Omar Abdullah: राजनीतिक एक्सपर्ट्स इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि अब्दुल्ला सरकार विधानसभा में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव पेश करेगी. इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा जो अंतिम निर्णय लेगी.
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Jammu Kashmir News: बुधवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. अब इस बात पर बहस हो रही है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा पुनः प्राप्त करना कितना कठिन होगा.
यह चर्चा इसलिए भी है क्योंकि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पहले ही यह वादा किया था कि सरकार बनने के बाद उनका पहला कदम जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का होगा. पार्टी के घोषणापत्र में न केवल राज्य का दर्जा बहाल करने की बात की गई है, बल्कि अनुच्छेद 370 और 35ए की पुनर्बहाली, पाकिस्तान के साथ बातचीत और जेल में बंद कैदियों की रिहाई जैसे कई वादे भी शामिल हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और केंद्र सरकार के अन्य मंत्रियों ने भी राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन दिया था. पहले कहा गया था कि परिसीमन, चुनाव और फिर राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा. परिसीमन और चुनाव दोनों हो चुके हैं, अब सिर्फ राज्य का दर्जा बहाल करना शेष है.
राजनीतिक एक्सपर्ट्स इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि अब उमर अब्दुल्ला की सरकार विधानसभा में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव पेश करेगी. विधानसभा से स्वीकृति मिलने के बाद इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा, जो अंतिम निर्णय लेगी. केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन करके राज्य का दर्जा बहाल कर सकती है.
कानूनी प्रक्रिया के तहत, संसद को पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन करना होगा. संसद से विधेयक पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अधिसूचना जारी की जाएगी, जिसके तहत निर्धारित तारीख से जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा.
चूंकि जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद की चुनौतियां बनी हुई हैं, इसलिए केंद्रीय गृह मंत्रालय हालात का आकलन करते हुए फैसला करेगा. राज्य का दर्जा मिलने के बाद, विधानसभा को राज्य और समवर्ती सूची के मामलों में कानून बनाने का पूरा अधिकार होगा. इसके अलावा, वित्त विधेयक लाने के लिए उपराज्यपाल या राज्यपाल की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी. अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण का अधिकार राज्य सरकार के पास होगा.
वर्तमान में, केंद्र शासित प्रदेश में विधायकों की संख्या के 10% तक मंत्री बनाए जा सकते हैं, लेकिन राज्य का दर्जा बहाल होने पर यह सीमा 15% हो जाएगी. साथ ही, कैदियों की रिहाई और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अन्य चुनावी वादों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को अधिक स्वतंत्रता और अधिकार प्राप्त होंगे. एजेंसी इनपुट