Mathews Nedumpara argument with CJI DY Chandrachud: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को नीट-यूजी पेपर लीक (NEET UG Paper Leak) मामले में सुनवाई चल रही थी. अचानक एक याचिकाकर्ता के वकील मैथ्यूज नेदुम्पारा (Mathews Nedumpara) और चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड (CJI DY Chandrachud) के बीच बहस होने लगी. सभी लोग इसे सुनकर हैरान थे, क्योंकि सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ अक्सर शांत ही रहते हैं. मामला इतना बढ़ गया कि सीजेआई ने वकील को कोर्ट रूम से बाहर निकलने का निर्देश दे दिया और जब वो नहीं माने तो सीजेआई ने सिक्योरिटी बुलाकर निकालने की चेतावनी दे दी. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ से बहस करने वाले वकील मैथ्यूज नेदुम्पारा कौन हैं?


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कौन हैं सीजेआई से बहस करने वाले वकील?


मैथ्यूज जे. नेदुम्परा (Mathews J. Nedumpara) एक सीनियर वकील है और साल 1984 में केरल बार काउंसिल में नामांकन कराया था. उन्हें कानून की लगभग सभी ब्रांच सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, बैंकिंग, वित्त और कंपनी कानून में व्यापक अनुभव है. उन्होंने साल 2010 में न्यायिक पारदर्शिता और सुधार के लिए राष्ट्रीय वकीलों के अभियान की स्थापना की. यह फर्म मुख्य रूप से मुंबई से संचालित होती है और सभी प्रमुख महानगरीय शहरों में काम करती है. फर्म दिल्ली, कर्नाटक, मद्रास, केरल हाई कोर्ट के अलावा सुप्रीम कोर्ट में मामलों को संभालती है.



सीजेआई और नेदुम्परा के बीच क्यों हुई बहस?


दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को नीट-यूजी पेपर लीक मामले में सुनवाई चल रही थी और एक याचिकाकर्ता के वकील नरेंद्र हुड्डा अपना पक्ष रख रहे थे. इस बीच उन्हें रोकते हुए मैथ्यूज नेदुम्परा ने कहा कि मुझे कुछ कहना है. इसके बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि नरेंद्र हुड्डा की बात पूरी होने के बाद आप अपना पक्ष रखें. इसके बाद नेदुम्पारा ने सीजेआई को जवाब देते हुए कहा कि मैं यहां सबसे सीनियर हूं. इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ नाराज हो गए और कहा कि मैं आपको वार्निंग दे रहा हूं. आप गैलरी में इस तरह से नहीं बोल सकते है. मैं इस कोर्ट का इंचार्ज हूं. सिक्योरिटी को बुलाओ और इन्हें बाहर करो.


मैथ्यूज नेदुम्पारा ने सीजेआई को जवाब देते हुए कहा कि वे खुद जा रहे हैं, उन्हें कुछ भी बताने की जरूरत नहीं है. इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि आपको कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है. मैंने कोर्ट को पिछले 24 साल से देखा है और मैं कोर्ट की कार्यवाही के दौरान वकीलों को इस तरह पेश नहीं आने दे सकता. नेदुम्पारा ने फिर इस पर जवाब दिया और कहा कि साल 1979 से मैं भी कोर्ट देखता आ रहा हूं. इसके बाद चीफ जस्टिस गुस्सा हो गए और नोटिस की वॉर्निंग दे दी.


ये भी पढ़ें- 'सिक्योरिटी को बुलाओ', कोर्ट में भड़के CJI चंद्रचूड तो जवाब में बाइबिल पढ़ने लगा वकील


पहली बार नहीं हुई है सीजेआई से नेदुम्परा की बहस


हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब वकील मैथ्यूज नेदुम्पारा और चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के बीच बहस हुई हो. इससे पहले इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुनवाई के दौरान इस साल मार्च में भी नेदुम्पारा ने सीजेआई से बहस की थी. तब चीफ जस्टिस के वॉर्निंग देने के बाद भी नेदुम्पारा बहस कर रहे थे तो सीजेआई गुस्सा हो गए थे. नाराज होते हुए उन्होंने कहा था कि मुझ पर चिल्लाइये मत. यह कोई हाइड पार्क के कोने की बैठक नहीं है, आप अदालत में हैं. आप एक आवेदन करना चाहते हैं तो आवेदन दाखिल करें. आपको चीफ जस्टिस के रूप में मेरा निर्णय मिल गया है, हम आपकी बात नहीं सुन रहे हैं. यदि आप कोई आवेदन दाखिल करना चाहते हैं तो उसे ईमेल पर भेजें. इस अदालत में यही नियम है.


सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में नेदुम्परा को पाया था अवमानना ​​का दोषी


सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2019 में वकील मैथ्यूज नेदुम्परा को न्यायालय की अवमानना ​​का दोषी पाया था. न्यायालय ने न्यायिक पारदर्शिता एवं सुधार के लिए राष्ट्रीय अधिवक्ता अभियान द्वारा दायर याचिका को भी खारिज कर दिया था, जिसमें वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित करने की वर्तमान प्रणाली को चुनौती दी गई थी. यह फैसला जस्टिस रोहिंटन नरीमन और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने सुनाया था. फैसले में कहा गया था कि नेदुम्परा ने 'कोर्ट को धमकाने का प्रयास किया' और पीठ के एक जज जस्टिस नरीमन को शर्मिंदा करने का प्रयास किया.