Narendra Modi Caste: माहेश्वरी, अग्रवाल, जैन सब मोदी सरनेम लगाते हैं, अशोक गहलोत का दावा और बख्शी कमेटी
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Narendra Modi Caste: माहेश्वरी, अग्रवाल, जैन सब मोदी सरनेम लगाते हैं, अशोक गहलोत का दावा और बख्शी कमेटी

Modh Ghanchi Caste History: कांग्रेस नेता लगातार प्रधानमंत्री मोदी की जाति और उसके OBC लिस्ट में होने पर सवाल उठा रहे हैं. इसकी सच्चाई के बारे में जानते हैं.

Narendra Modi Caste: माहेश्वरी, अग्रवाल, जैन सब मोदी सरनेम लगाते हैं, अशोक गहलोत का दावा और बख्शी कमेटी

Narendra Modi Caste Truth: हाल ही में, राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा में दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) जन्मजात OBC नहीं हैं, वो तो बीजेपी ने पूरी प्लानिंग के साथ साल 2000 में अपनी सरकार बनने के बाद मोदी जाति को OBC में शामिल कराया था. मतलब राहुल गांधी ने ये साबित करने की कोशिश की कि पीएम मोदी जबरन OBC बनकर अपने को पिछड़ा और गरीब बताकर सहानुभूति लेते हैं. इसी बात को राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भी दोहाराया है. उन्होंने जैन, माहेश्वरी और अग्रवाल को भी इसमें घसीट लिया है. आइए जानते हैं कि आखिर इस पूरे मामले का सच क्या है.

गहलोत ने भी छेड़ा जाति का राग

राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत अपनी एक्स पोस्ट में लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ओबीसी में शामिल करने के मुद्दे पर राहुल गांधी ने सच बोला है. क्योंकि गुजरात में पिछड़े वर्गों के लिए 1978 में बनाए मंडल आयोग और बख्शी कमेटी की सिफारिशों में मोदी/घांची जाति को ओबीसी की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया था. मोदी जाति पूरे देश में एक बिजनेस कम्युनिटी है. जैन, माहेश्वरी और अग्रवाल समुदाय के लोग मोदी सरनेम का इस्तेमाल करते हैं. अगर नरेंद्र मोदी खुद को ओबीसी मानते हैं और ओबीसी वर्ग के हितों का समर्थक हैं तो पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी की मांग को मानते हुए केंद्र सरकार को तुरंत जातीय जनगणना कराने का ऐलान कर देना चाहिए.

गहलोत ने की जाति जनगणना की मांग

पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने आगे लिखा कि जैसा कि हमारे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि एक तरफ जाति जनगणना से केंद्र और राज्य सरकारों के लिए पिछड़े वर्गों के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सामाजिक न्याय करना आसान हो जाएगा. दूसरी तरफ, किसी को भ्रम नहीं होना चाहिए कि जातिगत जनगणना सामान्य वर्ग के लोगों की प्रोग्रेस में कुछ बाधाएं उत्पन्न करेगी. अशोक गहलोत ने ये भी लिखा कि हमारे नेता राहुल गांधी का मानना ​​है कि समाज के सभी वर्गों को विकास के समान मौके मिलें और न्याय सुनिश्चित हो. यही भारत जोड़ो न्याय यात्रा का उद्देश्य है.

मोध-घांची जाति कब बनी ओबीसी?

लेकिन इस मामले में जो दस्तावेज उपलब्ध हैं, वो राहुल गांधी और कांग्रेस का साथ नहीं दे रहे हैं, बल्कि उन्हें ही गलतबयानी में फंसाते हुए दिख रहे हैं. ये दस्तावेज बताते हैं कि मोदी जिस मोध-घांची जाति के हैं, उस जाति को गुजरात सरकार ने 1994 में OBC में शामिल कर लिया था. और तब गुजरात में कांग्रेस की सरकार थी. बीजेपी तो बाद में सत्ता में आई. मोदी तो और भी बाद में आए. और साल 2000 में जब केंद्र में बीजेपी की सरकार थी, तब मोध घांची जाति को केंद्र ने OBC के दायरे में शामिल किया था. इसे लेकर कुछ पुराने दस्तावेज भी हैं. उस वक्त भी नरेंद्र मोदी सत्ता में नहीं थे.

कांग्रेस के पुराने दिग्गज नेता ने किया विरोध

बीजेपी के सांसद नरहरि अमीन, जो कि 1994 में गुजरात की कांग्रेस सरकार में डिप्टी सीएम थे, उन्होंने भी पुष्टि की है कि मोदी जाति को OBC में कांग्रेस ने ही शामिल किया था. उन्होंने मांग की है कि राहुल गांधी ने एक बार फिर झूठ बोला है, इसलिए प्रधानमंत्री मोदी से माफी मांगें.

क्या है मोध-घांची जाति?

बता दें कि मोध-घांची जाति तेली की कई उप-जातियों में से एक है. ये खाद्य तेल के व्यापार से जुड़ी जाति है. गुजरात में मोध-घांची जाति की करीब 10 लाख आबादी है. गुजरात से बाहर भी तेली जाति की मौजूदगी है. पूर्वी यूपी में मोध-घांची जाति गुप्ता सरनेम से भी जाने जाते हैं. राजस्थान में भी ये जाति OBC लिस्ट में शामिल है. हालांकि, बिहार में ये OBC की लिस्ट में शामिल नहीं हैं.

बख्शी कमेटी की रिपोर्ट क्या है?

जान लें कि गुजरात सरकार ने 1972 में एआर बख्शी कमेटी बनाई थी. जिसने 1976 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. बख्शी कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया था कि 82 जातियां ऐसी हैं जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी हुई हैं. बख्शी कमेटी ने इन जातियों के लिए सरकारी नौकरियां और पेशेवर संस्थानों (Professional Institutions) में 10 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की थी.

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