Donald Trump News: 2024 के अमेरिकी चुनावों के लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पात्र हैं या नहीं? संविधान के 14वें संशोधन के विद्रोह खंड की रोशनी में, अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट इस सवाल पर विचार कर रहा है.
Trending Photos
Donald Trump US President Election: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के पक्ष में फैसला सुना सकता है. कोलोराडो मामले में बहस के दौरान, सुप्रीम कोर्ट के जजों ने संकेत दिया कि वे ट्रंप के पक्ष में फैसला देने के इच्छुक थे. कोलोराडो की शीर्ष अदालत ने 19 दिसंबर के फैसले में ट्रंप को अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के तहत, 5 मार्च को राज्य के प्राइमरी बैलट के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था. कोलोराडो के बाद, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में भी ट्रंप को अयोग्य ठहराने की कोशिशों का आधार 6 जनवरी, 2021 के विद्रोह को बनाया गया है. यह मामला 14वें संशोधन के 'विद्रोहवादी प्रतिबंध' के इर्द-गिर्द घूमता है. इसके मुताबिक, जो अमेरिकी नागरिक संविधान को बनाए रखने की शपथ लेते हैं लेकिन फिर 'विद्रोह में शामिल' हो जाते हैं, वे भविष्य में सार्वजनिक पद संभालने के लिए अयोग्य होंगे.
ऐसा पहली बार होगा कि राष्ट्रपति पद के किसी उम्मीदवार की स्थिति पर अमेरिका की सर्वोच्च अदालत इस 'विद्रोह' खंड के तहत विचार कर रही है. यह 2000 के बाद से सुप्रीम कोर्ट में गए राष्ट्रपति चुनाव से जुड़े सबसे बड़े मामलों में से एक है. 2000 में SC ने अल गोर की जगह राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू. बुश के चुनाव की पुष्टि की थी.
अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन की धारा 3 क्या है?
मुकदमा 14वें संशोधन की धारा 3 पर केंद्रित है. कांग्रेस ने 1866 में 14वें संशोधन का तीसरा खंड पारित किया था. राज्यों ने 1868 में इसे मंजूरी दी. अमेरिकी गृह युद्ध के समय का यह कानून कहता है कि "कोई व्यक्ति भविष्य में पद के लिए पात्र नहीं है, अगर उसने पद पर रहते हुए संविधान का समर्थन करने की शपथ ली थी, लेकिन फिर 'विद्रोह में शामिल हो गए' या संविधान के खिलाफ विद्रोह किया, या दुश्मनों को सहायता मुहैया कराई." कांग्रेस चाहे तो दो-तिहाई वोट से इस शर्त को हटा सकती है.
100+ साल से नहीं छुआ गया यह प्रावधान
हालांकि, संविधान यह नहीं बताता कि प्रतिबंध को लागू कैसे किया जाए. और इस बात पर खुली कानूनी बहस चल रही है कि अस्पष्ट प्रावधान की कुछ शर्तों को कैसे परिभाषित किया जाना चाहिए. उदाहरण के लिए, संशोधन यह नहीं बताता कि किस स्तर की राजनीतिक हिंसा 'विद्रोह' कही जाएगी. यह प्रतिबंध 19वीं सदी में हजारों पूर्व कन्फेडरेट्स के खिलाफ लागू किया गया था. 1919 के बाद से इस प्रावधान को छुआ तक नहीं गया है.
क्या है दोनों पक्षों की दलील
ट्रंप को चुनौती देने वालों का कहना है कि 2020 का चुनाव हारने के बाद उन्होंने जो कुछ किया, उसकी वजह से उन पर प्रावधान लागू होता है. चुनाव हारने के बावजूद परिणामों को उलटने की कोशिश की, 6 जनवरी की सुबह को भी. ट्रंप का कहना है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया. उनकी दलील है कि उन्हें 2021 में सीनेट में रिपब्लिकन ने बहुमत से विद्रोह के आरोप से बरी कर दिया था.
ट्रंप की कानूनी टीम का तर्क है कि प्रावधान किसी व्यक्ति को चुनाव लड़ने या जीतने से नहीं रोकता है. यह केवल उसे पद पर बने रहने से रोकता है.
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट को क्या तय करना है?
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि कि धारा 3 पूर्व राष्ट्रपति (और राष्ट्रपति पद) पर लागू होती है या नहीं. इसके अलावा, कोलोराडो की अदालत द्वारा ट्रंप को व्हाइट हाउस में पद संभालने से बाहर करने पर फिर से विचार किया जाएगा. 6 जनवरी की घटना की भी जांच की जाएगी, साथ ही यह पता लगाया जाएगा कि क्या प्रावधान अकेले राज्य और संघीय अदालतों द्वारा लागू किया जा सकता है. क्या इसे केवल कांग्रेस के कानून के माध्यम से लागू किया जा सकता है? ऐसे सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर इस बार पुनर्विचार किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला चाहे जो हो, ट्रंप का नाम कोलोराडो बैलट पर नजर आएगा. बैलट छापने की डेडलाइन पहले ही गुजर चुकी है. ट्रंप के लिए डाले गए वोट गिने जाएंगे या नहीं, इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट के जज करेंगे.
कैसे शुरू हुआ ट्रंप के खिलाफ केस
यह मामला सितंबर 2023 में कोलोराडो से शुरू हुआ था. छह वोटर्स के एक समूह ने ट्रंप के खिलाफ चुनौती दायर की थी. इन वोटर्स का प्रतिनिधित्व वॉचडॉग समूह सिटीजन्स फॉर रिस्पांसिबिलिटी एंड एथिक्स इन वाशिंगटन (CREW) कर रहा है.
कोलोराडो के सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में फैसला किया कि ट्रंप को उनके GOP प्राइमरी बैलट से रोक दिया जाएगा. अदालत ने फैसला सुनाया कि ट्रंप 6 जनवरी को 'विद्रोह में शामिल' थे. इस आदेश के खिलाफ कोलोराडो रिपब्लिकन पार्टी और ट्रंप की लीगल टीम ने तुरंत अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील की.