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सवाना के जंगल हैं प्राकृतिक समाधान, जानें कैसे कम करेंगे ये ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण आने वाले समय में धरतीवासियों को कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ेगा. ऐसे में हम आपके लिए एक अच्छी खबर लाए हैं, जिसे सुनकर आप राहत की सांस ले सकते हैं. 

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एक स्टडी में शोधकर्ताओं ने कटिबंधीय सवाना के जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने की क्षमताओं का पता लगाया.

ग्लोबल वॉर्मिंग नियंत्रण

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ग्लोबल वॉर्मिंग नियंत्रण

ज्यादा पौधारोपण और वनों की बढ़ोतरी से कार्बन भंडारण और उससे ग्लोबल वार्मिंग को किस हद तक नियंत्रित किया जा सकता है.

ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण

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ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण

आमतौर पर क्लाइमेट चेंज रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करने के लिए कहा जा रहा है, जबकि वैज्ञानिकों के मुताबिक यह हमेशा और बहुत इफेक्टिव सॉल्यूशन नहीं है.

मददगार हो सकते हैं सवाना के जंगल

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मददगार हो सकते हैं सवाना के जंगल

हालांकि, एक नई स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया है कि कटिबंधीय सवाना के जंगल इस मामले में काफी हद तक मददगार साबित हो सकते हैं.

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

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जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने कटिबंधीय सवाना के जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने की क्षमताओं का पता लगाया. साइंस के मुताबिक ज्यादा पेड़ होने से ज्यादा मात्रा में पेड़ वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण कर लेते हैं, जो कार्बन लकड़ी के रूप में इकट्ठा हो जाता है. 

सवाना की मिट्टी की प्रणाली

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सवाना की मिट्टी की प्रणाली

शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया कि सवाना के जंगलों की मिट्टी कार्बन संग्रहण के लिहाज से कितनी उपयुक्त है. पड़ताल के नतीजे नेचर जियोसाइंस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं. 

इस आधार पर किया विश्लेषण

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इस आधार पर किया विश्लेषण

जानकारी के मुताबिक वैज्ञानिकों ने विश्व में पाए जाने वाले कटिबंधीय सवाना के आंकड़ों के साथ साउथ अफ्रीका के क्रूगर नेशनल पार्क की केस स्टडी के आधार पर विश्लेषण किया. 

 

कार्बन कम करने की क्षमता का ऐसे हुआ खुलासा

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कार्बन कम करने की क्षमता का ऐसे हुआ खुलासा

स्टडी में सामने आया कि सवाना के घास वाली मिट्टी में कार्बन की मात्रा ज्यादा थी, जबकि घास ही मिट्टी में आधे से ज्यादा कार्बन सहेजने के लिए जिम्मेदार होती हैं. भले ही वे पेड़ों की छाया में ही क्यों ना हों. 

 

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