Poonam Pandey on Social Media Hate: पूनम पांडे ने शनिवार को खुलासा किया कि वह 'जीवित' हैं और सर्वाइकल कैंसर के बारे में जागरूकता पैदा करना चाहती हैं. उनकी इस स्टंट को लोगों ने घटिया और सस्ता पीआर बताया है. सोशल मीडिया पर मिल रही नफरत के बाद पूनम पांडे ने इंस्टाग्राम पर अपना रिएक्शन दिया है.
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Poonam Pandey on Social Media Hate: सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) के प्रति जागरुक करने के लिए अपनी मौत की झूठी खबर फैलाने को लेकर आलोचना का शिकार हो रही मॉडल और एक्ट्रेस पूनम पांडे ने अपनी बात रखी है. पूनम पांडे ने इंस्टा स्टोरी में एक पोस्ट साझा किया और उसमें सोशल मीडिया पर उन्हें मिल रही नफरत के बारे में बात की.
पूनम पांडे (Poonam Pandey) ने सोशल मीडिया पर मिल रही हेट पर रिएक्ट करते हुए लिखा, ''मुझे मार डालो, मुझे सूली पर चढ़ा दो, मुझसे नफरत करो, लेकिन, जिसे तुम प्यार करते हो, उसे बचाओ.'' बता दें कि श्बांग नाम की मार्केटिंग एजेंसी ने पूनम पांडे के साथ मिलकर इस अभियान को चलाया था. इस एंजेसी ने भी पूनम पांडे की मौत की झूठी खबर के बारे में माफी मांगी थी और बताया था कि हम सर्वाइकल कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पूनम पांडे की पहल में शामिल थे.
पूनम पांडे की मौत की झूठी खबर को लोगों ने बताया सस्ता पीआर स्टंट
पूनम पांडे की मौत की झूठी खबर को बहुत से लोगों ने सस्ते पीआर स्टंट के रूप में देखा तो किसी ने इसे घटियापन बताया. काफी आलोचना मिलने के बाद पूनम पांडे की एजेंसी द्वारा जारी बयान में कहा गया, ''हमारा एक्शन एकमात्र मिशन था कि सर्वाइकल कैंसर के बारे में जागरुकता बढ़ाना. साल 2022 में भारत में 1,23,907 सर्वाइकल कैंसर के केस और 77,348 मौतें दर्ज की गई. ब्रेस्ट कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर भारत में मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं को प्रभावित करने वाली दूसरी सबसे ज्यादा घातक बीमारी है. आप में से बहुत से लोग अनजान हो सकते हैं, लेकिन, पूनम की अपनी मां ने कैंसर से बहादुरी से लड़ाई लड़ी हैं.''
पूनम पांडे की एजेंसी ने मांगी माफी
पूनम पांडे की एजेंसी द्वारा जारी बयान में दावा किया गया कि उनके इस जागरुकता अभियान की वजह से इस देश के इतिहास में यह पहली बार है कि सर्वाइकल कैंसर शब्द 1,000 से ज्यादा हेडलाइन में है. एजेंसी ने कहा, ''हम समझते हैं कि हमारे तरीकों ने अप्रोच के बारे में बहस छेड़ दी होगी. हमें किसी भी परेशानी के लिए खेद है, लेकिन अगर इस कदम के बाद बहुत जरूरी जागरुकता फैलती है और मौतों को रोका जा सकता है, तो ये इसका वास्तविक प्रभाव होगा.''