भारत में इस समय जो तिरंगा फहराया जाता है, उसे 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था. तिरंगे को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था. वैंकैया एक स्वतंत्रता सेनानी थीं.
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नई दिल्ली. आजादी का 75वां स्वतंत्रता दिवस कल यानि कि 15 अगस्त को देशभर में मनाया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐतिहासिक लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे. कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से इस बार होने वाले कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान दिया जाएगा. भारत के लोगों के लिए तिरंगा बहुत ही महत्वपूर्ण और गौरव का विषय है. भारत में इस समय जो तिरंगा फहराया जाता है, उसे 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था. तिरंगे को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था. वैंकैया एक स्वतंत्रता सेनानी थीं. तिरंगे का अपमान न हो, इसलिए इसे फहराने के कुछ नियम बनाए गए हैं, जिसे 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' कहते हैं. जिसका पालन सभी भारतीयों को करना अनिवार्य है, वहीं ऐसा नहीं करने वालों को कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है.
क्या है फ्लैग कोड ऑफ इंडिया
1- तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए. प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही है. तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा, जिसका अनुपात 3:2 होना चाहिए. जबकि अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं, सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं.
2- किसी भी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुंह श्रोताओं की तरफ हो, तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए. कहा जाता है कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज में जब चरखे की जगह अशोक चक्र लिया गया तो महात्मा गांधी नाराज हो गए थे. रांची का पहाड़ी मंदिर भारत का अकेला ऐसा मंदिर हैं, जहां तिरंगा फहराया जाता हैं. 493 मीटर की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा झंडा भी रांची में ही फहराया गया है.
3- फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के मुताबिक किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन पर टच नहीं होना चाहिए. ऐसा करना झंडे का अपमान होता है. तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता.
4- भारत में बेंगलुरू से 420 किमी स्थित हुबली एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान हैं, जो झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता है. किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते और न ही बराबर रख सकते हैं.
5- इसके अलावा झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है. किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा नहीं लगाया जा सकता. साथ ही झंडे का प्रयोग किसी भी विल्डिंग को ढ़कने के लिए भी नहीं किया जा सकता है. इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को जेल की भी सजा हो सकती है.
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