Kavi Pradeep: 1954 में आई फिल्म नास्तिक में देश विभाजन के बाद एक युवक के गुस्से और लाचारी की कहानी थी, जिसमें कवि प्रदीप का लिखा गाना देख तेरे संसार की हालत... खूब प्रसिद्ध हुआ. लेकिन दिग्गज गीतकार साहिर लुधियानवी इसमें इंसानी लाचारी से असहमत थे. उन्होंने एक दूसरी फिल्म में गाना लिखा कि देख तेरे भगवान की हालत क्या हो गई इंसान. क्या था पूरा मामला, जानिए...
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Sahir Ludhianvi: इन दिनों लोग जब बातों के जवाब में हाथापाई और गाली-गलौच पर उतर आते हैं तो अक्सर कहा जाता है कि बातों का जवाब बातों से दीजिए. लोकतंत्र में विचारों से सहमत-असहमत होना ही इंसान की खूबी है. खास तौर पर क्रिएटिव फील्ड्स में तो लोगों से उम्मीद की जाती है कि वे रचनात्मकता से ही किसी के विरुद्ध अपनी बात रखेंगे. 1936 में जब निर्देशक प्रमथेश बरुआ ने के.एल. सहगल को लेकर फिल्म देवदास बनाई तो दिग्गज निर्देशक वी.शांताराम को फिल्म पसंद नहीं आई. उन्होंने कहा कि देवदास युवाओं को गलत मैसेज देती है कि प्यार में नाकाम होने पर शराब में डूब जाओ. कोठे पर जाने लगो.
देवदास का जवाब
देवदास का जवाब देने के लिए वी. शांताराम ने फिल्म बनाई माणुस (इंसान). 1939 में यह फिल्म रिलीज हुई. इसमें वेश्या सुधार की कहानी थी, जिसमें नायिका खुद को बचाने वाले पुलिस अफसर की लाख कोशिशों के बावजूद उसके प्रति आकर्षित नहीं होती. फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास मे ऐसे और उदाहरण मिलेंगे. कवि प्रदीप ने फिल्म नास्तिक (1954) में गाना लिखाः देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान. यह गाना आज भी खूब सुना जाता है और इसकी तारीफ होती है. कवि प्रदीप के शानदार गानों में इसे रखा जाता है. निर्देशक आई.एस. जौहर की नास्तिक में अजीत और नलिनी जयवंत लीड भूमिकाओं में थे. फिल्म ऐसे व्यक्ति की कहानी थी, जो ईश्वर को नहीं मानता लेकिन तमाम संकटों के बीच एक साधु का भेस बनाकर जीने लगता है. क्लाइमेक्स में उसका राज खुलता है.
उलट दिया गाना
नास्तिक में नौ गाने थे. जिनमें छह लता मंगेशकर ने अकेले गाए थे और दो हेमंत कुमार तथा सी.रामचंद्र के साथ. लेकिन जो गाना लोगों पर छा गया, वह था कवि प्रदीप का लिखा और गाया गीतः देख तेरे संसार की हालत. उस दौर के दिग्गज गीतकार साहिर लुधियानवी को यह गीत और ईश्वर के सामने इंसान की लाचारी पसंद नहीं आई. तब उन्होंने अगले ही साल फिल्म रेलवे प्लेटफॉर्म (1955) के लिए कवि प्रदीप के गाने से ठीक उलट गीत लिखाः देख तेरे भगवान की हालत क्या हो गई इंसान, कितना बदल गया भगवान. यह गाना व्यंग्य करता है. कवि प्रदीप के गाने का संगीत जहां सी.रामचंद्र ने दिया था, वहीं साहिर के गाने को मदन मोहन ने संगीत में पिरोया.
अमीरों का हुआ भगवान
गाने में साहिर कहते हैं कि आम इंसान भले ही भगवान पर भरोसा करे, लेकिन भगवान अमीरों का हो गया है. उसे गरीबों में दिलचस्पी नहीं. साहिर ने गाने में लिखाः भूखों के घर में डेरा न डाले/सेठों का हो मेहमान/कितना बदल गया भगवान/उन्हीं की पूजा प्रभु को प्यारी/जिनके घर लक्ष्मी की सवारी/जिनका धंधा चोरी चकारी/हमको दे भूख और बेकारी/इनको दे वरदान/कितना बदल गया भगवान. यह गाना आप यू-ट्यूब पर सुन सकते हैं. रेलवे प्लेटफॉर्म सुनील दत्त की डेब्यू फिल्म थी. फिल्म में नलिनी जयवंत, शीला रमानी और जॉनी वॉकर की भी अहम भूमिकाएं थीं. फिल्म एक रेलवे प्लेटफॉर्म की कहानी थी, जहां एक ट्रेन अचानक इसलिए ठहर है क्योंकि आगे हादसा हो गया है और पुल पानी में डूबा हुआ है. 24 घंटे बाद ही ट्रेन आगे जा सकती है. इस 24 घंटे में प्लेटफॉर्म और आस-पास क्या होता है, फिल्म में दिखाया गया था. अमीर-गरीब, सामाजिक भेदभाव, आस्था और कर्म की बात करती रेलवे प्लेटफॉर्म की कहानी एक प्रेम त्रिकोण के रूप में भी सामने आती है.