देवानंद (Dev Anand) की फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ का वो गाना, जो 70 के दशक में युवा दिलों का एंथम बन गया था.
दरअसल, तमाम फिल्मों में हीरो रहने के बाद देवानंद ने फिल्म डायरेक्टर का हैट पहना, हालांकि माना जाता था कि वो आमिर खान की तरह अपनी कई फिल्मों के घोस्ट डायरेक्टर रह चुके थे. शुरुआत हुई 1970 में फिल्म ‘प्रेम पुजारी’ से, उनके साथ थीं वहीदा रहमान. इस मूवी में उनका रोल था एक ऐसे युवा ‘रामदेव’ का, जिसको उसका फौजी पिता जबरन सेना में भेज देता है, लेकिन वो शांतिप्रिय था, खून बहाना उसे अच्छा नहीं लगता था. चीन के युद्ध के बाद उसके कोर्टमार्शल की तैयारी होती है, क्योंकि वो युद्ध से भाग जाता है, लेकिन वो कोर्टमार्शल होने से पहले वहां से भी भाग निकलता है.
तब उसे मिलती है एक तिब्बती लड़की रानी (जहीदा) और तब दोनों की दोस्ती हो जाती है, लेकिन रानी असल में चीनी जासूस थी. बिना उसकी सच्चाई जाने रामदेव कई तरह की मदद करता है, लेकिन जब उसे सच का पता चलता है, तो उसकी देशभक्ति जग जाती है और वो भी उनकी मदद के बहाने उनकी साजिश का पता लगाकर देश की मदद करता है. वो फिर सेना में शामिल होता है और शांति का चोला छोड़कर 1965 के युद्ध में दमदार तरीके से लड़ता है. इस मूवी में भारतीयों के प्रति चीन की नफरत को साफ-साफ दिखाया गया था. इस वजह से इस मूवी को लेकर नेपाल के कम्युनिस्टों ने बहिष्कार का आव्हान किया.
नेपाल में देवानंद की मूवीज काफी पसंद की जाती थीं, लेकिन चीनी पैसे पर पल रहे वहां के कम्युनिस्टों ने देवानंद की मूवी ‘प्रेम पुजारी’ के पोस्टर्स जला दिए. कई जगह फिल्म लगने ही नहीं दी. देवानंद की बतौर डायरेक्टर ये पहली मूवी थी, इसलिए वो काफी इमोशनल थे, लेकिन जब उन्हें लगा कि काफी नुकसान हो गया है, तो वो एक बार नेपाल भी गए. वहां काफी कोशिश की कि फिल्म सही से चल सके, लेकिन काफी नुकसान हो गया. ऐसे में देवानंद को नेपाल के कम्युनिस्टों से नफरत हो गई.
वो कुछ दिन वहीं रुके और नेपाल के अलग-अलग हिस्सों में, खासतौर पर काठमांडू शहर के कई इलाकों में कम्युनिस्टों के तौर तरीकों के बारे में जानकारी जुटाने लगे. उन्हें पता लगा कि चीनी ड्रग्स का इस्तेमाल करके वो लोग नेपाली युवाओं का जीवन खराब कर रहे हैं, वो ऐसे कई हिप्पियों के दलों से मिले, जो विदेशी थे, लेकिन सस्ती चीनी ड्रग्स से नेपाली, भारतीय युवकों को नशे का आदी बना रहे थे.
देवानंद को न केवल अगली मूवी बनाने का आइडिया सूझा, बल्कि बदला लेने का भी, इसलिए ऐसे लिखी गई ‘हरे रामा हरे कृष्णा’, जो कुछ भी उन्होंने देखा था. वो खुद ही एक स्क्रिप्ट के तौर पर लिख डाला और फिर काठमांडू में ही फिल्माया ‘दम मारो दम’. सुपरहिट गई ये मूवी, जीनत अमान जैसा नगीना फिल्म इंडस्ट्री को मिला और नेपाल सरकार की काफी किरकिरी भी हुई. इसका म्यूजिक और गाने तो दशकों तक लोगों की जुबान पर रहे. कई बार ये गाना रीमिक्स हो चुका है और आज की पीढ़ी ने ये गाना दीपिका पादुकोण के रीमिक्स वर्जन में ही देखा है.
(फोटो साभारः सारी तस्वीरें सोशल नेटवर्किंग साइट इंस्टाग्राम से ली गई हैं)
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