Food Politics: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव नतीजे के तुरंत बाद और लोकसभा चुनाव में छह महीने से भी कम समय बाकी रहने के बावजूद राजस्थान और मध्य प्रदेश में भाजपा ने नॉनवेज को लेकर विपक्षियों को एक मुद्दा पकड़ा दिया है. इससे पहले भी बीफ विवाद, अवैध बूचड़खाना विवाद और मिड-डे मील में अंडा जैसे विवाद में भाजपा को अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं.
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BJP Mission 2024: लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुटी भारतीय जनता पार्टी को विपक्षी दलों ने एक बार फिर खानपान पर राजनीति (Food Politics) के मुद्दे पर घेरने की कोशिश की है. पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आते ही राजस्थान में जयपुर की हवामहल सीट से जीते भाजपा नेता बालमुकुंद आचार्य ने अधिकारियों से नॉनवेज की दुकानें हटाने के लिए कहा. मामला बढ़ने पर उन्होंने कहा कि अधिकारियों से गैर-कानूनी दुकानों और अतिक्रमण को हटाने के लिए रिक्वेस्ट किया था. दूसरी ओर, मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री बनते ही मोहन यादव ने लाउडस्पीकर और खुले में मांस-अंडे बेचने वालों पर सख्ती का आदेश दे दिया. इसको लेकर भी विरोधी पार्टियों के नेताओं ने भाजपा पर बेवजह शाकाहार-मांसाहार का विवाद छेड़ने का आरोप लगाया है. इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अवैध बूचड़खाने और गैर-लाइसेंसी मांस की दुकानों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर चुके हैं. राजनीतिक रणनीतिकारों का मानना है कि पहले कई राज्यों में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान भाजपाऐसे ही मुद्दे पर बैकफुट पर आ गई थी. फिर भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले वेज-नॉनवेज की बड़ी बहस में क्यों घुसती है?
राष्ट्रीय और स्थानीय तौर पर भाजपा नेताओं के स्टैंड में कई बार विरोधाभास
भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों ने खासतौर पर ऐसे मुद्दों को क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मुद्दों की तरह बांट कर रखा है. क्योंकि उत्तर भारत में बीफ पर एक जैसी बात कहने वाली पार्टी पूर्वोत्तर के कुछ राज्य, दक्षिण में केरल और पश्चिमी तटीय राज्य गोवा में या तो चुप रहती है, सवाल टाल देती है या गोलमोल जवाब देती है. इस मुद्दे पर भाजपा के कई राष्ट्रीय और स्थानीय नेताओं के बयान और स्टैंड भी विरोधाभासी हो जाते हैं. विपक्षी नेताओं के हमले के बाद भाजपा नेता कई बार सफाई देते हुए यानी डिफेंसिव दिखते हैं. फिर आखिर क्या माजरा है कि कई राज्यों में भाजपा मांसाहार को लेकर बहस शुरू करती रहती है. इसकी वजह स्थानीय नेताओं की तात्कालिक लोकप्रियता के रूप में सामने आती है. राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में खास इलाके में इससे वोटों के इकट्ठा होने में मदद भी मिलती है. क्योंकि इन इलाकों में ज्यादा धार्मिक स्थान होने और शाकाहार प्रिय समुदायों की आबादी होने से नेताओं के लिए इस तरह के मुद्दे उठाने में सहूलियत भी होती है.
लोकसभा चुनाव 2024 और दक्षिण के राज्यों में विजय के लिए बड़ी रणनीति की जरूरत
देश के उत्तर- मध्य और पश्चिम राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार कई बार आ चुकी है. मौजूदा दौर में भी कई राज्यों में भाजपा की सरकार है. पूर्वोत्तर में भी असम, त्रिपुरा, मणिपुर समेत कई राज्यों में भाजपा अपनी धाक जमा चुकी है, लेकिन पश्चिम बंगाल में ताकत बढ़ने के बावजूद भाजपा सत्ता से दूर है. वहीं, ओडिशा और उसके नीचे की ओर दक्षिण में फिलहाल किसी राज्य में भाजपा की सरकार नहीं है. हालांकि, पहले कर्नाटक में भाजपा की सरकार रही है. केंद्रशासित प्रदेश पांडिचेरी के अलावा केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु राज्यों में भाजपा तमाम कोशिशों के बावजूद सत्ता में शामिल नहीं हो पाई है. विपक्षी नेता इसको लेकर भाजपा पर तंज भी कसते हैं और हिंदीभाषी राज्यों या उत्तर भारत की पार्टी बताते हैं. हाल ही में डीएमके सांसद ने सदन में और टीएमसी सांसद ने सदन के बाहर इस मुद्दे पर भाजपा पर निशाना भी साधा. पूरे भारतवर्ष में भाजपा की ताकत बढ़ाने के अपने सपने के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार बातें की हैं. केंद्र में दो बार से लगातार सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी तीसरी बार भी वापसी की रणनीति बनाने में जुटी है. ऐसे नाजुक समय में केंद्रीय स्तर पर खानपान की बहस छिड़ती है तो भाजपा के लिए डायवर्जन ही साबित हो सकता है. वहीं, मांसाहार का विरोध करना दक्षिणी राज्यों में पैठ बनाने के सपने को भी चोट पहुंचा सकता है.
भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा शाकाहारी, मगर कई राज्य लगभग पूरी तरह मांसाहारी
दुनियाभर में सबसे ज्यादा शाकाहारी भारत में रहते हैं. शाकाहारियों के मामले में ग्लोबल रैंकिंग में भारत पहले नंबर पर है. लेकिन भारत के कई राज्यों में इसकी संख्या काफी कम है. यूएन फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (UNFAO) की रिपोर्ट के मुताबिक, टॉप-10 शाकाहारी देशों की लिस्ट में भारत के बाद मैक्सिको है. रजिस्ट्रार जनरल सर्वे के आधार पर भारत में सबसे ज्यादा शाकाहारी लोग उत्तर और मध्य भारत में हैं. सर्वे के मुताबिक, राजस्थान में 74.9 फीसदी , हरियाणा में 69.25 फीसदी, पंजाब में 66.75 फीसदी, गुजरात में 60.95 फीसदी, मध्य प्रदेश में 50.6 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 47.1 फीसदी, महाराष्ट्र में 40.2 फीसदी, दिल्ली में 39.2 फीसदी और जम्मू और कश्मीर में 31.45 फीसदी आबादी शाकाहारी है. वहीं 30 फीसदी से कम शाकाहारियों वाले राज्यों में उत्तराखंड 27.35 फीसदी, कर्नाटक में 21.1 फीसदी, असम में 20.6 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 17.95 फीसदी, बिहार में 7.55 फीसदी, झारखंड में 3.25 फीसदी, केरल में 3.0 फीसदी, ओड़ीसा में 2.65 फीसदी, तमिलनाडु में 2.35 फीसदी, आंध्र प्रदेश में 1.75 फीसदी, पश्चिम बंगाल में 1.4 फीसदी और तेलंगाना में 1.3 फीसदी आबादी ही शाकाहार करती है. देश के पूर्वी राज्य, पूर्वोत्तर के राज्य और दक्षिण के राज्यों में शाकाहार करने वालों की संख्या बेहद कम है. वहीं, भारत में मांसाहार करने वालों की संख्या 70 फीसदी के आसपास है.
मांसाहारी बहुसंख्यक कई राज्यों में भी भाजपा की पैठ, दिल्ली में राहुल-लालू ने बनाया था मटन
शाकाहारी बहुल राज्यों की तरह मांसाहारी बहुसंख्यक राज्यों में भी भारतीय जनता पार्टी की पैठ है. 88 फीसदी से ज्यादा मांसाहारी आबादी वाले राज्य गोवा में भाजपा कई बार से सत्ता में है. वहीं, छत्तीसगढ़, असम, त्रिपुरा, उत्तराखंड समेत ऐसे कई राज्यों में फिलहाल भाजपा की सरकार है और झारखंड, बिहार और कर्नाटक में भाजपा हाल तक सत्ता में रही है. इन सभी राज्यों से भाजपा के लोकसभा सांसदों की एक बड़ी संख्या है. हालांकि, ये तथ्य अपनी जगह सही है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर उनका सरकारी आवास मांसाहार मुक्त है. खानपान को लेकर मोरल पुलिसिंग को लेकर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सीनियर नेताओं ने भी कई बार एतराज जताया है. ऐसे में भाजपा शासित राज्यों में गाहे-बगाहे ऐसे संवेदनशील मुद्दे को हवा देने का कोई सियासी तुक तो नहीं बनता. क्योंकि हाल ही में विपक्षी इंडी गठबंधन के नेता राहुल गांधी ने लालू यादव की बेटी मीसा भारती के दिल्ली वाले घर जाकर मटन बनाया. उसकी तस्वीरें शेयर की और खानपान को लेकर नैरेटिव खड़ा करने की कोशिश की. इन मुद्दों को लेकर विपक्ष हमेशा भाजपा और उसके नेताओं पर हमले की ताक में भी रहता है.