Bihar Politics: इंडिया गठबंधन तोड़ा, बिहार में साधा वोटों का गणित, समझ लीजिए 2024 के लिए BJP की रणनीति
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Bihar Politics: इंडिया गठबंधन तोड़ा, बिहार में साधा वोटों का गणित, समझ लीजिए 2024 के लिए BJP की रणनीति

Bihar Political Game: सवाल है कि आखिर दो बार धोखा खाने के बाद भी बीजेपी ने नीतीश कुमार के साथ जाने का फैसला क्यों किया? बीजेपी के लिए ये जरूरी था या मजबूरी थी ये आप इस आर्टिकल में समझ लीजिए.

Bihar Politics: इंडिया गठबंधन तोड़ा, बिहार में साधा वोटों का गणित, समझ लीजिए 2024 के लिए BJP की रणनीति

BJP-JDU Alliance Reason: कहते हैं सियासत में कोई भी स्थायी दुश्मन नहीं होता है. बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) की गलबहियां इसकी सबसे बड़ी मिसाल हैं. पटना में जश्न भी मना, जोश भी दिखा और नारेबाजी भी खूब हुई. बिहार की सत्ता में बीजेपी एक बार फिर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के साथ काबिज हुई है. बदले हुए सियासी हालात में दोनों तरफ से यानी बीजेपी और जेडीयू की ओर से बहुत कुछ कहा जा रहा है, बहुत कुछ समझाया जा रहा है. लेकिन बार-बार पलटने वाले नीतीश को अपने पाले में लाकर बीजेपी ने कैसे 2024 का अपना रास्ता साफ कर लिया, आइए समझते हैं.

नीतीश के साथ क्यों आई बीजेपी?

बता दें कि बिहार की सत्ता में करीब 17 महीने बाद बीजेपी की वापसी हुई है. नीतीश कुमार के साथ गठबंधन में बीजेपी इस बार नई उम्मीदों और नई शर्तों के साथ आई है. इसीलिए सरकार बनी तो बीजेपी दफ्तर में जमकर जश्न भी मना. पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह देखने को मिला. नीतीश ने खुद बताया कि वो एनडीए गठबंधन के साथ क्यों आए हैं? कैसे उनकी अंतरात्मा ने उन्हें इंडिया गठबंधन से लेकर RJD का साथ छोड़ने पर मजबूर किया और उसी अंतरात्मा की आवाज सुनकर वो NDA के साथ आ गए.

क्या है बीजेपी का प्लान?

मगर बड़ा सवाल है कि आज नीतीश के साथ बीजेपी ने सरकार क्यों बनाई? आखिर बीजेपी का ऐसा क्या प्लान है, जिसे लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने आंतरिक सर्वे कराया था. इस सर्वे में NDA गठबंधन को 20-25 सीटें ही मिलती दिख रहीं थीं. जबकि 2019 में बीजेपी ने बिहार की 40 में से 39 सीटें जीतीं थीं. सर्वे के बाद ही बीजेपी ने नई रणनीति पर काम किया और नीतीश की वापसी की प्लान तैयार किया.

बीजेपी ने अपनी शर्तों पर किया गठबंधन

बीजेपी ने नीतीश के साथ जाने का फैसला इसलिए किया कि लोकसभा चुनाव में नुकसान ना हो. बीजेपी ने इस बार अपनी शर्तों के साथ समर्थन दिया है इसीलिए सरकार गठन में नीतीश की ज्यादा नहीं चली. नीतीश कुमार की आपत्ति के बाद भी 2 डिप्टी सीएम बनाए गए. नीतीश के प्रस्ताव के बावजूद सुशील मोदी को डिप्टी सीएम नहीं बनाया गया.

2024 के सीट बंटवारे में होगा बीजेपी का अपर हैंड

सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के सीट बंटवारे में भी बीजेपी की चलेगी. बीजेपी इस बार 400 पार का लक्ष्य लेकर लोकसभा के रण में है इसीलिए हर सीट और हर राज्य बीजेपी के लिए अहम है. यही वजह है कि बिहार में समीकरण बदले हैं और अब आगे की राजनीति का ताना बाना तैयार किया जा रहा है.

लोकसभा चुनाव में नहीं लिया कोई जोखिम

बता दें कि बीजेपी का पूरा ध्यान लोकसभा चुनाव पर है इसीलिए सभी राज्यों में अपने हिसाब से समीकरण साधे जा रहे हैं. मौजूदा राजनीतिक लहर को किस तरह प्रचंड किया जाए इसके लिए बीजेपी रामराज्य की परिकल्पना के साथ आगे बढ़ रही है. बीजेपी का लक्ष्य इस बार बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटें जीतना है. इसके लिए NDA को मजबूत किया जा रहा है. यही वजह है कि नीतीश को साथ लाकर विपक्ष की रणनीति को फेल किया गया है.

बीजेपी ने 2025 के लिए बिछाई बिसात

बिहार में नई सरकार के शपथ के साथ ही नए सियासी समीकरण भी बन गए हैं. लोकसभा चुनाव के लिए अब बिहार में NDA का कुनबा बड़ा हो गया है. साथ ही बीजेपी ने मिशन 2025 के लिए भी बिसात बिछा दी है. बीजेपी के आंतरिक सर्वे और पार्टी को मिली सभी रिपोर्ट के बाद आला कमान एक्टिव हुआ और नीतीश को साथ लाने की कवायद शुरू की गई. नीतीश से पहले धोखा खाने के बाद भी बीजेपी ने इस बार समर्थन का फैसला किया. इसके पीछे बीजेपी की पूरी रणनीति है और इस बार कई शर्तें ऐसी हैं जो बीजेपी को ज्यादा ताकतवर बना रही हैं.

इंडिया गठबंधन को लगा तगड़ा झटका

बीजेपी शर्तों के साथ नीतीश को अपने पाले में लाई है. आने वाले दिनों में इसका असर भी देखने को मिलेगा. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार में सत्ता पलटी है ये सिर्फ बिहार के लिए ही नहीं बल्कि विपक्ष के गठबंधन यानी इंडिया गठबंधन के लिए भी बड़ा झटका है. बीजेपी अपनी रणनीति के साथ आगे बढ़ी है तो नीतीश कुमार के लिए भी NDA में आना मजबूरी थी. कुछ बातें  तो JDU खुलकर कह रही है लेकिन कुछ एसे तथ्य भी हैं जो बताए नहीं जा रहे.

तेजस्वी को क्यों छोड़ आए नीतीश?

दरअसल, नीतीश कुमार को पार्टी में टूट का डर था. इसीलिए उन्होंने पार्टी की कमान अपने हाथ में ली. RJD कोटे के मंत्री और विधायक तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने का दबाव बना रहे थे. जिससे नीतीश परेशान थे. इंडिया गठबंन में रहते हुए नीतीश को कम सीटें मिलने का डर था. साथ ही हार का खतरा भी सता रहा था. इतना ही नहीं नीतीश के पास ये भी रिपोर्ट थी कि गठबंधन का फायदा आरजेडी को हो सकता है जिसका असर लोकसभा चुनाव ही नहीं बल्कि 2025 में विधानसभा चुनाव पर भी पड़ता. इसीलिए नीतीश ने बीजेपी की शर्तों पर उनके साथ जाना ही बेहतर समझा.

इंडिया गठबंधन को चित करने की रणनीति

बीजेपी अपने मकसद में कामयाब हुई है और आगे की राजनीति के लिए पूरा खाका तैयार है. नीतीश को साथ लाकर बिहार में विपक्ष को धूल चटाने के दावे भी होने लगे हैं. बीजेपी का लक्ष्य 2024 भी है और 2025 भी है. इसीलिए नीतीश को पिछली गलतियों के बाद भी माफ कर दिया गया. नीतीश के आंकड़े देंखे तो करीब 11 साल में उन्होंने 5 बार पलटी मारी है जिसमें 3 बार बीजेपी को धोखा दिया है.

2013 में नीतीश कुमार NDA से अलग हुए. 2015 में नीतीश कुमार RJD के साथ महागबंधन का हिस्सा बने. 2017 में नीतीश कुमार NDA में वापस लौटे. 2022 में नीतीश कुमार ने पलटी मारी और महागठबंधन में शामिल हो गए. अब नीतीश कुमार नीतीश फिर से NDA के साथ आ गए हैं. राजनीतिक तौर पर बीजेपी ने जो स्क्रिप्ट तैयार की उसमें नीतीश कुमार फिट बैठे लेकिन अब सवाल बिहार की इस पलटमार सियासत को लेकर है, जिसमें सभी राजनीतिक दल एक जैसी स्थिति में नजर आते हैं. हालंकि, बिहार में वक्त और मौके की नजाकत के हिसाब से सभी पलटते रहे हैं. इसीलिए आज भी यही सवाल है कि नीतीश और BJP का ये गठबंधन कितना स्थाई रहेगा और कब तक चलेगा.

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