Top Ki Flop: अमिताभ-शाहरुख जैसे सितारों के साथ नहीं बन पाई यह फिल्म, आमिर की मूंछों से भी इंप्रेस नहीं हुए दर्शक
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Top Ki Flop: अमिताभ-शाहरुख जैसे सितारों के साथ नहीं बन पाई यह फिल्म, आमिर की मूंछों से भी इंप्रेस नहीं हुए दर्शक

1857 Ki Kranti: देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में मंगल पांडे का नाम अमर है. 21 साल पहले आमिर खान बड़े पर्दे पर मंगल पांडे बन कर आए, लेकिन फिल्म फ्लॉप हो गई. इसकी कई वजहें थीं. हालांकि फिल्म फ्लॉप होने के बावजूद लोगों को आमिर का मंगल पांडे वाला गेट-अप जरूर याद है.

 

Top Ki Flop: अमिताभ-शाहरुख जैसे सितारों के साथ नहीं बन पाई यह फिल्म, आमिर की मूंछों से भी इंप्रेस नहीं हुए दर्शक

Mangal Pandey: The Rising: स्वतंत्रता संग्राम के नायक मंगल पांडे की जिंदगी पर आधारित फिल्म 'मंगल पांडे: द राइजिंग' साल 2005 में प्रदर्शित हुई थी. इस फिल्म को केतना मेहता ने निर्देशित किया था. बॉबी बेदी, केतन मेहता और दीपा मेहता फिल्म के प्रोड्यूसर थे. फिल्म में आमिर खान, रानी मुखर्जी, अमीषा पटेल, टोबी स्टीफेंस और किरण खेर की मुख्य भूमिका थी. आमिर खान ने ‘दिल चाहता है’ (2001) के चार साल बाद इस फिल्म से वापसी की थी. मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहलाने वाले आमिर ने कैरेक्टर को रीयल लुक देने के लिए विग लगाने की बजाय फिल्म के लिए अपने बाल और मूंछें लंबी की. लेकिन दर्शक न तो उनके लंबे बालों में उलझे और न उनकी तलवार जैसी घुमावदार मूंछों से इंप्रेस हुए.

यह था ड्रीम प्रोजेक्ट
मंगल पांडे को पूरा करने में केतन मेहता को लगभग दो साल का समय लगा था. फिल्म की मेकिंग से पहले उन्होंने काफी रिसर्च वर्क में लगाया. लेकिन तमाम तैयारियों, चमकते नामों और बड़े डायरेक्टर द्वारा निर्देशित किए जाने के बावजूद फिल्म फ्लॉप रही. फिल्म को पहले दिन 3.24 करोड़ की ओपनिंग मिली थी. लेकिन दर्शकों को फिल्म पसंद नहीं आने के कारण 37 करोड़ के बजट में बनी ये फिल्म सिर्फ 27 करोड़ रुपए की ही कमाई कर पाई. मंगल पांडे केतन मेहता का ड्रीम प्रोजेक्ट था. 1988 में वह अमिताभ बच्चन को लेकर यह फिल्म बनाना चाहते थे. लेकिन किन्हीं कारणों से उस समय फिल्म नहीं बन पाई. सत्रह-अठारह साल बाद केतन ने शाहरुख खान को मंगल पांडे के रूप में देखा. मगर शाहरुख ने इंकार कर दिया क्योंकि वह इससे पहले असोका (2001) जैसी पीरियड फिल्म बना चुके थे, जो बुरी तरह से फ्लॉप हुई थी.

हुआ जमकर विरोध क्योंकि...
मंगल पांडे को दर्शकों का उतना प्यार नहीं मिला जितना केतन मेहता को उम्मीद थी. जिसके कई कारण थे. फिल्म को लेकर कई कंट्रोवर्सी हुईं. राजनैतिक पार्टियों ने इसका विरोध किया. कहा गया कि फिल्म में तथ्यों से छेड़छाड़ की गई है. यह फिल्म सच नहीं है. फिल्म के एक सीन में मंगल पांडे प्रॉस्टिट्यूट के पास जाता है. इस पर नाराज बीजेपी ने फिल्म को बैन करने की मांग की. फिल्म में बोल्ड सीन भी थे, जिनकी ऐतिहासिक फिल्म में जरूरत नहीं समझी जा रही थी. मंगल पांडे के गांव में फिल्म के विरोध में एक दुकान को जला दिया गया, जहां इसके म्यूजिक के कैसेट्स और सीडी बिक रही थीं. इन सब बातों का फिल्म पर काफी बुरा असर पड़ा.

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