन गया था. यहां जानें इस तोप के बारे में.

दुनिया की सबसे बड़ी 'जयबाण' तोप!
भारत की 'जयबाण' तोप को दुनिया की सबसे बड़ी तोप का दर्जा प्राप्त है. इसे फिलहाल जयपुर के किले में रखा गया है, बताया जाता है कि इस तोप को जयगण किले में 1720 में रखा गया था. रियासत की सुरक्षा के लिए महाराज सवाई जय सिंह द्वितीय के शासनकाल में जयबाण तोप को निर्मित किया गया था. हालांकि इसका इस्तेमाल कभी किसी युद्ध में नहीं किया गया.

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50 टन वजनी है तोप
माना जाता है कि तोप के बैरल की लंबाई 6.15 मीटर (20.2 फीट) और वजन 50 टन है. बैरल की नोंक के पास की परिधि (Circumference) 2.2 मीटर (7.2 फीट) है और पीछे की परिधि 2.8 मीटर (9.2 फीट) है. बैरल के बोर का व्यास 11 इंच है और टिप पर बैरल की मौटाई 8.5 इंच है. 

तोप को दो पहियों की गाडी में रखा गया, पहिए करीब 1.37 मीटर (4.5 फीट) व्यास के हैं. गाड़ी में परिवहन के लिए दो हटाने वाले एकस्ट्रा पहिए भी हैं, जिनका व्यास करीब 9 फीट है. करीब 100 किलो बारूद से 50 किलो वजनी गोले का इस्तेमाल किया जाता था. 

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एक ही वार ने बना दिया तालाब
माना जाता है कि जयबाण तोप का केवल एक बार ही परीक्षण किया गया था. दागते ही गोले ने करीब 35 किलोमीटर की दूरी तय की थी, माना जाता है कि गोला चाकसी नामक कस्बे पर गिरा था. वहां गिरते ही एक तालाब बन गया था. 

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