Knowledge Section: कबूतर ही क्यों ले जाते थे चिट्ठी, कोई और पक्षी क्यों नहीं, वजह जान होंगे हैरान!
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Knowledge Section: कबूतर ही क्यों ले जाते थे चिट्ठी, कोई और पक्षी क्यों नहीं, वजह जान होंगे हैरान!

Knowledge Section: पिछली पीढ़ियों ने अपने संदेश लंबी दूरी तक कम समय में पहुंचाने के लिए घरेलू कबूतरों का इस्तमाल करना शुरू कर दिया था. आपने कई बार फिल्मों और टेलीविजन शो में भी कबूतरों को संदेश लाते ले जाते जरूर देखा होगा, लेकिन ऐसा क्या कारण था कि चिट्ठियों को भेजने के लिए कबूतरों का ही इस्तमाल किया जाता था.

Knowledge Section: कबूतर ही क्यों ले जाते थे चिट्ठी, कोई और पक्षी क्यों नहीं, वजह जान होंगे हैरान!

Knowledge Section: आज के समय किसी को संदेश भेजना बेहद ही आसान है. आज बस आपको अपने स्मार्टफोन पर एक मैसेज टाइप करना होता है और केवल एक क्लिक करने पर वो मैसेज मीलों दूर बैठे व्यक्ति को मिल जाता है. यह क्षमता वास्तव में बेहद शांत और आधुनिक है. हालांकि, तत्कालिक संचार (Communication), वैश्विक नेटवर्क, उपग्रह और इंटरनेट (Internet) के आने से हजारों वर्षों पहले तक संदेशों को एक जगह से दूसरी जगह पर भेजने में काफी समय लग जाया करता था. पहले पत्र को लिखना और फिर उसे पैदल जाकर हाथों से पहुंचाना शायद संचार का सबसे बुनियादी और लंबे समय तक चलने वाला साधन था. हालांकि, ऐसे में संदेश को एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचाने में काभी समय बर्बाद होता था. कई बार लोगों को महीनों बाद अपने परिजनों के संदेश मिला करते थे.

घोड़े की पीठ पर या पैदल संदेश पहुंचाना संतोषजनक तो था, लेकिन इसमें कई तरह की परेशानियां भी सामने आई. जैसे बेईमान संदेशवाहक, दुर्घटनाएं, संदेशों का नुकसान, अप्रत्याशित देरी और गारंटीकृत गोपनीयता की भी कमी थी. इस कारण बहुत से लोग संदेश भेजने के लिए मानवीय तत्वों को पूरी तरह से हटा देना चाहते थे. जैसे आज के समय में हम तकनीकि भार को उठाने के बजाय वायरलेस नेटवर्क और माइक्रोचिप्स का इस्तेमाल करते हैं. पिछली पीढ़ियों ने अपने संदेश लंबी दूरी तक कम समय में पहुंचाने के लिए घरेलू कबूतरों का इस्तमाल करना शुरू कर दिया था. आपने कई बार फिल्मों और टेलीविजन शो में भी कबूतरों को संदेश लाते ले जाते जरूर देखा होगा, लेकिन ऐसा क्या कारण था कि पत्रों को भेजने के लिए कबूतरों का ही इस्तमाल किया जाता था.

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बता दें कि कबूतरों के पैटर्न और चाल का अध्ययन करते समय यह देखा गया कि उनके पास दिशाओं को याद रखने की एक अद्भुत समझ होती है. मीलों तक हर दिशा में उड़ने के बाद भी वे अपने घोंसले का मार्गदर्शन करने में सक्षम होते हैं.

दरअसल, कबूतर उन पक्षियों में से आते हैं, जिनमें रास्तों को याद रखने की खूबी होती है. कहावत है कि कबूतरों के शरीर में एक तरह से जीपीएस सिस्टम होता है, जिस कारण वह कभी भी रास्ता नहीं भूलते हैं और अपना रास्ता खुद तलाश लेते हैं. कबूतरों में रास्तों को खोजने के लिए मैग्नेटोरिसेप्शन स्किल पाई जाती है. यह एक तरह से कबूतरों में गुण होता है. इन सब खूबियों के अलावा कबूतर के दिमाग में पाए जाने वाली 53 कोशिकाओं के एक समूह की पहचान भी की गई है, जिनकी मदद से वे दिशा की पहचान और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का निर्धारण करने में सक्षम होते हैं. यह कोशिकाएं वैसे ही काम करती हैं, जैसे कोई दिशा सूचक दिशाओं के बारे में बताता है. इसके अलावा कबूतरों की आंखों के रेटिना में क्रिप्टोक्रोम नाम का प्रोटीन पाया जाता है, जिससे वह जल्द रास्ता ढूंढ लेते है. इन्हीं कारणों से पत्र को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचे के लिए कबूतरों को चुना गया था. यहां तक की घरेलू कबूतर पत्रों को जल्दी पहुंचने में भी सक्षम थे.

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