पिछले चार माह में कांग्रेस (Congress) कोई नया अध्यक्ष नहीं ढूंढ पाई है. मजबूरी में सोनिया गांधी ही पार्टी की कमान संभाले हैं. जानकार मानते हैं कि कांग्रेस (Congress) दुर्गति के दौर में है. ऐसे में देश के वोटरों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर यह पार्टी यहां तक कैसे पहुंची. आइए इसे विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं.-:
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नई दिल्ली: देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस (Congress) क्या जमीन से उखड़ चुकी है? यह सवाल साल 2014 के लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद लगातार उठते रहे. साल 2019 के लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद बुद्धिजीवी वर्ग बिना किसी हिचक के इस सवाल का जवाब हां में दे रहे हैं. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो साल 2014 के बाद से कांग्रेस (Congress) कार्यकर्ताओं को कभी भी जश्न मनाने का मौका नहीं मिला है. 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की ऐसी दुर्गति हुई की खुद राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए. अब महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, लेकिन कांग्रेस (Congress) के नेता बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए से लड़ने के बजाय आपस में ही झगड़ रहे हैं. हरियाणा में अशोक तंवर जैसे कद्दावर नेता ने चुनाव के बीच में पार्टी छोड़ दी, वहीं महाराष्ट्र में संजय निरुपम जैसे चेहरे ने प्रचार करने से मना कर दिया है. इसी बीच मीडिया में लगातार खबरें आ रही हैं कि कांग्रेस (Congress) दो हिस्सों में बंट गई है, एक राहुल की कांग्रेस (Congress) और दूसरी सोनिया की कांग्रेस (Congress). यानी साफ है कि पार्टी में पुराने और नए नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है.
इसी बीच कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि राहुल को अध्यक्ष पद पर बने रहना चाहिए था. खुर्शीद ने कहा, 'हमारे आग्रह के बावजूद, राहुल गांधी ने पद से इस्तीफा दे दिया. कई लोगों ने उन्हें पद पर बने रहने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने पद छोड़ दिया. यह उनका निर्णय था और हमें इसका आदर करना चाहिए.' यहां आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. पिछले चार माह में कांग्रेस (Congress) कोई नया अध्यक्ष नहीं ढूंढ पाई है. मजबूरी में सोनिया गांधी ही पार्टी की कमान संभाले हैं. जानकार मानते हैं कि कांग्रेस (Congress) दुर्गति के दौर में है. ऐसे में देश के वोटरों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर यह पार्टी यहां तक कैसे पहुंची. आइए इसे विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं.-:
कांग्रेस (Congress) के 'डूबने' के 5 कारण
मुस्लिम तुष्टिकरण | वोट बैंक की चिंता में कांग्रेस (Congress) ने तीन तलाक जैसी सामाजिक कुरीति का विरोध किया. |
हिंदुत्व का विरोध | एक खास वर्ग में लोकप्रिय बने रहने के लिए कांग्रेस (Congress) भगवा आतंक की थ्योरी लेकर आई और अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनाम रामजन्म भूमि केस में फैसला जल्द आने में अड़ंगा लगाया. |
राष्ट्रविरोधी छवि | कांग्रेस (Congress) ने जम्मू कश्मीर और अनुच्छेद 370 पर पाकिस्तान जैसी सोच दिखाई. |
सेना पर सवाल | कांग्रेस (Congress) राजनीतिक विरोध में सेना के शौर्य की कहानी सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक पर सवाल खड़े करने से नहीं चूकी. |
देश का अपमान | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करते-करते कांग्रेस (Congress)ी नेता कब भारत विरोधी बातें करने लगे उन्हें पता ही नहीं चला. |
इन आंकड़ों में समझिए कांग्रेस की दुर्गति
पार्टी पर एक परिवार का रहा वर्चस्व, यहीं से बनते रहे अध्यक्ष
मोतीलाल नेहरू | 2 साल |
जवाहर लाल नेहरू | 6 साल |
इंदिरा गांधी | 8 साल |
राजीव गांधी | 7 साल |
सोनिया गांधी | 19 साल |
राहुल गांधी | 2 साल |
वोट शेयर के आंकड़ों से समझें, कैसे सिमट रही है कांग्रेस
वर्ष | सीट | वोट(%) |
1951 | 364 | 44.99 |
1957 | 371 | 47.78 |
1967 | 283 | 40.78 |
1971 | 352 | 43.68 |
1980 | 353 | 42.69 |
1984 | 404 | 49.10 |
1989 | 197 | 39.53 |
1991 | 232 | 36.26 |
1996 | 140 | 28.08 |
1998 | 141 | 25.82 |
1999 | 114 | 28.03 |
2004 | 145 | 26.53 |
2009 | 206 | 28.55 |
2014 | 44 | 19.52 |
2019 | 52 | 19.05 |
1936 से अब तक कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष |
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अध्यक्ष कार्यकाल |
जवाहरलाल नेहरू 1936-1937 |
सुभाष चन्द्र बोस 1938-1939 |
अबुल कलाम आज़ाद 1940-1946 |
जवाहरलाल नेहरू 1951-1954 |
यूएन ढेबर 1955-1959 |
इंदिरा गांधी 1959 |
नीलम संजीव रेड्डी 1960-1963 |
के. कामराज 1964-1967 |
एस निजलिंगप्पा 1968-1969 |
जगजीवन राम 1970-1971 |
शंकरदयाल शर्मा 1972-1974 |
देव कांत बरुआ 1975-1977 |
इंदिरा गांधी 1978-1984 |
राजीव गांधी 1985-1991 |
पी. वी. नरसिम्हा राव 1992-1996 |
सीताराम केसरी 1996-1998 |
सोनिया गांधी 1998-2017 |
राहुल गांधी 2017- 2019 |
सोनिया गांधी अगस्त 2019 से |
राहुल गांधी के नेतृत्व में कैसे डूबी कांग्रेस (Congress)
राहुल गांधी: पार्ट टाइम नेता?
2014: | लोकसभा चुनाव में कांग्रेस (Congress) 44 सीटों पर सिमट गई. पार्टी के नेता और कार्यकर्ता खुद को संभाल नहीं पा रहे थे, लेकिन राहुल गांधी जून में विदेश चले गए. |
2015: | बिहार विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार ने कांग्रेस (Congress) को साथ लेकर बीजेपी से भिड़ रहे थे, तभी राहुल गांधी अमेरिका चले गए. |
2016: | नवंबर में नोटबंदी होने के बाद कांग्रेस (Congress) मोदी सरकार पर हमले कर रही थी, राहुल गांधी विदेश में नए साल का जश्न मना रहे थे. |
2018: | त्रिपुरा, मेघालय चुनाव में कांग्रेस (Congress) की करारी हार हुई थी. इस हार की घड़ी में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के बजाय राहुल गांधी छुट्टी मनाने इटली चले गए. |
2019: | जुलाई में राहुल गांधी के अचानक अध्यक्ष पद छोड़ने पर पार्टी नए अध्यक्ष की तलाश कर रही थी, लेकिन राहुल खुद अमेरिका की यात्रा पर चले गए. |