Explainer: पहले अभय मुद्रा, अब चक्रव्यूह... कैसे बीजेपी को उसी के हथियार से घेर रहे राहुल गांधी
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Explainer: पहले अभय मुद्रा, अब चक्रव्यूह... कैसे बीजेपी को उसी के हथियार से घेर रहे राहुल गांधी

Rahul Gandhi News: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संसद के भीतर 'अभय मुद्रा' और 'चक्रव्यूह' जैसे हिंदू प्रतीकों का आह्वान करके बीजेपी को उसी के जाल में उलझा दिया है.

Explainer: पहले अभय मुद्रा, अब चक्रव्यूह... कैसे बीजेपी को उसी के हथियार से घेर रहे राहुल गांधी

Rahul Gandhi Parliament Speeches: नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद, राहुल गांधी ने लोकसभा में दो भाषण दिए हैं. दोनों भाषणों की थीम भले ही अलग रही हो, लेकिन एक बात कॉमन थी. राहुल ने हिंदू देवताओं, प्रतीकों और शास्त्रों का आह्वान कर बीजेपी पर हमला बोला. पहले भाषण में राहुल ने जहां भगवान शिव और 'अभय मुद्रा' का सहारा लिया. वहीं, सोमवार को लोकसभा में अपने दूसरे संबोधन में राहुल ने महाभारत के 'चक्रव्यूह' का जिक्र छेड़ा. राहुल ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार डर फैला रही है. नेता प्रतिपक्ष के अनुसार, सारी ताकत सिर्फ 6 लोगों के पास है. कांग्रेस नेता ने सोमवार के संबोधन में भी अपने आखिरी भाषण का जिक्र किया. दोनों भाषणों में राहुल ने बीजेपी को घेरने के लिए उसी के सबसे मजबूत हथियार का सहारा लिया.

  1. 'चक्रव्यूह' के जरिए केंद्र पर हमला: सोमवार को लोकसभा में, राहुल ने केंद्र सरकार पर हिंदुस्तान को अभिमन्यु की तरह 'चक्रव्यूह' में फंसाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन INDIA इस चक्रव्यूह को तोड़ेगा. राहुल ने कहा, 'हजारों साल पहले कुरुक्षेत्र में अभिमन्यु को चक्रव्यूह में छह लोगों ने फंसा कर मारा था...चक्रव्यूह का दूसरा नाम है- 'पद्मव्यूह', जो कमल के फूल के आकार का होता है. इसके अंदर डर और हिंसा होती है.' उन्होंने दावा किया, 'अभिमन्यु को चक्रव्यूह में छह लोगों ने मारा था, उनके नाम द्रोणाचार्य, कर्ण, अश्वत्थामा, कृपाचार्य, कृतवर्मा और शकुनी हैं. आज भी चक्रव्यूह रचने वाले छह लोग हैं.'
  2. राहुल के बयान पर आपत्ति: कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के अलावा चार और लोगों का नाम लिया, जिस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आपत्ति जताई. बिरला ने कहा, 'आप नेता प्रतिपक्ष हैं...आपकी पार्टी के उप नेता (गौरव गोगोई) ने लिखकर दिया है कि जो सदन का सदस्य नहीं है, उसका नाम नहीं लिया जाना चाहिए.' इसके बाद राहुल गांधी ने देश के प्रमुख उद्योगपतियों को 'ए 1' और 'ए 2' कहकर संबोधित किया. राहुल गांधी ने दावा किया, '21वीं सदी में एक और चक्रव्यूह तैयार किया गया है... जो अभिमन्यु के साथ हुआ, वही हिंदुस्तान के साथ किया जा रहा है.' उन्होंने दावा किया कि जिस तरह से अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसाया गया था उसी तरह हिंदुस्तान को फंसा दिया गया है.
  3. शिवजी की बारात: सोमवार को राहुल ने कहा कि यह देश चक्रव्यूह को पसंद नहीं करता है, 'शिवजी की बारात' पसंद करता है जिसमें सभी लोग शामिल हो सकते हैं. राहुल गांधी ने बजट का हवाला देते हुए दावा किया, 'जिस चक्रव्यूह ने भारत को अपने गिरफ्त में ले लिया है उसके पीछे तीन ताकतें हैं. पहली एकाधिकार वाली पूंजी का विचार है कि दो लोगों को संपूर्ण भारतीय संपत्ति का मालिक बनने दिया जाना चाहिए.' उनका कहना था कि दूसरी ताकत इस देश की संस्थाएं, एजेंसियां, सीबीआई, ईडी, आयकर विभाग हैं और तीसरी ताकत राजनीतिक कार्यपालिका है. राहुल गांधी ने कहा कि इन तीनों ताकतें चक्रव्यूह के केंद्र में हैं और उन्होंने इस देश को तबाह कर दिया है.
  4. राजनाथ और बीजेपी का पलटवार: सोमवार को राहुल गांधी ने आरोप लगाया, 'सेना के जवानों को अग्निपथ के चक्रव्यूह में फंसाया गया. बजट में अग्निवीरों को पेंशन के लिए रुपया नहीं दिया गया.' उन्होंने कहा, 'अन्नदाता ने आपके चक्रव्यूह से निकलने के लिए आपसे सिर्फ एक चीज मांगी है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी, लेकिन नहीं दिया गया.' उनके भाषण के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील विषय पर बात की है और अग्निवीरों को लेकर भ्रांति फैलाने का काम किया है. राहुल गांधी के भाषण के दौरान संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को सदन के नियमों के बारे में पता होना चाहिए और उन्हें सदन की कार्य प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए. राहुल के बयान की बीजेपी ने जमकर आलोचना की. बीजेपी ने बयान को अराजक और विभाजनकारी करार दिया. 
  5. राहुल का पहला भाषण: लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद, अपने पहले भाषण में राहुल ने भगवान शिव के अलावा कई धर्मों का जिक्र किया था. उनका कहना था कि सब एक बात सिखाते हैं- 'डरो मत, डराओ मत.' राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा के दौरान, राहुल ने कहा था, 'शिवजी की अवधारणा और अहिंसा की अवधारणा यह है कि त्रिशूल को पीठ के पीछे रखा जाता है और हाथ में नहीं रखा जाता है.' उन्होंने कहा था कि 'अभय मुद्रा का विचार यह है कि अहिंसा और स्नेह और निर्भयता की इस गति को हर किसी तक पहुंचाया जाए.' कांग्रेस नेता ने तब भगवान शिव की तस्वीर भी दिखाई थी और कहा था कि उनका संदेश निर्भयता और अहिंसा के बारे में है. स्पीकर ओम बिरला के बार-बार ऐसा न करने के अनुरोध के बावजूद उन्होंने भगवान के पोस्टर दिखाना जारी रखा.

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