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मिथुन की इस मूवी के 25 साल, इसके लिए उन्हें मिला था 'बेस्ट विलेन' का फिल्मफेयर अवॉर्ड

ये मूवी मिथुन चक्रवर्ती के लिए इसलिए खास थी, क्योंकि उस वक्त के दो-दो प्रतिष्ठित अवॉर्ड फंक्शंस में इस रोल के लिए मिथुन को बेस्ट परफॉर्मेंस इन नेगेटिव रोल के अवॉर्ड मिले थे. आज जानिए इस मूवी की कहानी और दिलचस्प जानकारियां.

कहानी ‘अमावस’ और ‘क्रांति’ की

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कहानी ‘अमावस’ और ‘क्रांति’ की

इस मूवी में मिथुन चक्रवर्ती का डबल रोल था. एक पॉजीटिव और एक नेगेटिव. युवा मिथुन एक पुलिस इंस्पेक्टर होता है, नाम था क्रांति कुमार, जब उसकी एक लड़की से शादी तय हो जाती है, तो कोई उस लड़की के घर वालों को ये कहकर कि मिथुन का बाप असली नहीं, उनकी शादी तुड़वा देता है. तब क्रांति पता करने निकलता है कि उसका असली बाप कौन है. अब शुरू होता मिथुन का ‘मिशन पापा’, अपने नाना से अपनी मां की, अपने नाजायज बाप हकीकत जानकर मिथुन के पैरों तले जमीन खिसक जाती है.

उसके पिता ने उसकी मां को ड्रग्स मिलाकर कोल्ड ड्रिंक पिलाई थी, और फिर रेप कर दिया. पिता का रोल भी मिथुन ने ही किया था, नाम भी खतरनाक था ‘अमावस’.  एक चुनाव जीतने के बाद वो क्रांति की मां को पहचानने से इनकार कर देता है, अब अपने पिता अमावस से कैसे बदला लेता है क्रांति, उसी की कहानी है ‘जल्लाद’, लेकिन जैसा नाम वैसा ही किरदार था अमावस यानी मिथुन का. हमेशा हीरो का रोल करने वाले मिथुन ने विलेन के रोल में बॉलीवुड के सारे विलेन्स को हैरान कर दिया.

हीरो मिथुन को मिले नेगेटिव रोल के लिए दो-दो बड़े अवॉर्ड्स

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हीरो मिथुन को मिले नेगेटिव रोल के लिए दो-दो बड़े अवॉर्ड्स

मिथुन के इसी खतरनाक रोल के चलते उनके हिस्से में ये अवॉर्ड आए. उस वक्त के दो-दो प्रतिष्ठित अवॉर्ड फंक्शंस में इस रोल के लिए मिथुन को ‘बेस्ट परफॉर्मेंस इन नेगेटिव रोल’ के अवॉर्ड मिले थे. फिल्म फेयर अवॉर्ड्स में भी मिला और स्क्रीन अवॉर्ड्स में भी मिला. दरअसल जल्लाद एक तमिल मूवी ‘अमैधी पैदाई’ का ऑफीशियल रीमेक था. विलेन का लुक करुणानिधि से मिलता जुलता था. वो भी एक छोटे से आदमी से इतने बड़े नेता बने थे. उसी लुक को जल्लाद में मिथुन चक्रवर्ती के रोल अमावस के लिए रखा गया था.

डायरेक्टर टीएलवी प्रसाद और मिथुन का नाम लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में क्यों है!

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डायरेक्टर टीएलवी प्रसाद और मिथुन का नाम लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में क्यों है!

फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छी चली, यूं ही कोई फिल्म फिल्मफेयर में नहीं जाती. उनके साथ इस मूवी में हीरोइन के तौर पर थीं दिव्या भारती की लुकलाइक रम्भा और डायरेक्टर थे टीएलवी प्रसाद. दरअसल टीएलवी प्रसाद तमाम तमिल, तेलुगु फिल्में करने के बाद हिंदी में उतरे थे, और दूसरी फिल्म से ही मिथुन उनके फेवरेट हो गए थे. करीब 20 फिल्में उन्होंने मिथुन के साथ बनाई थीं. बेहद कम समय में किसी अभिनेता के साथ इतनी ज्यादा फिल्में करने की केटगरी लिमका बुक में जोड़ी गई थी, जिसमें इन दोनों के नाम ये रिकॉर्ड शामिल किया गया. टीएलवी प्रसाद का फंडा एकदम क्लीयर था, हिंदी में बनाओ, तमिल, तेलुगु में डब करो, फिल्म का पैसा निकालना उन्हें आता था, लेकिन मिथुन ने उनके साथ तमाम ऊटपटांग फिल्में भी कर डाली और कुछ ‘जल्लाद’ जैसी बेहतरीन भी.

सनी देयोल, रीना रॉय और प्रतिभा सिन्हा ने क्यों छोड़ दी थी ‘जल्लाद’

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सनी देयोल, रीना रॉय और प्रतिभा सिन्हा ने क्यों छोड़ दी थी ‘जल्लाद’

यूं इस मूवी में पहले विलेन मिथुन के बॉडीगार्ड के तौर पर सनी देयोल को लिया गया था, जिसे बाद में हीरो मिथुन से हाथ मिलाना था, लेकिन सनी को लगा कि दो दो मिथुन के होते हुए शायद उनके रोल के लिए मूवी में ज्यादा गुंजाइश नहीं थी, सो इस वजह से वो मूवी से बाहर चले गए, उनके साथ उनकी हीरोइन प्रतिभा सिन्हा का रोल भी फिर खत्म ही कर दिया गया. ऐसे ही अमावस की पत्नी के रोल के लिए मौसमी चटर्जी की जगह रीना रॉय को लिया गया था, लेकिन रीना रॉय परदे पर मरना नहीं चाहती थीं, उन्होंने भी मूवी से निकलना ही बेहतर समया. इस मूवी में कादर खान, शक्ति कपूर, प्रेम चोपड़ा, पुनीत इस्सर और टीकू तलसानियां आदि कलाकार थे.

जल्लाद का म्यूजिक और 9 गायक

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जल्लाद का म्यूजिक और 9 गायक

जल्लाद का म्यूजिक दिया था आनंद-मिलिंद की जोड़ी ने और सारे गाने समीर ने लिखे थे. सभी गानों के लिए विनोद राठौड़, उदित नारायण, साधना सरगम, सपना मलिक, हरिहरण, अभिजीत भट्टाचार्य, पूर्णिमा और अलका याग्निक आदि ने अपनी आवाज दी थी, आंखों में क्या है... और चिनाई चुन चुन.. जैसे गाने उस वक्त काफी पसंद भी किए गए थे. 

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