हीरो बनते-बनते रह गए थे Jagjit Singh, जानें वो अनसुना किस्सा
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हीरो बनते-बनते रह गए थे Jagjit Singh, जानें वो अनसुना किस्सा

आज हिन्दुस्तान के मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह (Jagjit Singh) को गुजरे नौ साल हो गए हैं. आज भी तमाम मंचों पर लोग उनकी गजलों की फरमाइश करते हैं. उन्हें सुनते और सुनाते हैं.

जगजीत सिंह (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः आज हिन्दुस्तान के मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह (Jagjit Singh) को गुजरे नौ साल हो गए हैं. जगजीत सिंह की गजलें आज भी उतनी ही पसंद की जाती हैं, जितनी पहले की जाती थीं. आज भी तमाम मंचों पर लोग उनकी गजलों की फरमाइश करते हैं. उन्हें सुनते और सुनाते हैं. जगजीत सिंह 70 के दशक में खूब मशहूर हुए थे. जगजीत सिंह का असली नाम था जगमोहन सिंह धीमन.

  1. पिता चाहते थे कि बेटा इंजीनियर बने
  2. संगीत का शौक पूरा करने पहुंचे मुंबई
  3. हीरो बनने का मिला ऑफर
  4. फिल्मों में नहीं मिला चांस
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पिता चाहते थे कि बेटा इंजीनियर बने
जगजीत राजस्थान के गंगानगर में पले-बढ़े थे. उनके पिता उन्हें इंजीनियर या आइएएस बनाना चाहते थे. जगजीत ने इंजीनियरिंग करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. पिताजी का मन रखने के लिए जालंधर यूनवर्सिटी पढ़ाई करने पहुंच गए. उनके हॉस्टल के कमरे में किताबों से ज्यादा जगह उनके म्युजिक स्ट्रूमेंट ने ले रखी थी. वह अपने कॉलेज के हर समारोह में गाते थे. वह जालंधर रेडियो के लिए भी गाया करते थे. वहीं से उन्होंने संगीत की बाकायदा तालीम लेनी शुरू की थी. उन्हें पता था, उनके पिताजी को यह बात अच्छी नहीं लगेगी कि उनका बेटा पढ़ाई छोड़ कर गवैया बनने की तैयारी कर रह रहा है.

संगीत का शौक पूरा करने पहुंचे मुंबई
कॉलेज के बाद जगजीत को लगा कि अगर वह घर जाएंगे तो कभी उनका सिंगर बनने का सपना पूरा नहीं हो पाएगा. इसलिए उन्होंने मुंबई जाने का निर्णय किया. शुरू में बहुत पापड़ बेले. रात को होटलों में गाना गाने लगे, ताकि मुफ्त में खाना मिल सके. इसके बाद उन्हें विज्ञापन फिल्मों में जिंगल गाने का मौका मिला.

हीरो बनने का मिला ऑफर
जगजीत अकसर पार्टियों में गजलें और गाने गाते थे. तब अजीज मर्चेंट गुजराती फिल्मों में संगीतकार थे. उन्हें अकसर पार्टियों में जगजीत मिल जाते थे. उन्होंने एक बार जगजीत से कहा कि उनके पास जगजीत के लिए एक फिल्म में बहुत दिलचस्प काम है, जिसमें पैसे भी उन्हें अच्छे मिलेंगे. तय हुआ कि वह जगजीत को एक फिल्म के निर्माता से मिलाने ले चलेंगे. जगजीत बहुत खुश हो गए कि उन्हें फिल्मों में गाने का मौका मिलने वाला है. जब वे निर्माता से मिले तो पता चला कि वह उन्हें गुजराती फिल्मों में हीरो का काम देना चाहते थे. जगजीत की कद काठी अच्छी थी, आवाज भी अच्छी थी. आखिर मर्चेंट को नए हीरो की तलाश थी. पर जगजीत ने हीरो बनने से यह कह कर मना कर दिया कि वह इस काम के लिए बिलकुल सही नहीं हैं. वे फिल्मों में सिर्फ गाने गा सकते हैं. जगजीत के इसरार करने पर उन्हें उस गुजराती फिल्म में भजन गवा लिया गया.

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फिल्मों में नहीं मिला चांस

सत्तर के दशक में फिल्म इंडस्ट्री में किशोर कुमार और मोहम्मद रफी का बोलबाला था. जगजीत सिंह और उनकी पत्नी चित्रा सिंह ने तय किया कि वे प्लेबैक सिंगर न बन कर गजल सिंगर बनेंगे. 1976 में उन्होंने अपना पहला गजल एल्बम ‘द अनफॉरगेटेबल’ लॉन्च किया. इस एल्बम ने उन्हें रातोंरात सितारा बना दिया. इसके बाद उन्हें पीछे मुड़ कर कभी देखने की जरूरत नहीं पड़ी.

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