PM Modi Sambhal Visit: अयोध्या में राम मंदिर के बाद संभल के कल्कि धाम से बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे को और धार देगी और प्रधानमंत्री का ये दौरा संभल के साथ साथ पश्चिम यूपी के कई जिलों पर असर डालेगा. इस भव्य समारोह में प्रधानमंत्री मोदी लोगों को संबोधित कर बीजेपी कार्यकर्ताओं में 24 में जीत के लिए जोश भी भरेंगे.
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BJP in Uttar Pradesh: 'मिशन 370' को लेकर बीजेपी का टारगेट सेट है. 2019 में जिन सीटों पर बीजेपी जीती वहां दोबारा कमल खिलाने की तैयारी तो है ही. साथ ही हारी हुई सीटों पर भी भगवा लहराने का प्लान है. बीजेपी का फोकस यूपी में हारी हुई 14 सीटों पर भी है, जिनमें 6 सीटें पश्चिमी यूपी की हैं और प्रधानमंत्री का संभल दौरा इन्हीं सीटों को जीत में बदलने की कवायद है. पीएम मोदी 15 साल बाद संभल जा रहे हैं जहां वे विश्व के अनोखे मंदिर कल्कि धाम का शिलान्यास करेंगे. प्रधानमंत्री का संभल दौरा बीजेपी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है. सवाल उठ रहा है कि आखिर बीजेपी के संभल दौरे के मायने क्या हैं?
अयोध्या में राम मंदिर के बाद संभल के कल्कि धाम से बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे को और धार देगी और प्रधानमंत्री का ये दौरा संभल के साथ साथ पश्चिम यूपी के कई जिलों पर असर डालेगा. इस भव्य समारोह में प्रधानमंत्री मोदी लोगों को संबोधित कर बीजेपी कार्यकर्ताओं में 24 में जीत के लिए जोश भी भरेंगे.
बीजेपी की 6 सीटों पर नजरें
बीजेपी किसी भी हाल में हारी हुई 6 सीटों- मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा, संभल, बिजनौर और नगीना को जीत में तब्दील करना चाहती है. ताकि लोकसभा चुनाव में यूपी से सीटों की संख्या बढ़ाई जा सके. संभल की सीट राजनीतिक लिहाज से हमेशा ही महत्वपूर्ण रही है. 2024 के लिए सभी दलों ने अपने अपने समीकरण बिठाने शुरू कर दिए हैं. सियासी लिहाज से देखें तो यहां:
बीएसपी और समाजवादी पार्टी ने सबसे ज्यादा राज किया है. यहां से 11 बार यादव प्रत्याशी जीते हैं. मुस्लिम बहुल सीट पर बीजेपी केवल एक बार जीती है.
संभल सीट पर यादव उम्मीदवार का सबसे ज्यादा कब्जा रहा है. कभी संभल मुरादाबाद का हिस्सा हुआ करता था. अब संभल में 5 विधानसभा सीटे हैं- चंदौसी, बिलारी, कुंदरकी, असमौली और संभल.
संभल को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि माना जाता है. संभल लोकसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई थी. 2014 तक इस सीट पर 11 बार लोकसभा चुनाव हुए.
यहां से दो बार मुलायम सिंह यादव, एक बार राम गोपाल यादव, दो बार श्रीपाल सिंह यादव और एक बार धर्मपाल यादव सांसद बने.
फिलहाल 94 साल के शफीकुर्रहमान बर्फ यहां से सांसद हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी परमेश्वर लाल सैनी को 1 लाख 74 हजार 826 वोटों से हराया था.
2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव ने फिर उन्हें टिकट दिया है.
हालांकि 2004 के परिसीमन के बाद जातीय समीकरण बदला और यादव मतदाताओं की संख्या कम हुई. 2019 के आंकड़ों के अनुसार संभल में करीब 16 लाख से अधिक वोटर हैं. इसमें करीब 9 लाख पुरुष और 7 लाख महिला वोटर हैं.
50 फीसदी है मुस्लिम आबादी
यहां करीब 40 प्रतिशत हिंदू और 50 फीसदी से अधिक मुस्लिम आबादी है. मुस्लिम वोटरों की बात करें तो करीब साढ़े 8 लाख मुस्लिम वोटर हैं. जबकि अनुसूचित जाति के करीब 2.75 लाख, यादव डेढ़ लाख और 5.25 लाख में पिछड़ा और सामान्य वोटर हैं. फिलहाल आंकड़े जो भी कहते हों लेकिन बीजेपी को पूरा यकीन है कि मोदी के चेहरे पर सभी आंकड़े इस बार ध्वस्त हो जाएंगे और पश्चिमी यूपी की सीटों पर कमल खिलकर ही रहेगा.
अयोध्या में भव्य राम मंदिर ने मोदी की 'जीत की गारंटी' का माहौल तैयार किया है और 2024 में बीजेपी के 'राम' से ही विपक्ष का मुकाबला है. अयोध्या के बाद प्रधानमंत्री मोदी 410 किलोमीटर दूर संभल पहुंच रहे हैं, जहां वे भगवान विष्णु के दसवें अवतार भगवान कल्कि के भव्य मंदिर का शिलान्यास करेंगे. इस पावन जगह से पीएम मोदी भगवान कल्कि को नमन करेंगे तो हिंदुत्व के बहाने मिशन 400 पार के लिए चुनावी समीकरण भी साधेंगे.
योजनाएं करेंगी बीजेपी के लिए कमाल!
बीते कुछ इलेक्शन्स को देखें तो उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, किसान सम्मान निधि, तीन तलाक का खात्मा और कई अन्य योजनाओं से बीजेपी को चुनावों में भरपूर लाभ मिला है. इतना ही नहीं मुस्लिमों ने भी बीजेपी को बढ़-चढ़कर वोट दिया है.इनमें अधिकतर तादाद महिलाओं की रही है. अगर संभल में मुस्लिम महिलाओं ने बीजेपी और पीएम मोदी का साथ दिया तो स्थिति काफी हद तक बदल सकती है.
संभल में श्री नारायण कल्कि मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम की तैयारी आखिरी चरण में है. कार्यक्रम स्थल का परिसर डबल इंजन की सरकार और मोदी की गारंटी वाले होर्डिंग्स से पटा पड़ा है. पूरे परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कटआउट्स लगे हैं. मुस्लिम और यादव बहुल्य संभल लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का वर्चस्व रहा है. आचार्य प्रमोद कृष्णम के कांग्रेस से अलग होने के बाद और कल्कि धाम के पीठाधीश्वर के रूप में उनका चेहरा आगे है और बीजेपी से उनके रिश्ते मजबूत हो रहे हैं.
क्यों अनूठा है कल्कि धाम
कल्कि धाम पहला ऐसा धाम है जहां भगवान के अवतार लेने से पहले उनका मंदिर स्थापित हो रहा है.
इस मंदिर में एक नहीं 10 गर्भगृह होंगे. भगवान विष्णु के 10 अवतारों के 10 अलग-अलग गर्भगृह स्थापित किये जाएंगे.
गुलाबी रंग के पत्थर जिनसे सोमनाथ मंदिर और अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण किया गया है, कल्कि धाम में भी उसी तरह के पत्थर का इस्तेमाल किया जाएगा. कोई स्टील या लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
मंदिर का शिखर 108 फीट ऊंचा होगा. 11 फीट के ऊपर मंदिर का चबूतरा बनेगा. 68 तीर्थ की इसमें स्थापना होगी.
लगभग 5 एकड़ में इसका निर्माण होगा और करीब 5 साल का वक्त निर्माण पूरा होने में लगेगा.
भवन के दृष्टिकोण से भी भव्य होगा और धार्मिक दृष्टिकोण से भी दिव्य होगा.