Hollywood Film: इन दिनों टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भारतीय फिल्मों की चर्चा तो है ही, मगर एक ऐसी हॉलीवुड फिल्म भी धूम मचा रही है, जिसका जबर्दस्त इंडिया कनेक्शन है. जानिए...
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Bhimrao Ramji Ambedkar: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बाद अब संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की कहानी हॉलीवुड पहुंच गई है. निर्देशक एवा डुवर्नै की फिल्म ओरिजिन (Film Origin) इन दिनों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूम मचा रही है. हाल में प्रतिष्ठित वेनिस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म की स्क्रीनिंग हुई. इसके साथ एवा डुवर्नै बीते 80 साल के इतिहास में पहली अफ्रीकी-अमेरिकी महिला बनीं, जिनकी फिल्म का वेनिस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर हुआ. ओरिजिन पहली ऐसी हॉलीवुड फिल्म है, जिसमें बी.आर. अंबेडकर की कहानी को बताया गया है. हाल में फिल्म को टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (TIIFF) में भी दिखाया गया और वहां इसे स्टैंडिंग ओवेशन मिला.
भेदभाव के खिलाफ
यूं तो टोरंटों फिल्म फेस्टविल में भारत से डियर जस्सी, किल, थैंक यू फॉर कमिंग (Thank You For Coming), लापता लेडीज (Laapata Ladies), स्थल/अ मैच और वसुधैव कुटुंबकम जैसी फिल्मों के शो की चर्चा है. लेकिन ओरिजिन की चर्चा बी.आर. अंबेडकर के कारण वहां भी हो रही है. ओरिजन असल में दुनिया भर में सामाजिक भेदभाव तथा असमानताओं की कहानियां बताती है. इसमें कोनी नीलसन, जॉन बर्नथल, वेरा फार्मिगा, आंजन्यू एलिस-टेलर और विक्टोरिया पेड्रेटी जैसे कलाकार हैं. दुनिया के फिल्म महोत्सवों में इसके प्रशंसकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. यह फिल्म इसाबेल विल्कर्सन की किताब कास्ट: द ओरिजिन्स ऑफ अवर डिसकंटेंट्स पर आधारित है. फिल्म में अमेरिकी नस्लवाद, भारत की जाति आधारित व्यवस्था (Indian Caste System) और नाजियों (Nazi) द्वारा यहूदियों के खिलाफ भेदभाव की कहानियों को तथ्यात्मक रूप से दिखाया गया है.
जीवन संघर्ष और उपलब्धियां
ओरजिन में गौरव जे.पठानिया ने बी.आर.अंबेडकर की भूमिका निभाई है और उनका काम सराहा जा रहा है. गरीबी में पले-बढ़े डॉ. अंबेडकर दलित विद्वान थे. उन्हें भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है. ओरिजिन में उनके जीवन तथा करियर की उपलब्धियों को दिखाया गया है. साथ ही बचपन की कठिनाइयां तथा संघर्ष भी दिखाए गए हैं. यह भी बताया गया है कि दलित होने के कारण उन्हें अपनी कक्षा के फर्श पर बैठने के लिए मजबूर किया गया था. निर्देशक एवा डुवर्नै के अनुसार, फिल्म में अलग-अलग देशों की ऐसी कहानियां, जहां समाज के किसी वर्ग से उसके रंग, जाति या नस्ल के आधार पर भेदभाव किया गया. लेकिन लोगों ने हार नहीं मानी और खुद अपने तथा अपने जैसे अन्य लोगों की बराबरी के लिए संघर्ष किया.