महेश भट्ट के जन्मदिन पर जानिए उनकी 10 दिलचस्प और अनसुनी कहानियां
ये 2004-05 की बात है, जो लोग इंटरनेट पर पोर्न देखने लगे थे, उनमें से भी 5-10 फीसदी ही जानते थे कि सनी लियोनी नाम की एक लड़की भारतीय भी है. लेकिन महेश भट्ट ने उसे रातों रात मशहूर बना दिया उसको अपनी मूवी 'कलयुग' का ऑफर देकर. उस वक्त उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि सनी लियोनी की फीस तब इतनी ज्यादा थी कि उसने हम देने में सक्षम नहीं थे. तो ये मामला वहीं खत्म हो गया लेकिन सनी लियोनी की मांग पोर्न पसंद करने वाले भारतीयों में बढ़ गई और उनके वीडियोज को मिलने वाले हिट्स भी. दिलचस्प बात ये थी कि महेश भट्ट के बेटे राहुल का निकनेम भी सनी ही था. अचानक 2011 में जब सनी लियोन 'बिग बॉस' के घर में एंट्री करती हैं, महेश भट्ट उनसे मिलने पहुंच जाते हैं और अपनी मूवी 'जिस्म 2' के लिए उन्हें वहीं साइन कर लेते हैं, ये पहली बॉलीवुड एंट्री थी, जिसे पूरी दुनिया ने टीवी पर देखा था. महेश भट्ट नहीं चाहते थे कि उनकी खोज पर कोई और बॉलीवुड डायरेक्टर कल को अपना ठप्पा लगा दे.
वो लम्हे, आवारापन, धोखा, शोबिज, मर्डर 2, जन्नत 2, जिस्म 2 और आशिकी 2 जैसी भट्ट कैम्प की फिल्मों को लिखने वाली शगुफ्ता रफीक की कहानी भी सनी लियोनी जैसी है. फर्क बस इतना है कि सनी लियोनी खुद अपनी मर्जी से इंडस्ट्री में गईं, शगुफ्ता को उनकी गरीबी ले गई. 2005 में परवीन बॉबी की मौत ने शगुफ्ता रफीक को जैसे नया जीवन दे दिया. महेश भट्ट ने फौरन बॉबी पर फिल्म बनाने का ऐलान कर दिया और वायदे के मुताबिक मौका दिया पचास के दशक की हीरोइन अनवरी बेगम की गोद ली हुई लड़की शगुफ्ता को. फिल्म का नाम रखा गया- 'वो लम्हे'. राइटर ही नया नहीं था, हीरो-हीरोइन भी नए ही थे, महेश भट्ट ने कंगना और शाइनी के साथ शगुफ्ता भी दांव लगा दिया और लॉटरी लग ही गई. डायलॉग्स और स्क्रीन प्ले शगुफ्ता के जिम्मे था, उसके बाद 'आवारापन' और 'धोखा' में भी यही जिम्मेदारी दी गई. डिनो-बिपाशा की फिल्म 'राज 2' की तो स्क्रिप्ट भी शगुफ्ता से ही लिखवाई गई. उसके बाद भट्ट कैम्प की हर फिल्म शगुफ्ता के झोली में गिरती चली गई कजरारे, जश्न और शोबिज भी. शगुफ्ता की मां कोलकाता के एक बिजनेसमेन की बीवी थीं, लेकिन वो अपनी पहली बीवी और बच्चों को ही तबज्जो देता था. उसकी मौत के बाद पैसा मिलना भी बंद हो गया. शगुफ्ता गोद ली हुई बेटी थी, घर में अचानक गरीबी आ गई, पहले मां ने उनसे शादी के फंक्शंस में डांस के लिए भेजना शुरू किया, आर्थिक तंगी के चलते वो बीयर बारों में गाने लगीं, 17 साल की उम्र में वो एक बिजनेसमेन के साथ रहने लगीं, यहां तक कि बाद में प्रॉस्टीट्यूशन के फील्ड में भी उतर गई. लेकिन उसको राइटर बनने का जुनून था, जिसके चलते वो मुंबई में अलग अलग प्रोडक्शन हाउसेज में चक्कर लगाने लगी और महेश भट्ट से एक मुलाकात ने उसकी किस्मत बदल दी. आज वो फिल्म इंडस्ट्री की जानी मानी राइटर हैं.
अक्षय कुमार को पहली मूवी जिसमें कोई रोल करने को मिला, वो थी महेश भट्ट की मूवी 'आज'. उसमें भी उनका रोल बेहद छोटा था, मश्किल से 10 या 20 सेकंड का. वो छोटा सा रोल भी बाद में काट दिया गया था. महेश भट्ट की इस मूवी में कुमार गौरव हीरो थे, उनके किरदार का नाम था अक्षय, ये नाम राजीव भाटिया को इतना पसंद आया कि उन्होंने अपना स्क्रीन नेम अक्षय कुमार रख लिया, लेकिन मूवी हाथ से निकल गई.
'आशिकी' फिल्म की रिलीज के 30 साल हुए तो राहुल रॉय, अनु अग्रवाल के साथ दीपक को भी कपिल शर्मा के शो में जब बुलाया गया तो कपिल ने उनकी दुखती रग पर हाथ रख दिया ये कहकर कि तब हर कोई चाहता था कि आपके जैसा दोस्त मिले, आप भी लम्बे चौड़े स्मार्ट थे, तो भट्ट साहब ने आपको हीरो का ऑफर नहीं दिया? सुनते ही फट पड़े थे दीपक तिजोरी, 'भट्ट साहब स्ट्रगलर्स के साथ गंदा गेम खेलते थे. हम स्ट्रगलर्स का एक ग्रुप था, जब आशिकी के लिए हीरो की तलाश थी, तो भट्ट साहब बोले तुम लोग सब आपसे में तय कर लो कि हीरो कौन बनेगा, मैं थोड़ी देर में आता हूं', ऐसे में कौन दूसरे का नाम देता, राहुल रॉय बाहर से आया और हीरो बन गया.
महेश भट्ट ने रेडियो मिर्ची को दिए अपने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि कैसे उन्होंने और कबीर बेदी ने एलएसडी ड्रग्स लिया था, और कैसे उनको फिर दो ढाई साल बाद उस लत से छुटकारा पाने के लिए ओशो रजनीश के आश्रम में जाना पड़ गया था. लेकिन वहां जाने का कोई फायदा नही मिला था. हालांकि बाद में जब परवीन बॉबी एक सीरियस मानसिक बीमारी की गिरफ्त में आ गईं तो मनोचिकित्सक की सलाह पर उन्होंने परवीन पर भी ड्रग थैरेपी आजमाई थी, इसका राज भी परवीन की मौत के बाद एक इंटरव्यू में खोला था. महेश भट्ट की बेटी पूजा भट्ट भी अरसे तक एल्कोहल की लत की शिकार रही थीं.
महेश भट्ट आम तौर पर रीयल लाइफ स्टोरीज से कहानियां चुनकर फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं, अपनी कई प्रेम कहानियों पर उन्होंने फिल्में बनाई हैं, कंगना को भी उन्होंने जिस मूवी 'वो लम्हे' के जरिए हीरोइन बनाया था, वो भी उनके और परवीन बॉबी के रिश्तों पर आधारित थी. जब उन्होंने रेखा को 'हंसनी' मूवी का प्रस्ताव दिया था, तो वो मना नहीं कर पाईं. लेकिन लोग बताते हैं कि महेश भट्ट का इरादा शायद इस मूवी के जरिए रेखा की जिंदगी की कुछ सच्चाइयों को सामने लाना था यानी इस उम्र में वो कैसे रहती हैं, अपने अतीत को कैसे लेती हैं और कैसे खूबसूरती बनाए रखती हैं. वो कहानी थी एक ऐसी एक्ट्रेस की जो अब बूढ़ी हो रही है, और शायद रेखा नहीं चाहती थीं कि फिल्म के बहाने लोग उनकी निजी जिंदगी पर चर्चा करें क्योंकि कहा जाता है कि रेखा अपनी फिल्म के प्रोजेक्ट्स के लिए किसी को घर पर नहीं बुलातीं, बल्कि अपने बंगले के पास वाले रेस्तरां में ही मिलती हैं. ऐसे में वो तमाम कहानियां अपने बारे में मीडिया में नहीं चाहती थीं, 1994 में ही ये प्रोजेक्ट डब्बे में बंद हो गया
पूरा देश पूजा भट्ट को आलिया भट्ट की सगी बहन समझता है, जबकि सगी हैं शाहीन भट्ट, महेश भट्ट औऱ सोनी राजदान की पहली बेटी और आलिया की बड़ी बहन. 13 साल की उम्र से ही डिप्रेशन का शिकार रहीं शाहीन ने अपने डिप्रेशन पर एक किताब ही लिख डाली- आई हैव नैवर बीन (अन) हैप्पीयर. शाहीन ने 'जहर' और 'जिस्म 2' के कुछ सींस भी लिखे, 'सन ऑफ सरदार' की को-राइटर रहीं, 'राज 3' की असिस्टेंट डायरेक्टर रहीं. लंदन में फिल्म मेकिंग और एडीटिंग का कोर्स भी किया, लेकिन परदे पर आने से परहेज ही करती रहीं.
बॉलीवुड के इन हंसते चेहरों और गलबहियों के पीछे ना जाने कितनी दिलचस्प कहानियां छुपी हुई हैं. श्रीदेवी और संजय दत्त के झगड़े की कहानी भी लोग कम ही जानते हैं. 'हिम्मतवाला' के सैट पर एक बार जब संजय दत्त पहुंचे तो उनकी मुलाकात पहली बार श्रीदेवी से हुई. उस वक्त संजू बाबा ड्रग एडिक्ट हुआ करते थे, ड्रग और बाप की दौलत के नशे में चूर. उन्होंने श्रीदेवी को कोई भाव नहीं दिया और श्रीदेवी ने इस बात को कुछ ज्यादा ही भाव दे दिया. उसके बाद कभी संजय दत्त के साथ ना बात की और ना फिल्म. एक फिल्म 'जमीन' संजय दत्त के साथ साइन भी की तो शर्त रखी, एक भी सीन संजू के साथ नहीं होना चाहिए. फिल्म कभी रिलीज नहीं हो पाई. फिर जब संजय का कैरियर पीक पर था और श्रीदेवी का ढलान पर तो महेश भट्ट ने उन्हें 'गुमराह' में संजय दत्त के साथ काम करने को राजी कर लिया. शूटिंग के दौरान भी वो संजय से केवल काम की बात करती थीं. फिल्म तो सुपरहिट हुई लेकिन श्रीदेवी अपने रोल से खुश नहीं थी, उनको लगा संजू बाबा को महेश भट्ट ने ज्यादा ही तबज्जो दी थी. उसके बाद नाराज श्रीदेवी ने ना कभी महेश भट्ट के साथ काम किया और ना ही संजय दत्त के साथ.
एक इंटरव्यू में महेश भट्ट ने खुद ये माना था कि उनको पता ही नहीं कि बाप क्या होता है. पहले जान लीजिए कि महेश भट्ट ने ऐसा क्यों कहा? दरअसल महेश भट्ट खुद को एक नाजायज औलाद कहते आए हैं, उनकी मां एक गुजराती मुस्लिम थीं, नाम था शिरीन मोहम्मद अली, उनके अफेयर से महेश भट्ट और मुकेश भट्ट पैदा हुए थे. नाम जरूर पिता ने दिए थे, लेकिन मां से शादी नहीं की. इसलिए महेश भट्ट को जब ये पता चला कि उनके पिता ने उनका नाम 'महेश' दिया है और उनका नाम शिव भगवान पर है और उन्हीं शिव भगवान ने अपने बेटे गणेश की गर्दन काट दी थी, तो वो शिव भगवान को भी नापसंद करने लगे थे लेकिन गणेशजी की एक छोटी सी मूर्ति साथ लेकर सोते थे. उनके पिता थे नानाभाई भट्ट, जो गुजराती हिंदी फिल्ममेकर थे. पहली बार अपनी मूवी 'मुकाबला' में नाडिया का डबल रोल दिया था, बॉलीवुड में ऐसा करने वाले वो पहले थे. बाद में उन्होंने हेमलता भट्ट से शादी की, और जिनसे रॉबिन भट्ट, परमेश भट्ट, हिना सूरी आदि पैदा हुए, इन्हीं हिना सूरी के परिवार से मोहित सूरी हैं.
2018 में मुंबई की मकोका कोर्ट ने उन 10 लोगों को पांच- पांच साल की सजा सुनाई, जिन्होंने महेश भट्ट की हत्या की साजिश रची थी. दरअसल ये सभी रवि पुजारी गैंग के लोग थे. दरअसल शुरूआत हुई इसी गैंग के ओबेद मर्चेन्ट के मोरानी ब्रदर्स से झगड़े से, वो मोरानी की मूवी 'हैप्पी न्यू ईयर' का ओवरसीज राइट्स मांग रहा था. मोरानी ब्रदर्स के ऊपर गोली चलाई गई, तो महेश भट्ट ने भी खुलासा किया कि कैसे 2006 में उन्हें रवि पुजारी ने फोन पर धमकी दी थी, 2007 में पूजा भट्ट की मूवी 'धोखा' रिलीज होने के बाद भी धमकी मिली. इस खुलासे के बाद मुंबई पुलिस ने इन लोगों को नवम्बर 2014 में गिरफ्तार कर लिया, जब ये महेश भट्ट के खार वाले घर पर पर हमले की योजना बना रहे थे.
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