नई दिल्ली: Jindagi Ke Topper: ज़ी मीडिया की सीरीज 'जिंदगी के टॉपर' में आज पढ़ें मध्य प्रदेश में रतलाम के रहने वाले अब्दुल कादिर का इंस्पायरिंग सफर... जिन्होंने महज 14 साल की उम्र में नेशनल लेवल पर 8 गोल्ड और 3 सिल्वर मेडल जीत लिए. उनका सपना अब देश का प्रतिनिधित्व कर इंटरनेशनल लेवल पर मेडल जीतने का है. अब्दुल एक स्वीमर हैं, जिनके दोनों हाथ नहीं है, अक्षमता के बावजूद वह बेस्ट स्वीमर का अवॉर्ड जीत चके हैं. अब्दुल फिलहाल कक्षा 9वीं में पढ़ाई कर रहे हैं. 


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2014 में हु्आ था हादसा
कादिर के पिता हुसैन ने एक इंटरव्यू में बताया कि 2014 में जब कादिर 7 साल के थे, तब छत पर खेलने के दौरान वह हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ गए. अब्दुल के हाथों में इन्फेक्शन फैला और डॉक्टरों ने उसकी जान बचाने के लिए दोनों हाथों को काट दिया. मुश्किल समय में घरवालों को अब्दुल के भविष्य की चिंता होने लगी, कादिर भी निराश होने लगे. माता-पिता ने हिम्मत रखी और कादिर को दोनों पैरों से ही लिखना, खाना-पीना और बाकी काम करना सीखाया. 


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एक फोटो ने किया मोटिवेट
हुसैन ने बताया कि सोशल मीडिया पर उन्होंने विष्णु नाम के दिव्यांग तैराक की फोटो देखी, उसी से इंस्पायर हो कर उन्होंने अपने बेटे को भी तैराकी सीखाने का फैसला किया. बेटे से बात की, अब्दुल के हां बोलते ही उन्होंने रतलाम में ही स्वीमिंग कोच राजा से बात कर स्वीमिंग प्रैक्टिस शुरू कर दी. इंस्पिरेशन काम कर गई, कुछ ही महीनों में अब्दुल बहुत अच्छे तरीके से स्वीमिंग करना सीख गए. 


2015 में अब्दुल ने अपने पहले जूनियर दिव्यांग कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया, यहां उन्होंने एक गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता. 


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चलता ही रहा सफर
2015 में स्वीमिंग शुरू करने के बाद उन्होंने 2017 में जयपुर और उदयपुर में नेशनल कॉम्पिटिशन में हिस्सा लेकर दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता. 2021 के पैरा नेशनल गेम्स में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए तीन गोल्ड मेडल समेत बेस्ट स्वीमर का अवॉर्ड भी जीता. 


देश के लिए जीतना है गोल्ड
कादिर की मां फातिमा ने बताया कि उनके बेटे का टारगेट इंडिया के लिए गोल्ड मेडल जीतने का है. उन्हें अच्छा लगता है कि उनका बेटा अब किसी भी काम के लिए किसी पर निर्भर नहीं है. अब्दुल इस वक्त इंटरनेशनल स्वीमिंग कॉम्पिटिशन की तैयारी कर रहे हैं. कोरोना के कारण नगर निगम का स्वीमिंग एरिना बंद है, जिससे उन्हें स्वीमिंग करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. 


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