सबसे पहले जानेंगे कि ये जीव कैसे अपने बच्चों को फीडिंग कराते हैं. दरअसल, कबूतरों के गले के एक फूड स्टोरेज पाउच बना होता है, जिसे क्रॉप कहा जाता है. इससे सफेद तरल पदार्थ निकलता है. बच्चे के जन्म के बाद 28 दिनों तक नर कबूतर ही उन्हें अपनी चोंच से इसी तरल पदार्थ की फीडिंग कराते हैं.
दूध देने वाले गैर स्तनधारी जीवों में पेंगुइन का भी नाम आता है. नर पेंगुइन अंडों की केयर करते हैं, क्योंकि उनके क्रॉप में ही फैटी लिक्विड बनता है. मादा पेंगुइन सबके लिए भोजन की तलाश में निकल जाती है. ऐसे में नर पेंगुइन ही नए बच्चों को फीडिंग कराते हैं और उनका ख्याल रखते हैं.
फ्लेमिंगो भी इन्हीं जीवों में आते हैं. नर-मादा दोनों में क्रॉप मिल्क प्रोड्यूस होता है. ऐसे में ये भी बच्चों को चोंच के जरिए ही फीड कराते हैं. हैरानी की बात यह है कि लंबे पैरों वाला पक्षी फ्लेमिंगो के क्रॉप मिल्क का रंग भी इनकी तरह लाल होता है.
मादा कॉकरोच के अंदर ही लार्वा बढ़ता है, इस बीच लार्वा जितना तरल पदार्थ कंज्यूम करते हैं, उसे मिल्क कहा जाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि पूरी पृथ्वी पर इससे ज्यादा कैलोरी वाला कोई दूसरा मिल्क नहीं है.
डिस्कश फिश में भी बच्चों को फीडिंग कराने के लिए दूध बनता है. रंग-बिरंगी नर-मादा फिश दोनों अपनी त्वचा से दूध जैसा स्लाइम तैयार करते हैं. जन्म के तीन हफ्ते तक बच्चों को इसी की फीडिंग कराई जाती है.
ग्रेट व्हाइट शार्क के बच्चों का विकास उसके गर्भाशय में होता है, लेकिन गर्भनाल न होने के कारण उन तक पोषण नहीं पहुंचता. इस जीव के गर्भाशय में ही दूध जैसा पदार्थ बनता है, जिससे पल रहे भ्रूण को जरूरी न्यूट्रीशन मिलते हैं.
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