करीब 300 फिल्मों में 1500 गीत लिखने वाले अंजान का आज जन्मदिन है. उन्होंने ‘खाइके पान बनारस वाला’ वाला जैसे कई हिट गाने दिए. 3 सितंबर, 1997 को 66 वर्ष की उम्र में गीतकार अंजान इस दुनिया को अलविदा कह गए.
बीएचयू में पढ़ाई के दौरान अनजान को कविता और गीत लिखने का शौक लग गया था. धीरे-धीरे वे अपने शायराना अंदाज की वजह से दोस्तों के बीच काफी लोकप्रिय हो गए.
अंजान बनारस में होने वाले लगभग हर कवि सम्मेलनों-मुशायरों में भाग लिया करते थे. एक बार प्रसिद्ध गायक मुकेश बनारस आए, इस दौरान उनकी अनजान से मुलाकात हुई. उन्होंने जब अनजान की शायरियां सुनी तो उन्हें फिल्मों के लिए गीत लिखने की सलाह दी.
उन दिनों वे अस्थमा बीमारी से परेशान थे, जिस वजह से उन्हें बनारस छोड़ मुंबई जाना पड़ा. डॉक्टरों ने उन्हें सलाह दी कि उन्हें समुद्र के आस-पास रहने की जरूरत है. इससे अस्थमा कंट्रोल में रहेगा. बेहतर आबो-हवा के लिए अनजान 1953 में मुंबई में बस गए.
मुंबई आने के बाद अनजान ने मुकेश से मुलाकात की, जिसके बाद मुकेश ने उन्हें फिल्म निर्माता प्रेमनाथ से मिलवाया. इस तरह उन्हें पहली फिल्म ‘प्रिजनर ऑफ गोलकोंडा’ में काम मिला और उन्होंने इस फिल्म में 500 रुपये कमाए.
फिल्मों में काम के लिए अंजान को काफी मशक्कत करनी पड़ी. शुरुआती दिनों में उनके पास घर भी नहीं था. उन्होंने काफी समय तक लोकल ट्रेनों में रात गुजारी.
अंजान को सफलता की सारी ऊंचाईयों पर अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म ‘डॉन' ने पहुंचाया था. ‘खाइके पान बनारस वाला’ गाना भी अंजान ने लिखा. अंजान ने अपने कॅरियर में उस समय के लगभग सभी दिग्गज संगीतकारों के साथ काम किया था.
अंजान ने ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘शराबी’, ‘नमक हलाल’ और ‘याराना’ जैसी बड़ी हिट फिल्मों में उन्होंने काम किया. ‘ओ खाइके पान बनारस वाला’, ‘मुझे नौ लखा मंगा दे रे’, ‘तेरे जैसा यार कहां’, ‘छू कर मेरे मन को’, ‘मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है’ ‘इंतहा हो गई इंतज़ार की’, और ‘गोरी हैं कलाईयां तू ला दे मुझे हरी हरी चूड़ियां’, जैसे यादगार गीत हैं.
ट्रेन्डिंग फोटोज़