जानिए 5 ऐसे स्टार्स की पहली सेलरी से जुड़ीं तमाम दिलचस्प जानकारियां, जिन लोगों ने बिना नेपोटिज्म के फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई.
अमिताभ बच्चन एक्टिंग करना चाहते थे, लेकिन कॉलेज के बाद नौकरी करने का दबाव था, सो कोलकाता की एक फर्म शॉ वालेस में मौका मिला तो वहां चले गए. बाद में दूसरी शिपिंग फर्म बर्ड एंड कंपनी में भी जॉब की. पहली नौकरी में उनको पहली सैलरी जो मिली थी, उसमें अमिताभ बच्चन को 480 रुपए मिलते थे. जब ‘पीकू’ की शूटिंग करने वो कोलकाता पहुंचे तो उन्होंने अपने उन शुरूआती दिनों की यादों को अपने ब्लॉग में ताजा किया. उन्होंने लिखा का 480 रुपए में से 350 तो बेड और लॉजिंग के चले जाते थे, खाने का खर्च अलग से देना होता था. उन दिनों वो विक्टोरिया मेमोरियल पर 2 रुपए में पानी पूरी खाकर पेट भर लिया करते थे और इंतजार होता था ऑफिस में अगले दिन मिलने वाले फ्री लंच का. वहीं वो थिएटर से जुड़ गए थे, और बाद में मृणाल सेन की मूवी ‘भुवन सोम’ में बतौर सूत्रधार उनकी आवाज इस्तेमाल की गई. ये तो थी उनकी पहली सैलरी लेकिन फिल्मों से उनकी पहली कमाई 5000 रुपए की हुई थी, जो उनकी पहली मूवी के लिए उनका जो अनुबंध हुआ था, उससे मिली थी. ‘सात हिंदुस्तानी’ के लिए उनका अनुबंध 5000 रुपये में हुआ था. यानी फिल्म चाहे कितने दिनों में भी बनकर तैयार हो कितने दिन भी शूटिंग हो, उनको 5000 रुपये ही मिलने थे.
शाहरुख खान ने कभी कहीं जॉब जैसा तो नहीं किया, लेकिन अपनी पहली कमाई के बारे मे जरूर एक बार अपने फैंस को बताया था. ‘इंडिया पूछेगा सबसे शाना कौन’ के ग्रांड फिनाले में शाहरुख ने अपनी पहली कमाई के बारे में बताया था और एक बार ट्विटर पर भी कि कैसे पंकज उधास के दिल्ली में होने वाले कंसर्ट में काम करने के लिए उन्हें पचास रुपए उन दिनों में मिले थे. उस कंसर्ट में उनका काम टिकट लेकर आए लोगों की टिकटें चैक करके उनको सही सीट तक पहुंचाने आदि का काम था. उस पैसे को लेकर शाहरुख खान इतने उत्साहित थे कि फौरन आगरा जाने का प्लान बना डाला. दरअसल शाहरूख खान को ताजमहल देखने का बहुत मन था, अपनी कमाई हाथ में आई तो वो फौरन आगरा के लिए निकल गए, लौटते वक्त रास्ते में कहीं गुलाबी लस्सी पी ली और उसके चलते वो बीमार भी हो गए थे. आज शाहरुख खान करोड़ों कमा के भी इतने खुश नहीं होते होंगे, जितना उनको ये पचास रुपए की पहली कमाई करके हुई थी.
अक्षय कुमार को बैंकाक के रेस्तरां में पहले वेटर का काम मिला था और फिर शेफ का, पहली सेलरी उन्हें 1500 रुपए मिली थी. बाद में उनको हीरो बनने का भूत सवार हुआ, भारत आए, फोटोग्राफर जय सेठ के साथ काम किया, अपना पोर्टफोलियो कई स्टूडियोज में दिया. बांद्रा कोर्ट में अपना नाम राजीव भाटिया से बदलकर अक्षय कुमार किया और मॉडलिंग असाइनमेंट करने लगे. स्टूडियोज के चक्कर लगाने लगे. आमिर खान की मूवी ‘जो जीता वही सिकंदर’ के लिए स्क्रीन टेस्ट दिया, रोल था विलेन का, उनको रिजेक्ट करके ये रोल दीपक तिजोरी को दे दिया गया. एक छोटा सा रोल महेश भट्ट ने फिल्म ‘आज’ में दिया, कुमार गौरव की इस मूवी में से भी वो रोल काट दिया गया. उस दिन वो बंगलौर के एक मॉडलिंग असाइनमेंट के लिए फ्लाइट पकड़ने एयरपोर्ट जा रहे थे. उनको नटराज स्टूडियो से एक परिचित का फोन आया कि आ जाओ अगर हीरो बनना है तो पहले तो उन्होंने टाल दिया, महंगी फ्लाइट छूट जाती और फिल्में तो मिल नहीं रही थीं. फिर भी ऐन वक्त पर उन्होंने फ्लाइट छोड़कर स्टूडियो जाने का फैसला किया. प्रमोद चक्रवर्ती से मुलाकात हुई, उन्होंने फौरन अक्षय कुमार को 3 फिल्मों के लिए साइन कर लिया. और तीन चेक भी दिए, पहली फिल्म के लिए 5000 रुपए, दूसरी फिल्म के लिए 50,000 रुपए और तीसरी फिल्म के लिए 1,50,000 रुपए का चैक. सो उनकी फिल्म से पहली कमाई केवल पांच हजार रुपए थी, जो 20-22 साल पहले अमिताभ बच्चन को उनकी पहली मूवी के लिए मिली थी.
मनोज बाजपेयी बिहार से दिल्ली आए थे, तीन बार एनएसडी में खारिज कर दिए गए थे. एक दौर तो आया था उनके दोस्त अगल बगल मे सोते थे कि कहीं सुसाइड ना कर ले. खाने तक को पैसे नहीं होते थे, ऐसे में बैरी जॉन को थिएटर में असिस्ट करने लगे, बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर उनकी पहली कमाई 1200 रुपए महीने थी. उसके बाद एक दिन उन्हें एक खटारा स्कूटर पर ढूंढ़ते हुए तिग्मांशु धूलिया आए, तब वो एक चाय की दुकान में बैठे थे, शेखर कपूर की ‘बैंडिट क्वीन’ में काम करने का ऑफर दिया, वो मुंबई निकल गए. उसके बाद फिर फाके पड़ गए, तो महेश भट्ट के एक टीवी सीरियल में एक रोल मिल गया था, जिसके उन्हें 1500 रुपए महीने के मिलने लगे थे. 4 साल के संघर्ष के बाद ये उनकी पहली स्थाई इनकम थी, जो कई साल तक मिलती रही. लेकिन रामू की ‘सत्या’ ने उनकी जिंदगी ही बदल दी.
धर्मेन्द्र पंजाब के एक गांव में रहते थे और एक स्कूल टीचर के बेटे थे. उनका सपना था फिल्मों में हीरो बनने का, पढ़ाई ना करने के चलते अक्सर अपने पिता से पिटते थे, लेकिन मां से इजाजत लेकर किसी तरह फिल्म फेयर टेलेंट हंट के लिए अपने फोटोज भेज दिए और टेलेंट हंट से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आने वाले पहले सुपरस्टार भी बन गए. उनको पहली मूवी दी अर्जुन हिंगोरानी ने, फिल्म का नाम था, ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’. इस मूवी में धर्मेन्द्र के साथ उस दौर के बड़े स्टार बलराज साहनी भी थे, हीरोइन थी कुमकुम. इस मूवी के लिए धर्मेंन्द्र को केवल 51 रुपए मिले थे. लेकिन ये फिल्म 1960 में रिलीज हुई थी, इसके 9 साल अमिताभ बच्चन को अपनी पहली फिल्म के लिए मिले 5000 रुपए इस रकम के मुकाबले काफी ज्यादा लगते हैं.
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