Swami Vivekananda Jayanti 2024: आध्यात्मिक महापुरुष स्वामी विवेकानंद की जयंती को देश 'राष्ट्रीय युवा दिवस' के रूप में मनाता है. उन्होंने दुनियाभर में भारतीय संस्कृति और अद्वैत के विचारों का डंका बजाया था. 12 जनवरी 1863 को पश्चिम बंगाल में जन्मे स्वामी विवेकानंद धर्म, कला, दर्शन, साहित्य के कुशल वक्ता थे. उन्होंने 120 साल पहले राम मंदिर को लेकर भी बेहद स्पष्ट विचार रखे. अब इसे भविष्यवाणी की तरह बताया और माना जा रहा है.
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Swami Vivekananda On Ram Mandir: ''मुझे इस बात का गर्व है कि मैं ऐसे धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया और हम सभी धर्मों को स्वीकार करते हैं. जिस तरह अलग-अलग जगहों से निकली नदियां, अलग रास्तों से होकर समुद्र में मिलती हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य भी अपनी इच्छा से अलग रास्ते चुनता है. ये रास्ते दिखने में भले ही अलग-अलग लगते हैं, लेकिन ये सभी ईश्वर तक ही जाते हैं.''
ब्रिटिश काल में भी दुनिया भर में बढ़ाया भारत का सम्मान और भारतीयों का आत्मविश्वास
11 सितंबर, 1893 को आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो में भारतीय संन्यासी स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) के इस भाषण के बाद पूरा हॉल कई मिनट तक तालियों से गूंजता रहा. ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन झेल रहे भारत के लिए दुनियाभर में गर्व और सम्मान के साथ ही भारतीय लोगों में आत्मविश्वास बढ़ाने वाले महान आध्यात्मिक नेता स्वामी विवेकानंद ने 12 जनवरी, 1863 को पश्चिम बंगाल में जन्म लिया था. उनकी जयंती पर कृतज्ञ देश राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) मनाकर उनके जीवन और उपदेशों से प्रेरणा हासिल करने की कोशिश करता है.
राष्ट्रीय युवा दिवस से पहले राम मंदिर को लेकर स्वामी विवेकानंद के विचारों की चर्चा
देश में इन दिनों 22 जनवरी, 2024 को होने वाले अयोध्या में भगवान श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहे भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समारोह को लेकर माहौल बना हुआ है. इस बीच राष्ट्रीय युवा दिवस से पहले ही राम मंदिर अयोध्या को लेकर स्वामी विवेकानंद के विचारों की चर्चा ने जोर पकड़ ली है. कोलकाता में आज से 120 साल पहले स्वामी विवेकानंद की बातों को अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की भविष्यवाणी कहा जा रहा है. आइए, जानते हैं कि स्वामी विवेकानंद के इस कथन की पृष्ठभूमि क्या है? साथ ही स्वामी विवेकानंद अयोध्या में क्यों आए और कहां ठहरे थे?
कोलकाता के काली मंदिर के पुजारी स्वामी रामकृष्ण परमहंस थे स्वामी विवेकानंद के गुरू
ऐतिहासिक तथ्य है कि स्वामी विवेकानंद की कही गई कई बातें भविष्य में सत्य साबित हुई है. इसलिए कई बार उन्हें भविष्यवक्ता भी कहा जाता है. स्वामी विवेकानंद के मन में मंदिरों और मूर्तिपूजा को लेकर काफी गहरी श्रद्धा थी. स्वामी विवेकानंद के गुरु श्रीरामकृष्ण परमहंस कोलकाता के प्रसिद्ध काली मंदिर के पुजारी थे. कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद को भी वहीं माता महाकाली के दर्शन हुए. साथ ही यह भी कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद पूर्ण दैवीय अनुभूति उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में प्रसिद्ध कसार देवी मंदिर में तप करने के दौरान हुई थी.
श्रद्धा और भक्ति के लिए मंदिरों में जाना बेहद जरूरी मानते थे स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद जी कहते थे की मंदिरों में साधना ज्यादा फलित होती है क्योंकि अत्यधिक श्रद्धा के कारण वहां दिव्य शक्तियों या सकारात्मक ऊर्जा का घनत्व बढ़ा हुआ होता है. जैसे वातावरण में भले ही नमी के रूप में पानी हर तरफ होती है, मगर जब कहीं जल का घनत्व अधिक होता है तब वहां वर्षा होती है व्यक्ति भीग जाता है. इसी तरह अगर भक्ति में या श्रद्धा में भीगना या डूबना हो तो मंदिर जाना जरूरी हो जाता है.स्वामी विवेकानंद के ऐसे अनुभवों को कई शिष्यों ने भी साझा किया है.
कोलकाता में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद स्वामी विवेकानंद ने कही दूरदर्शी बातें
स्वामी विवेकानंद के एक शिष्य स्वामी अनंत दास ने अपनी आत्मकथा 'माय लाइफ विद माय गुरुजी' में राम मंदिर को लेकर उनके विचारों को लिखा है. पुस्तक में लिखे प्रसंग के मुताबिक कोलकाता के एक प्रसिद्ध व्यापारी ने राम मंदिर का निर्माण कराया. उसने स्वामी विवेकानंद को राम मंदिर के उद्घाटन करने का निमंत्रण दिया. भाद्रपद कृष्ण पक्ष द्वितीया, विक्रम संवत 1957 के शुभ मुहूर्त पर राम मंदिर का उद्घाटन कर स्वामी विवेकानंद जब मठ को लौटने लगे तो व्यापारी ने उनके चरण पकड़ लिए और धन्यवाद कहने लगा. इस पर स्वामी विवेकानंद ने कहा कि अरे इसमें धन्यवाद क्या, यह तो मेरा सौभाग्य है कि अयोध्या के राम का कलकत्ता में आगमन का मैं प्रत्यक्षदर्शी बना.
'जिस दिन हमारी श्रद्धा प्रबल हो जाएगी, अयोध्या में फिर से भव्य राम मंदिर बन जाएगा'
अनंत दास की पुस्तक में लिखा है कि तभी वहां मौजूद श्रद्धालुओं की भीड़ में से किसी ने कहा कि अयोध्या के राम अब अयोध्या में कहां हैं स्वामीजी? वहां उनका मंदिर तो कब का तोड़ और ढहा दिया गया है. इस पर स्वामी विवेकानंद ने कहा कि मंदिर नहीं तो क्या हुआ, हम भारतीयों की श्रद्धा तो है. जब तक हमारी श्रद्धा है कि राम अयोध्या के हैं तब तक राम अयोध्या के ही रहेंगे और जिस दिन हमारी श्रद्धा अत्यधिक प्रबल हो जाएगी उस दिन अयोध्या में उनका भव्य मंदिर फिर से बनकर खड़ा हे जाएगा. इसके 120 साल बाद भाद्रपद कृष्णपक्ष द्वितीया, विक्रम संवत 2077 यानी 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या में फिर से भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ. अब 22 जनवरी को राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है.
अयोध्या के लक्ष्मण किला इलाके में रह कर स्वामी विवेकानंद ने की थी आध्यात्मिक साधना
अयोध्या से स्वामी विवेकानंद के संबंध को लेकर जगदगुरु रामानुजाचार्य परंपरा के संत स्वामी जीयर प्रपन्नाचार्य जी का दावा है कि स्वामी विवेकानंद को उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने ज्ञान हासिल करने के लिए अयोध्या में साधना के लिए भेजा था. उन्होंने बताया कि अयोध्या में लक्ष्मण किला इलाके में एक मंदिर में स्वामी विवेकानंद ने लंबे समय तक रह कर साधना की थी. इस दौरान उन्होंने सरयू स्नान और राम जन्मभूमि के दर्शन भी किए थे. लक्ष्मण किला के आसपास रहने वाले साधु- संतों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या दौरे के दौरान उनसे स्वामी विवेकानंद की मूर्ति लगाकर धरोहरों को सहेजने की मांग भी की थी.