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Dhaakad Movie Review: कंगना रनौत (Kangana Ranaut) इस धाकड़ मूवी (Dhaakad) में उसी अंदाज में नजर आई हैं, जैसे आपने ‘टाइगर’ सीरीज में सलमान खान को या अक्षय कुमार को ‘बेबी’ में देखा था, यानी ऐसा सुपर सीक्रेट एजेंट जो देश के दुश्मनों को अपनी जान की बाजी लगाकर दुश्मन देश में घुसकर भी मार गिराता है या उठा लाता है. इसके लिए चाहे उसे वेश बदलना पड़े, किसी को प्रेम जाल में फंसाना पड़े या फिर कितनों को भी राह से हटाना पड़े. ऐसे में मूवी में जबरदस्त एक्शन है, लेकिन शायद उतना ही इमोशन और कंगना का ग्लेमर भी, सो कंगना फैंस के लिए ये मूवी ट्रीट हो सकती है. वहीं बाकी लोगों को ये एक बाकी ऑपरेशंस मूवी की तरह ही है.
कास्ट: कंगना रनौत, शारिब हाशमी, अर्जुन रामपाल, दिव्या दत्ता आदि
निर्देशक: रजनीश घई
स्टार रेटिंग: 3
कहां देख सकते हैं: थिएटर्स में
ये कहानी है एक ऐसी लड़की अग्नि (कंगना रनौत) की, जिसके बचपन में पिता की हत्या कर दी जाती है. इससे उसको इतना सदमा लग जाता है कि सीक्रेट एजेंट बनकर रोज खतरों से खेलने के बावजूद उसकी आंखों के सामने पिता के कत्ल का सीन अक्सर आता है. उसे काउंसलिंग से भी कोई फायदा नहीं मिलता.
कहानी का विलेन है रुद्रवीर (अर्जुन रामपाल), जिसके इर्दगिर्द ये पूरी मूवी (Dhaakad) धूमती है. अर्जुन (Arjun Rampal) ने इस दमदार रोल के जरिए फिर से वापसी की है और गेटअपन व बोलचाल का छ्त्तीसगढ़िया लहजा अपनाने के लिए जो मेहनत उन्होंने की है, वो दिख भी रही है. रुद्रवीर कोयला चोरी और लड़की सप्लाई के धंधे में है, जिसके चलते वो अपने पिता की भी हत्या करने से गुरेज नहीं करता. जिसमें उसका साथ देती है उसकी पार्टनर रोहिणी (दिव्या दत्ता). इन दोनों के खिलाफ ऑपरेशन ही इस मूवी की कहानी है, लेकिन एक ट्विस्ट भी है. इस मूवी के लिए दिव्या का चुनाव थोड़ा असमंजस भरा हो सकता है, क्योंकि एक्टिंग तो इसमें भी उनकी दमदार है, लेकिन लोगों के दिमाग में उनकी ये सीरियस और क्रूर छवि चढ़ती ही नहीं.
यूं कंगना (Kangana Ranaut) पहले सीन से ही अपनी जान लगा देती हैं, शानदार एक्शन सींस उन्होंने दिए हैं. सीक्रेट एजेंट के तौर पर वो जमती भी हैं. लेकिन टाइगर में सलमान के साथ जो कैटरीना का तड़का लगा था, वैसा एक्शन कम कपड़ों में करने के बावजूद कंगना अकेले नहीं कर पातीं. लेकिन इस मूवी (Dhaakad) में कोई हीरो ही नहीं है, सो पूरी मूवी अकेले कंगना के कंधों पर है. ऐसे में कंगना फैंस ही इस मूवी को हिट करवा सकते हैं.
हालांकि अर्जुन रामपाल (Arjun Rampal) और कंगना (Kangana Ranaut) के किरदार पर काफी मेहनत की गई लगती है, उनके गेटअप भी असर छोड़ते हैं. मूवी भी छोटी है 2 घंटे 10 मिनट की, सो आपको बोर होने का भी मौका नहीं देती. बिना मूंछों और भोपाली लहजे के साथ शारिब हाशमी भी कमाल लगते हैं. सबसे दमदार रोल है सास्वत चटर्जी का. जिन लोगों ने उन्हें जग्गा जासूस में देखा होगा, उनको बखूबी अंदाज होगा कि वो कितने कमाल के एक्टर हैं. यहां भी सीक्रेट सर्विस चीफ के रोल में असरदार दिखते हैं.
मूवी की खासियत हैं कंगना (Kangana Ranaut) के नए और अलहदा तेवर, शानदार एक्शन सींस, सिनेमेटोग्राफी, लोगों के गेटअप और कुछ डायलॉग्स भी. जैसे बनिया की बेटी हूं गुड्डी से पहले गड्डी पर ध्यान देती हूं या फिर बाप को नहीं मारे, सरकार गिराए हैं. इसके लिए रीतेश शाह की मेहनत की दाद देनी पड़ेगी. स्क्रीन प्ले राजीव जी मेनन का है और काफी कसा हुआ है. स्कीन प्ले में मेहनत डायरेक्टर रजनीश घई ने भी की है. इससे पहले वह मनी कंट्रोल और इश्क बेक्टर जैसी फिल्में बना चुके हैं.
लेकिन कंगना की मूवी है, तो मेहनत उन्होंने ही ज्यादा की है. कहीं से भी कंगना (Kangana Ranaut) इस मूवी में ज्यादा बोलती नजर नहीं आतीं, गिनती के डायलॉग्स ही बोलती हैं. काम की बातें ही करती हैं और बोलने से ज्यादा एक्शन में दिखती हैं, बेहद रफ एंड टफ अंदाज में. म्यूजिक इस मूवी (Dhaakad) का कमजोर पक्ष हो सकता है, लेकिन एक टाइट पेस एक्शन फिल्म में उसकी ज्यादा गुंजाइश होती भी नहीं.
भूलभुलैया के मुकाबले में इसकी कास्टिंग भी अच्छी है, तुमुल बाल्यान और गैबरियल को भी अच्छे रोल मिले हैं. कुल मिलाकर एक्शन पसंद करने वालों को ये मूवी (Dhaakad) पसंद आएगी. कंगना फैन्स के लिए तो ये ट्रीट जैसी है. हां, केजीएफ या आरआरआर जैसी उम्मीदें करना बेमानी होगा.
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