Nuclear Leak: भयानक खतरा, इंग्लैंड के इस परमाणु प्लांट से फैल रहा रेडिएशन, 12 घंटे में नॉर्वे पहुंच सकता है रेडियोएक्टिव बादल
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Nuclear Leak: भयानक खतरा, इंग्लैंड के इस परमाणु प्लांट से फैल रहा रेडिएशन, 12 घंटे में नॉर्वे पहुंच सकता है रेडियोएक्टिव बादल

UK Nuclear Site Leak: इंग्लैंड से बेहद डराने वाली खबर सामने आ रही है. द गार्जियन ने एक साल की जांच के बाद प्रकाशित की अपनी रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा किया है. दावा इस बारे में है कि इंग्लैंड के कुंब्रिया की न्यूक्लियर साइट से लगातार खतरनाक गैस और लिक्विड वेस्ट लीक हो रहा है.

Nuclear Leak: भयानक खतरा, इंग्लैंड के इस परमाणु प्लांट से फैल रहा रेडिएशन, 12 घंटे में नॉर्वे पहुंच सकता है रेडियोएक्टिव बादल

UK Nuclear Site Leak: इंग्लैंड से बेहद डराने वाली खबर सामने आ रही है. द गार्जियन ने एक साल की जांच के बाद प्रकाशित की अपनी रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा किया है. दावा इस बारे में है कि इंग्लैंड के कुंब्रिया की न्यूक्लियर साइट से लगातार खतरनाक गैस और लिक्विड वेस्ट लीक हो रहा है. न्यूक्लियर साइट सेलाफील्ड में रेडियोएक्टिव वेस्ट के एक विशाल साइलो (स्टोरेज के लिए बनाई गई संरचना) में दरारें पड़ गई हैं. रिपोर्ट में इसे बेहद चिंता का विषय बताया गया है. सेलाफील्ड से एक रेडियोएक्टिव बादल 12 घंटे से भी कम समय में नॉर्वेजियन तट तक पहुंच सकता है. ऐसी स्थिति में लाखों जिंदगियों पर खतरनाक असर पड़ सकता है.

बेहद खतरनाक साबित हो सकता है

जर्जर हो रहे साइलो में जहरीला न्यूक्लियर वेस्ट है जिसे बी30 कहा जाता है. इनमें दरार पड़ने की खबरों पर अमेरिका, नॉर्वे और आयरलैंड के बीच राजनयिक तनाव पैदा कर दिया है. जिन्हें डर है कि सेलाफील्ड समस्याओं पर काबू पाने में विफल रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसे इंग्लैंड की सबसे ज्यादा न्यूक्लियर रिस्क वाला मैग्नॉक्स स्वार्फ़ स्टोरेज साइलो (एमएसएसएस)  के रूप में जाना जाता है. 

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2050 तक जारी रह सकता है लीक

इस कुंब्रियन साइट से रेडियोएक्टिव लिक्विड वेस्ट का रिसाव 2050 तक जारी रह सकता है. अगर ऐसा हुआ तो ग्राउंड वाटर दूषित होने का खतरा पैदा होगा. यहां दशकों से न्यूक्लियर वेस्ट इकट्ठा हो रहा है. इस वेस्ट को ढंकने वाली कंक्रीट-डामर की परत में दरार पड़ गई है. जो इस साइट बेहद रिस्की बनाता है. इस साइट को लेकर गार्जियन ने एक साल तक अपनी जांच-पड़ताल जारी रखी और 'न्यूक्लियर लीक्स' के नाम से इसे प्रकाशित किया.

सुरक्षा से खिलवाड़

बता दें कि सेलाफील्ड कुंब्रियन तट पर 6 वर्ग किमी (2 वर्ग मील) में फैला हुआ है. यहां 11,000 लोग काम करते हैं. यहां वीपन प्रोग्राम और न्यूक्लियर एनर्जी प्रोडक्शन से निकलने वाले न्यूक्लियर वेस्ट के स्टोरेज है. यह यूरोप में इस तरह की सबसे बड़ी सुविधा है. इसे लेकर गार्जियन ने नवंबर 2022 में सेलाफ़ील्ड बोर्ड के सदस्यों को सुरक्षा मानकों में चूक की एक लिस्ट भेजकर चिंता व्यक्त की थी.

चेर्नोबिल से भी बदतर हादसे को निमंत्रण!

रेडिएशन से होने वाले नुकसान पर यूके सरकार को सलाह देने वाले पैनल के एक वैज्ञानिक ने गार्जियन को बताया कि सेलाफ़ील्ड में लीक से होने वाले जोखिमों पर कार्रवाई नहीं की गई. बता दें कि 1957 में भीषण आग लगी थी. यह इंग्लैंड का अब तक का सबसे बड़ा न्यूक्लियर हादसा था. 2001 में यूरोपीय संघ की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि सेलाफील्ड में दुर्घटना यूक्रेन में 1986 की आपदा स्थल चेर्नोबिल से भी बदतर हो सकती है. चेर्नोबिल हादसे में पांच मिलियन यूरोपीय लोग रेडिएशन के संपर्क में आकर प्रभावित हुए थे. सेलाफ़ील्ड में चेर्नोबिल की तुलना में काफी अधिक रेडियोएक्टिव सामग्री है.

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अमेरिका ने जताई चिंता

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी घटनाएं जो संयंत्र का रेडियोएक्टिव वेस्ट वायुमंडल में फैला तो यह बड़े हादसे को ट्रिगर कर सकती. गार्जियन की रिपोर्ट पर अमेरिकी अधिकारियों ने चरमराते बुनियादी ढांचे को लेकर चेतावनी दी है. अमेरिका का मानना है कि इस दिशा में यूके के अधिकारियों की ओर से पारदर्शिता की कमी है. ब्रिटेन और अमेरिका के बीच परमाणु प्रौद्योगिकी पर दशकों पुराना संबंध है.

विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं

सेलाफील्ड को लेकर गहराती चिंताओं के कारण आयरिश और नॉर्वेजियन सरकारों के बीच भी तनाव पैदा हो गया है. नॉर्वेजियन अधिकारियों को चिंता है कि साइट पर दुर्घटना से उत्तरी सागर में दक्षिण-पश्चिमी हवाओं द्वारा रेडियोएक्टिव कणों का ढेर लग सकता है. जिससे नॉर्वे के खाद्य उत्पादन और वन्य जीवन के लिए संभावित विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं. नॉर्वेजियन के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा कि ओस्लो (नार्वे की राजधानी) को साइट पर मजबूत सुरक्षा तंत्र के लिए आर्थिक मदद की पेशकश करनी चाहिए. जिससे इस संरचना से जुड़े खतरों को खत्म या कम किया जा सके.

क्यों है नॉर्वे के लिए सबसे बड़ा खतरा?

नॉर्वेजियन अधिकारियों को डर है कि साइट पर दुर्घटना से उत्तरी सागर में रेडियोएक्टिव पार्टिकल्स का ढेर लग सकता है. नॉर्वेजियन रेडिएशन और न्यूक्लियर सिक्योरिटी अथॉरटी, नॉर्वेजियन मौसम विज्ञान संस्थान और नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ लाइफ साइंसेज के अनुमान के मुताबिक किसी हादसे की स्थिति में सेलाफील्ड से महज 12 घंटे में रेडियोएक्टिव बादल नॉर्वे पहुंच सकते हैं. इसकी जद में नॉर्वे ही नहीं बल्कि कई देश आ सकते हैं. स्वीडेन और फिनलैंड के लिए भी यह बड़ा खतरा साबित हो सकता है.

दशकों का न्यूक्लियर वेस्ट

सेलाफील्ड दशकों के न्यूक्लियर वेस्ट को निकालने की कोशिश कर रहा है. 1960 में इसे तैयार किया गया था. इसे यूके में सबसे अधिक खतरे वाली परमाणु सुविधाओं में से एक कहा जाता है. यहां के न्यूक्लियर वेस्ट को खत्म करने में कम से कम 20 साल लग सकते हैं. यह तीन साल से अधिक समय से लीक हो रहा है. सेलाफील्ड ने 2019 में स्टोरेज यूनिट से ओएनआर में लीक की बात कही थी. रिपोर्ट की मानें तो अब हर दिन इस सुविधा से 2.3-2.5 क्यूबिक मीटर रेडियोएक्टिव वेस्ट लीक हो रहा है. यह लिक्विच रेडियोएक्टिव मैग्नीशियम के बुरादे का एक लिक्विड है जो पानी में घुल जाता है.

गंभीर बीमारी का खतरा

इसका स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है. इसमें मतली और उल्टी और लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव शामिल हो सकते हैं. जो लोग रेडिएशन के संपर्क में ज्यादा होंगे वे दिल की बीमारी, मोतियाबिंद, कैंसर जैसे रोग से ग्रसित हो सकते हैं. जिसे लेकर वैज्ञानिकों की एक टीम ने चेतावनी दी है कि साइलो पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है.

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