Abortion rights matter more in this US election:अमेरिकी चुनाव 2024 में अबॉर्शन का मुद्दा छाया हुआ है, जबसे सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के संघीय अधिकार को समाप्त किया है, इसकी बहाली की लगातार मांग हो रही है. 5 नवंबर को होने वाला अमेरिकी चुनाव पर इस मामले का असर पड़ सकता है. जानें क्यों?
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US Election 2024: अमेरिका में अब कुछ दिन बाद राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं. अमेरिका में वैसे तो इस चुनाव में कई मामले रहे जो मतदाताओं को वोट देने में कारण बनेंगे, उसी में एक मुद्दा सबसे प्रमुख है गर्भपात का. इसको लेकर डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने नेवादा में एक रैली के दौरान गर्भपात और महिला अधिकारों को लेकर रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के रुख पर निशाना साधा था.
गर्भपात अधिकार पर कमला हैरिस का समर्थन
हैरिस ने सरकार के हस्तक्षेप के बिना 'महिलाओं के अपने शरीर के बारे में फैसला लेने के अधिकार' के प्रति डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रतिबद्धता को जाहिर की थी. हैरिस ने कहा था, "हमारी लड़ाई भविष्य और आजादी के लिए है, जैसे महिलाओं की अपने शरीर के बारे में फैसला लेने की मौलिक स्वतंत्रता."
अमेरिका में गर्भपात अधिकार चुनाव में बड़ा मुद्दा
इससे आप समझ सकते हैं कि अमेरिका में अर्थव्यवस्था, जीवन-यापन की बढ़ती लागत, प्रवास और स्वास्थ्य सेवा के साथ-साथ गर्भपात का अधिकार एक ऐसा मुद्दा है जो कई अमेरिकी मतदाताओं को मतपेटी की ओर खींचने का काम करेगा. अगर आप शुरू से अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार का आंकलन करेंगे तो गर्भपात का मुद्दा ट्रंप के लिए गर्भ और हैरिस के लिए मौलिक अधिकार के तौर पर रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव से पहले डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई प्रेसिडेंशियल डिबेट में अबॉर्शन का मुद्दा काफी हावी रहा. इस मामले को लेकर कमला हैरिस और ट्रंप के बीच जोरदार बहस देखने को मिली थी. ट्रंप ने आरोप लगाया कि अगर कमला हैरिस राष्ट्रपति बनीं तो अबॉर्शन को लेकर नियम बदल देंगी.
तो क्या अमेरिका में गर्भपात के अधिकार का मुद्दा राष्ट्रपति चुनाव में किसी की हार और किसी की जीत का जरिया बन सकता है. आइए समझते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इंडियानापोलिस विश्वविद्यालय में एक एसोसिएट राजनीति विज्ञान प्रोफेसर लॉरा मेरिफील्ड विल्सन के मुताबिक, "हैरिस स्पष्ट रूप से गर्भपात के पक्ष में हैं और वह जानबूझकर गर्भपात को स्वतंत्रता के मुद्दे के रूप में पेश करती हैं." अमेरिका में गर्भपात के अधिकारों की वकालत करने वाले लोग खुद को गर्भपात के पक्ष में या चुनाव की स्वतंत्रता चाहने वाले के रूप में संदर्भित करते हैं. "यह मुद्दा डेमोक्रेटिक मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन विशेष रूप से महिला मतदाताओं और युवा मतदाताओं के लिए."
ट्रंप को हो सकता है चुनाव में नुकसान
ट्रंप को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. अगस्त के अंत और सितंबर की शुरुआत के बीच प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि डेमोक्रेट गर्भपात को अपने वोट को प्रभावित करने वाले तीसरे सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे के रूप में रैंक करते हैं, केवल स्वास्थ्य देखभाल और सुप्रीम कोर्ट की नियुक्तियाँ ही इससे भी अधिक महत्वपूर्ण हैं. हालाँकि, ये दोनों मुद्दे गर्भपात के अधिकारों से भी जुड़े हैं. प्यू पोल ने यह भी पाया कि अर्थव्यवस्था, आव्रजन और हिंसक अपराध के खिलाफ लड़ाई रिपब्लिकन मतदाताओं के लिए तीन सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे थे. गर्भपात तीसरा सबसे कम महत्वपूर्ण मुद्दा
गर्भपात अधिकार को लेकर 2022 से अमेरिका में बहस
5 नवंबर को होने वाला आगामी अमेरिकी चुनाव 2022 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐतिहासिक रो बनाम वेड के फैसले को पलटने के बाद पहला राष्ट्रपति चुनाव है. तब तक 1972 के फैसले ने अमेरिका में हर महिला को गर्भावस्था जारी रखने या गर्भपात करने का फैसला करने का अधिकार दिया था. लेकिन जून 2022 में, नौ सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट के रूढ़िवादी बहुमत ने इस कानून को निरस्त करने के लिए मतदान किया.तब से हर अमेरिकी राज्य ने अपने स्वयं के गर्भपात कानून तैयार किए हैं, जिनमें से कुछ बहुत खतरनाक कानून बनाया है. केंटकी या लुइसियाना जैसे कुछ रिपब्लिकन शासित राज्यों में बलात्कार के मामलों में भी गर्भपात पूरी तरह से अवैध है. अन्य राज्यों में गर्भपात की अनुमति केवल गर्भावस्था के आरंभ तक ही दी जाती है, जब तक कि बहुत से लोगों को यह एहसास नहीं होता कि वे गर्भवती हैं.
गर्भपात अधिकार को समाप्त करना ट्रंप के लिए गर्भ की बात
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जो 2024 में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार हैं. उन्होंने 2017 और 2021 के बीच अपने पहले कार्यकाल के दौरान तीन रूढ़िवादी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को नियुक्त किया. जिनमें से सभी ने गर्भपात के राष्ट्रव्यापी अधिकार को खत्म करने के लिए मतदान किया था. ट्रंप ने इस फैसले पर गर्भ महसूस किया था.
कमला का चुनावी वादा ही गर्भपात अधिकार की देंगी सुविधा
लेकिन कमला हैरिस ने गर्भपात के अधिकारों को अपने चुनाव प्रचार में एक अनिवार्य हिस्सा बना लिया है. कमला अपने भाषणों में हर बार कहती हैं कि अगर वह राष्ट्रपति बनीं तो वह अमेरिका में महिलाओं को गर्भपात की सुविधा प्रदान करने के लिए काम करेंगी, चाहे वे किसी भी राज्य में रहती हों.
गर्भपात अधिकार मामले में किसको चुनाव में मिलेगा फायदा?
यानी गर्भपात पर दोनों नेताओं के मत एक नहीं हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि चुनाव में किसे फायदा मिलेगा तो जानते हैं. तो यह कह पाना अभी मुश्किल है. यह चुनाव नतीजे के बाद पता चलेगा कि अमेरिका के लोग गर्भपात पर क्या सोचते हैं. वैसे जो अमेरिका का एक वर्ग महिलाओं को गर्भपात का अधिकार देने के पक्ष में है जबकि धार्मिक वर्ग के लोग इससे खुश नहीं हैं.
क्या कहते हैं अमेरिकी?
उनका मानना है कि भ्रूण को भी जीवन का अधिकार है. इसी को देखते हुए अलग-अलग राज्यों में गर्भपात को लेकर अलग कानून बनाए गए. महिलाएं गर्भपात को मंजूरी देने की मांग कर रही हैं. जून में एसोसिएटेड प्रेस/एनओआरसी की ओर से एक सर्वे भी कराया गया था. इसमें लगभग 61% वयस्क ने कहा कि उनके राज्य में गर्भपात की इजाजत दी जानी चाहिए. जिन राज्यों में अबॉर्शन पर बैन है, वहां की 67% महिलाओं का भी यही मानना था. सर्वे में रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों में से 57% ने ही माना कि महिलाओं को अबॉर्शन का हक मिलना चाहिए. जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी के 85% समर्थकों ने अबॉर्शन के कानूनी अधिकार का समर्थन किया था.