Pravin Darekar: देवेंद्र फडणवीस के करीबी, आरक्षण पर जरांगे-पाटिल का जवाब, जानिए कौन हैं भाजपा के मराठा नेता प्रवीण दरेकर?
Who is Pravin Darekar: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 से पहले भाजपा ने राज्य में मराठा आरक्षण आंदोलन करने वाले मनोज जरांगे पाटिल का जवाब देने के लिए अपने एक बड़े मराठा नेता को ही आगे किया है. भाजपा ने शिवसेना के छात्र संगठन से राजनीति की शुरुआत करने वाले प्रवीण दरेकर को मैदान में उतारा है. दरेकर ने कहा है कि भाजपा मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन गलत आरोपों का विरोध भी करेगी.
Maharashtra Politics: लोकसभा चुनाव 2024 में उम्मीदों के मुताबिक नतीजे नहीं मिलने और आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने मराठा आरक्षण आंदोलन से निपटने की पूरी तैयारी में जुट गई है. इस मामले में पॉलिटिकल इमेज ठीक करने और मराठा आरक्षण की मांग करने वाले मनोज जरांगे पाटिल का मुकाबला करने के लिए भाजपा ने बड़ी पहल की है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का बड़ा सियासी दांव
महाराष्ट्र भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले शिवसेना के छात्र संगठन से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले प्रवीण दरेकर को सियासी मैदान में उतारा है. मराठा आरक्षण मुद्दे पर भाजपा नेता प्रवीण दरेकर की भूमिका और उनके बयान बीते दिनों से सियासी सुर्खियों में शामिल हैं. उन्होंने हाल ही में जोर देकर कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए भाजपा प्रतिबद्ध है, लेकिन गलत आरोपों का विरोध भी करेगी.
'हमने संयम रखा और जरांगे-पाटिल के आंदोलन का सम्मान किया'
प्रवीण दरेकर ने मराठा कोटा एक्टिविस्ट मनोज जारंगे पाटिल पर निशाना भी साधा है. उन्होंने कहा कि जरांगे पाटिल ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है और शब्दों की मर्यादा लांघ रहे हैं. इससे पहले जारंगे-पाटिल ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के सीनियर नेता देवेंद्र फडणवीस पर उन्हें जेल भेजने और जान से मारने की साजिश रचने का आरोप लगाया था. दरेकर मे इसका कड़ा जवाब देते हुए कहा था, “हमने संयम बनाए रखा है और जरांगे-पाटिल के आंदोलन का सम्मान किया है, लेकिन अगर कोई हमारे और हमारे नेताओं के खिलाफ झूठे दावे करता है, तो हमें उनका मुकाबला करना होगा."
डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के करीबी माने जाते हैं प्रवीण दरेकर
प्रवीण दरेकर को देवेंद्र फडणवीस का करीबी माना जाता है. हालांकि, उन पर आरक्षण के मुद्दे पर मराठा समुदाय में फूट डालने के लिए एक संगठन को आगे बढ़ाने का आरोप है. तीन दशक से अधिक समय पहले शिवसेना की छात्र शाखा से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले प्रवीण दरेकर सबसे पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के विधायक चुने गए थे. बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए और महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता के रूप में काम कर चुके हैं.
मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे-पाटिल पर बड़ा निशाना
विवादों में पड़ने की अपनी प्रवृत्ति के लिए जाने जाने वाले और मराठा समुदाय से आने वाले प्रवीण दरेकर पिछले सप्ताह तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने विवादास्पद मराठा आरक्षण मुद्दे पर मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जरांगे-पाटिल पर निशाना साधा था. इस मुद्दे का इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण असर पड़ने की संभावना है. कोटा मुद्दे पर मराठा समुदाय की भावनाओं ने महाराष्ट्र में हाल के लोकसभा चुनावों में भाजपा के खराब प्रदर्शन में भूमिका निभाई थी.
लोकसभा चुनाव 2024 में घटी भाजपा की सीटें, वोट शेयर भी हुआ कम
लोकसभा चुनाव 2019 में 23 सीटों के मुकाबले लोकसभा चुनाव 2024 में घटकर भाजपा महज नौ सीटों पर सिमट गई. अपनी सीटें गिरते हुए देखकर भाजपा ने जरांगे-पाटिल के आरोपों का जवाब देने के लिए दरेकर को आगे किया है. मराठा आरक्षण आंदोलन चलाने वाले जरांगे-पाटिल ने प्रवीण दरेकर पर मराठों के लिए आरक्षण की लड़ाई लड़ने वाले सामाजिक संगठन मराठा ठोक मोर्चा को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया है, ताकि उनके आंदोलन में फूट डाली जा सके और समुदाय को विभाजित किया जा सके. जबकि दरेकर ने कहा कि हम मराठों को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
राज ठाकरे से सीखा मराठा राजनीति का शुरुआती गुर, बने विधायक
मुंबई विश्वविद्यालय से बी.कॉम स्नातक प्रवीण दरेकर ने शिवसेना की छात्र शाखा भारतीय विद्यार्थी सेना (बीवीएस) के सदस्य के रूप में राजनीति में कदम रखा था. उसका नेतृत्व तब एमएनएस संस्थापक राज ठाकरे करते थे. 2005 में दरेकर राज ठाकरे के साथ एमएनएस में शामिल हो गए और इसके संस्थापक सदस्यों में से एक बन गए थे. 2009 में दरेकेर ने मगथाने विधानसभा क्षेत्र से एमएनएस उम्मीदवार के रूप में सफलतापूर्वक अपना चुनावी डेब्यू किया, लेकिन पांच साल बाद शिवसेना के प्रकाश सुर्वे से हार गए.
2015 में एमएएस छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए प्रवीण दरेकर
इसके बाद 2015 में उन्होंने एमएएस छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए. उनके इस कदम का पार्टी के एक वर्ग ने विरोध किया. फडणवीस के संरक्षण में भाजपा में उनका क्रमिक उत्थान भी पार्टी के कुछ पुराने नेताओं को पसंद नहीं आया. साल 2016 में, भाजपा ने दरेकेर को एमएलसी बनाया और बाद में 2019 में उन्हें विधान परिषद में विपक्ष का नेता बनाया. इस कदम से भाजपा नेताओं के एक वर्ग ने अभियान चलाया, जिन्होंने पार्टी के एक "बाहरी व्यक्ति" को पुरस्कृत करने के फैसले पर सवाल उठाया। हालांकि, उन्हें पार्टी के भीतर कुछ नेताओं का समर्थन मिला.
भाजपा की दलील- राजनीति में सभी को समायोजित करने की जरूरत
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, “राजनीति में, सभी को समायोजित करने की जरूरत होती है. अगर कोई संगठन और नेताओं के प्रति वफादार है, तो उन्हें पुरस्कृत क्यों नहीं किया जाना चाहिए? यह मान लेना गलत है कि दूसरों को नजरअंदाज किया जा रहा है. प्रत्येक व्यक्ति को एक कार्य सौंपा गया है और वह अपनी क्षमता के अनुसार काम करता है. इसके अलावा, सभी निर्णय कोर कमेटी-स्तर पर लिए जाते हैं.”
भाजपा ने कई बार ठुकराई मांग, प्रवीण दरेकर को होना पड़ा निराश
प्रवीण दरेकर को निराशा का सामना भी करना पड़ा क्योंकि भाजपा ने 2019 में विधानसभा टिकट के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था. बाद में उन्हें एकनाथ शिंदे मंत्रिमंडल में जगह देने से भी इनकार कर दिया था. 2015 से 2022 के बीच मुंबई जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (एमडीसीसीबी) के अध्यक्ष के रूप में दरेकर का कार्यकाल भी विवादों से घिरा रहा. उन पर तेजी से वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे.
वित्तीय अनियमितता, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के अलावा भी आरोप
दरेकर पर एमडीसीसीबी के प्रतिनिधि के रूप में चुने जाने के लिए एक मजदूर के रूप में अपनी स्थिति को गलत तरीके से बताने का आरोप लगाया गया था. उन्होंने इसे बार-बार निराधार और राजनीति से प्रेरित आरोप बताकर नकार दिया है. दरेकर पर 2015 में धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप में मामला दर्ज किया गया था. महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के कार्यकाल के दौरान उन्हें सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार द्वारा अयोग्य घोषित कर दिया गया था. इस आदेश को उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन बाद में वापस ले लिया.
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प्रवीण दरेकर के खिलाफ कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज का भी मामला
साल 2022 में प्रवीण दरेकेर के खिलाफ कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर उन्हें मजदूर दिखाने के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी. क्योंकि उनके 2016 एमएलसी चुनाव हलफनामे में उन्हें "व्यवसायी/उद्यमी" दिखाया गया था. इससे पहले दरेकेर को 2009 और 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की आलोचना का भी सामना करना पड़ा था. फिर भाजपा में शामिल होने के बाद महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की आलोचना का भी सामना करना पड़ा था.
जून 2022 में एकनाथ शिंदे के कार्यभार संभालने के बाद प्रवीण दरेकेर एमडीसीसीबी के अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध लौट आए. इसे उनके लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा गया. उसी साल दिसंबर में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने भी उन्हें 2015 के मामले में क्लीन चिट दे दी.