जिंदगी के 'टॉपर': स्कूल के साथ खेलते रहे क्रिकेट; कभी टीम में नहीं थी जगह, आज उपकप्तान हैं रहाणे, जानें उनकी पढ़ाई
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जिंदगी के 'टॉपर': स्कूल के साथ खेलते रहे क्रिकेट; कभी टीम में नहीं थी जगह, आज उपकप्तान हैं रहाणे, जानें उनकी पढ़ाई

Jindagi Ke Topper: अंजिक्य रहाणे ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में टेस्ट सीरीज हराने में अहम योगदान दिया. विराट कोहली की गैरमौजूदगी में उन्होंने टीम की कमान संभाली थी. 

जिंदगी के 'टॉपर': स्कूल के साथ खेलते रहे क्रिकेट; कभी टीम में नहीं थी जगह, आज उपकप्तान हैं रहाणे, जानें उनकी पढ़ाई

अश्विन सोलंकी/नई दिल्ली: Jindagi Ke Topper: किसी भी इंसान के व्यक्तित्व की पहचान उसकी शिक्षा से होती है. लेकिन कई लोग शिक्षा और साक्षरता को एक समान मान लेते हैं और इंसान के व्यक्तित्व को साक्षरता के आधार पर तय करते हैं. लेकिन दुनिया के कई ऐसे व्यक्ति भी हैं, जिन्होंने स्कूली शिक्षा भले पूरी न की हो या स्कूली शिक्षा में कुछ खास अच्छा नहीं किया हो. लेकिन जीवन के अन्य क्षेत्रों में उन्होंने सर्वश्रेष्ठ कर के दिखाया. ऐसी ही कुछ कहानी है भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के उपकप्तान अंजिक्य रहाणे (Ajinkya Rahane) की, जिन्होंने स्कूली शिक्षा में भले ही खास मुकाम हासिल नहीं किया, लेकिन भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के नए अध्याय को गढ़ने में उन्होंने अहम योगदान दिया. 

ऐसे ही सफल पर्सनॅलिटिज़ को लेकर 'जी मीडिया' ने एक सीरीज की शुरुआत की है. इसके तहत हम ऐसे लोगों की कहानियां बता रहे हैं, जो किसी कारण पढ़ाई जारी नहीं रख सके, या फिर उन्हें अपने पैशन के चलते पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ गई. यहां जानें मुंबई के आजाद मैदान से निकलकर कैसे रहाणे ने टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसी के घर में टेस्ट सीरीज जितवाई.

स्कूल के बाद क्रिकेट पर किया फोकस
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अंजिक्य रहाणे ने डोम्बिवली के SV जोशी स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की. स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही वह क्रिकेट प्रैक्टिस किया करते थे. स्कूली पढ़ाई में उनका मन कभी नहीं लगा, इसलिए उन्होंने अपना पूरा फोकस क्रिकेट पर ही लगाया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने क्रिकेट में बेहतर मुकाम हासिल करने के बाद कॉलेज की डिग्री पूरी की. 

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मैटिंग विकेट पर की प्रैक्टिस
6 जून 1988 को जन्में अजिंक्य रहाणे के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. जिसके चलते उन्होंने 17 साल की उम्र तक अपने कोच प्रवीण आम्रे के साथ मैटिंग विकेट पर ही क्रिकेट के गुर सीखे. रिसोर्स अवेलेबल नहीं होने के बावजूद उन्होंने अपने आप को साबित कर मुंबई की रणजी ट्रॉफी टीम में जगह बनाई. 

शुरुआती 5 रणजी सीजन में ठोंके हजार रन
2007-08 के रणजी ट्रॉफी सीजन में मुंबई की ओर से खेलते हुए उन्होंने डेब्यू किया. डेब्यू रणजी ट्रॉफी सीजन में ही उन्होंने एक हजार रन बना डाले. पहले सीजन के बाद लगातार पांच सीजन में उन्होंने एक हजार से ज्यादा रन बनाए. 

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ऑस्ट्रेलिया को घर में जड़े दो शतक
घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन के आधार पर उन्हें इंडिया-A के लिए ऑस्ट्रेलिया में खेलने का मौका मिला. इमर्जिंग खिलाड़ियों के इस टूर्नामेंट में उन्होंने दो शतक जड़कर सिलेक्टर्स का ध्यान खींचा, लेकिन टेस्ट टीम में जगह खाली नहीं होने के चलते वे घरेलू टूर्नामेंट ही खेलते रहे. घरेलू क्रिकेट में बेहतर प्रदर्शन का फायदा उन्हें 2011 में मिला.

इंग्लैंड के खिलाफ किया डेब्यू
2011 में भारत का इंग्लैंड दौरा किसी बुरे सपने से कम नहीं था, टेस्ट सीरीज में 0-4 से हार के बाद लिमिटेड ओवर्स में टीम का कॉन्फिडेंस डाउन था. लेकिन तभी अंजिक्य रहाणे ने वन-डे और टी-20 फॉर्मेट में डेब्यू किया. अपने पहले टी-20 में 61 और वन-डे में 40 रन की पारी ने कुछ लाइमलाइट बटोरी. लेकिन उनका प्रदर्शन टीम में जगह पक्की नहीं कर सका और वह कई महीनों तक एकस्ट्रा खिलाड़ी के रूप में टीम के साथ बने रहे. 

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2013 में फाइनली मिली टेस्ट कैप
लक्ष्मण और द्रविड़ जैसे खिलाड़ियों के जाने के बाद टीम इंडिया ने सॉलिड मिडिल ऑर्डर के खिलाड़ियों की तलाश करना शुरू दिया. साल 2013 में भारतीय ओपनर शिखर धवन की इंजरी के बाद रहाणे को भारत की ओर से टेस्ट डेब्यू का मौका मिला. वह भारत के लिए टेस्ट में 278वें नंबर के खिलाड़ी बनें. 

विदेशी मैदान पर चमका 'हीरा'
रहाणे अपने डेब्यू मैच में खास प्रदर्शन नहीं कर सके, लेकिन उन्हें साउथ अफ्रीका दौरे पर मौका मिला. डेल स्टेन, फिलेंडर और मॉर्केल के अफ्रीकन बॉलिंग अटैक के सामने भारतीय टीम ने पहली पार में 199 पर 4 विकेट गंवा दिए. जहां टैलेंडर के साथ बैटिंग करते हुए उन्होंने नाबाद 51 रन बनाए और टीम का स्कोर 334 तक पहुंचाया. सेकंड इनिंग्स में भी टीम ने 71 पर 4 विकेट गंवा दिए, टीम 95 रन से पिछड़ रही थी. जहां रहाणे ने 96 रन की पारी खेल कर टीम इंडिया को पारी की हार से बचा लिया. 

इंडिया मैच तो नहीं जीत सकी, लेकिन टीम ने विदेशी पिच पर टिकने वाले ऐसे खिलाड़ी को ढूंढ निकाला, जिसने आगे चलकर विदेशी मैदान पर ही टीम को ऐतिहासिक सीरीज जीत दिलवाई. 

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ऑस्ट्रेलिया को घर में हराने की चुनौती
अंजिक्य रहाणे ने अपने टेस्ट करियर में कई यादगार पारियां खेलीं, खासकर विदेशी जमीन पर, जिनमें लॉर्ड्स और मेलबर्न में उनकी शतकीय पारियां सबसे महत्त्वपूर्ण रहीं. उनके जीवन में सबसे यादगार लम्हा आज से 11 महीनों पहले ही आया, जब इंडियन टीम ऑस्ट्रेलिया में 4 टेस्ट मैच के दौरे पर गई. 

विराट कोहली निजी छुट्टी पर थे और अंजिक्य रहाणे को कप्तानी की जिम्मेदारी मिली. सीरीज में 0-1 से पिछड़ने के बाद टीम इंडिया के सामने 3 मैच थे. उनके सामने इंजर्ड और डेब्यू कर रहे खिलाड़ियों की चुनौती भी थी. 

मेलबर्न में जड़ा शतक
सीरीज के दूसरे मैच में रहाणे ने टीम को लीड करते हुए ताबड़तोड़ शतक जड़ा, जिसकी बदौलत टीम ने ऑस्ट्रेलिया को टेस्ट मैच हराकर सीरीज में 1-1 से बराबरी की. तीसरा मैच ड्रॉ रहा, सीरीज का आखिरी मैच ब्रिसबेन के गाबा मैदान पर खेला गया. जहां ऑस्ट्रेलिया 35 सालों से नहीं हारी थी, लेकिन युवा भारतीय टीम और नए कप्तान ने अपने हुनर का प्रदर्शन किया और ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में दूसरी बार टेस्ट सीरीज में पटखनी दी. 

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आंकड़ों में रहाणे का करियर

टेस्ट

  • मैच- 79
  • रन- 4795
  • 50/100- 24/12
  • हाईएस्ट स्कोर- 188
  • औसत- 39.3

वन-डे

  • मैच- 90
  • रन- 2962
  • 50/100- 24/3
  • हाईएस्ट स्कोर- 111
  • औसत- 35.26

टी-20

  • मैच- 20
  • रन- 375
  • 50- 1
  • हाईएस्ट स्कोर- 61
  • स्ट्राईक रेट- 113.29

IPL

  • मैच- 151
  • रन- 3941
  • 50/100- 28/2
  • हाईएस्ट स्कोर- 105
  • स्ट्राईक रेट- 121.34

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