NSA Ajit Doval: राजीव गांधी के साथ अजीत डोभाल! 36 साल पुरानी इस तस्वीर की जानिए पूरी कहानी
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NSA Ajit Doval: राजीव गांधी के साथ अजीत डोभाल! 36 साल पुरानी इस तस्वीर की जानिए पूरी कहानी

Ajit Doval With Rajiv Gandhi: देश और दुनिया भर में अपनी बहादुरी के लिए चर्चित एनएसए अजीत डोभाल की एक तस्वीर दशकों बाद सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही है. इसमें डोभाल तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ एम के नारायणन के साथ दिख रहे हैं. आइए, इस तस्वीर की पूरी कहानी जानने की कोशिश करते हैं.

NSA Ajit Doval: राजीव गांधी के साथ अजीत डोभाल! 36 साल पुरानी इस तस्वीर की जानिए पूरी कहानी

NSA Ajit Doval News: भारत के मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे भरोसेमंद माने जाते हैं. इन दिनों सोशल मीडिया पर साल 1988 की बताई जा रही उनकी एक तस्वीर काफी पसंद की जा रही है. इस फोटो में यंग अजीत डोभाल तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ एम के नारायणन के साथ दिख रहे हैं.

एनएसए अजीत डोभाल की वीरता का पूरा देश कायल

एनएसए अजीत डोभाल और उनकी बहादुरी के कई उदाहरणों से पूरा देश अच्छे से वाकिफ है. साल 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद अजीत डोभाल देश के आम लोगों के बीच भी काफी पॉपुलर और पावरफुल अधिकारी के रूप में मशहूर हो गए हैं. हालांकि, उनकी लंबी ड्यूटी के दौरान पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ भी उनके अच्छे और करीबी रिश्ते रहे हैं. आइए, राजीव गांधी के साथ अजीत डोभाल की इस तस्वीर की पूरी कहानी जानते हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में बना था NSA का पद

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में साल 1998 में अमरीका की तर्ज पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पद बनाया गया था. पूर्व राजनयिक ब्रजेश मिश्रा को देश का पहला एनएसए नियुक्त किया गया था. वह साल 2004 तक इस पद पर बने रहे थे. अजीत डोभाल देश के पांचवें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं. उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफी करीबी और भरोसेमंद माना जाता है. 

दुर्लभ तस्वीर में काफी यंग दिख रहे हैं अजीत डोभाल

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट की गई दशकों पुरानी तस्वीर को साल 1988 का बताया जा रहा है. इस दुर्लभ तस्वीर में काफी यंग दिखते अजीत डोभाल तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और आईबी के डाइरेक्टर एमके नारायणन के साथ चर्चा में मशगूल दिख रहे हैं. तस्वीर किसी ऑफिस के अंदर की लग रही है. बैकग्राउंड में कुछ लोग अपनी डेस्क पर काम करते दिख रहे हैं. ऑपरेशन ब्लैक थंड-II की रणनीति पर चर्चा और ब्रीफिंग के समय की तस्वीर बताई जा रही है.

देश का जेम्स बॉन्ड कहे जाने लगे थे अजीत डोभाल 

भारतीय पुलिस सेवा में 1968 में शामिल हुए अजीत डोभाल अपने टैलेंट और मेहनत के बल पर लगातार आगे बढ़ते रहे. पंजाब और मिजोरम में उग्रवादी विरोधी अभियानों में उन्होंने सक्रिय और कारगर भूमिका निभाई थी. शानदार रणनीति बनाकर उस पर बहादुरी से अमल कर कामयाबी हासिल करने के चलते उन्हें देश का जेम्स बॉन्ड कहा जाने लगा था. उन्होंने पाकिस्तान में जाकर भी कई वर्षों तक गुप्तचर के रूप में काम किया था.

तब इंटेलीजेंस ब्यूरो में ऑपरेशनल डायरेक्टर थे अजीत डोभाल 

दशकों बाद फिर सामने आई तस्वीर 1988 की बताई जा रही है. तब अजीत डोभाल इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) में ऑपरेशनल डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे. एम के नारायणन आईबी के डायरेक्टर थे. अजीत डोभाल ने एक दशक तक आईबी के ऑपरेशन विंग का नेतृत्व किया है. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ दोनों सीनियर अधिकारियों की तस्वीर बताती है कि मामला कितना गंभीर रहा होगा. आज की तरह तब भी अजीत डोभाल के रिश्ते देश के सबसे बड़े नेता से काफी प्रोफेशनल और नजदीक का था. 

कई बड़े और गोपनीय ऑपरेशन में राजनीतिक हस्तक्षेप जरूरी

देश के तीसरे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन ने अजीत डोभाल को एंटी टेररिज्म ऑपरेशंस के लिए ट्रेनिंग दी गई थी. अजीत डोभाल देश में मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) और ज्वाइन टास्क फोर्स ऑन इंटेलिजेंसी के संस्थापक अध्यक्ष भी थे. कांग्रेस के शासनकाल में अजीत डोभाल ने देश में ऐसे कई बड़े और गोपनीय ऑपरेशन को अंजाम दिया था. उनमें से कई बिना राजनीतिक हस्तक्षेप के मुमकिन नहीं थे. 

ऐसे स्पेशल ऑपरेशंस के लिए इस स्तर के बड़े अधिकारी को पीएम और गृह मंत्री के साथ सीधे संपर्क रखना होता है, जिससे उन्हें डाइरेक्ट ब्रीफ कर जरूरी आदेश लिया जाता रहे. 

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1971 से 1999 तक सभी 15 हाईजैकिंग के दौरान संभाला मोर्चा

अजीत डोभाल को देश में 1971 से 1999 तक हुई सभी 15 हाईजैकिंग के दौरान सिक्योरिटी ऑपरेशंस में विभिन्न स्तरों पर शामिल रहने का अनुभव है. कंधार हाईजैकिंग 1999 में वह उन तीन भारतीय अफसरों की टीम में थे जिन्होंने पैसेंजर्स की सुरक्षा सुनिश्चित की. केरल में सबसे पहली पोस्टिंग पाने वाले डोभाल ने पंजाब और मिजोरम में एंटी मिलिटेंसी ऑपरेशन के अलावा अमृतसर में ऑपरेशन ब्लैक थंडर-1988 के दौरान स्वर्ण मंदिर जाकर अहम जानकारियां हासिल की थी.

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