Maratha Reservation Protest: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर हिंसक आंदोलन हो रहा है और जगह-जगह आगजनी हो रही है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि मराठा समुदाय आखिर क्यों प्रदर्शन कर रहा है और उनकी मांग क्या है?
Trending Photos
Know All About Maratha Reservation Protest: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर शुरू हुआ आंदोलन हिंसक हो गया है. महाराष्ट्र के अलग अलग जिलों में आगजनी हो रही है. बीड जिले में प्रदर्शन और बवाल को देखते हुए धारा 144 लगा दी गई है. मराठा आरक्षण की आग पूरे महाराष्ट्र को जला रही है. बीड में उग्र प्रदर्शनकारियों ने एनसीपी दफ्तर को आग के हवाले कर दिया. NCP विधायक संदीप क्षीरसागर और पूर्व मंत्री जय क्षीरसागर के घर में आग लगा दिया. इस बीच सरकार भी एक्शन में आ गई है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल से मुलाकात की. वहीं, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बीजेपी नेताओं के साथ बैठक की. बता दें कि मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है. ये मामला सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच में लंबित है.
क्यों आरक्षण की मांग कर रहे हैं मराठा?
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की मांग है कि पिछड़ी जातियों के जैसे उन्हें भी एजुकेशन के अलावा नौकरियों में आरक्षण दिया जाए. मराठाओं के लोगों का मानना है कि उनके समुदाय में ज्यादातर किसान हैं और लगातार खेती में आ रही समस्याओं की वजह से वो आर्थिक रूप से कमजोर हुए हैं. इस वजह से मराठा समुदाय अपने भविष्य को लेकर चिंतित है और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है.
कब शुरू हुई मराठा आरक्षण की मांग?
मराठा समुदाय लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहा है. 1980 के दशक में पहली बार महाराष्ट्र में आरक्षण की मांग ने आंदोलन का रूप लिया. इसके बाद साल 2016 से 2018 के बीच कई दौर में आंदोलन हुए, जिसमें कई लोगों की जान भी गई. इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने साल 2018 में कानून बनाया और मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण दिया. लेकिन, जब मामला बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने इसे कम करते हुए सरकारी नौकरियों में 13 प्रतिशत और शैक्षणिक संस्थानों में 12 प्रतिशत आरक्षण कर दिया. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और मई 2021 में कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने आरक्षण पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दी सकती है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल साल 1992 में रिजर्वेशन लिमिट 50 प्रतिशत तय की थी.
राजनीतिक रूप से कितने ताकतवर हैं मराठा?
महाराष्ट्र में मराठाओं की संख्या करीब 33 फीसदी है और राज्य की राजनीति में मराठा समुदाय का दबदबा रहा है. साल 1960 में महाराष्ट्र के गठन के बाद बने 20 मुख्यमंत्रियों में से 12 मराठा ही रहे हैं और सीएम एकनाथ शिंदे भी इसी समुदाय से आते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र विधानसभा में 45 सीटों पर मराठा समुदाय का कब्जा रहा है. साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि मराठा समाज राजनीतिक रूप से काफी सक्षम है और 40 फीसदी से ज्यादा सांसद व विधायक मराठा समुदाय से ही आते हैं.
किस पार्टी के समर्थक हैं मराठा?
मराठा समुदाय का राजनीति में अहम योगदान रहा है और आजादी के बाद मराठा कांग्रेस पार्टी के समर्थक हुआ करते थे, लेकिन बाद में उनकी पहली पसंद एनसीपी बन गई. हालांकि, कुछ सालों बाद राजनीतिक रुख फिर बदला और मराठा समुदाय का रुझान बीजेपी-शिवसेना की तरहफ हो गया. मौजूदा समय में बीजेपी और शिवसेना ही मराठा समुदाय की पहली पसंद हैं. रिपोर्ट के अनुसार, साल 2014 के लोकसभा चुनाव में 52 फीसदी मराठाओं ने बीजेपी-शिवसेना को वोट किया था. इसके बाद उसी साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 24 प्रतिशत और शिवसेना को 30 फीसदी मराठा वोट मिले थे. इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना को 39 और बीजेपी को 20 मराठा वोट मिले थे. 2019 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को 57 फीसदी मराठा वोट मिले थे.
मराठा आरक्षण में शिंदे सरकार के सामने क्या है अड़चन?
ऐसा नहीं है कि मौजूदा एकनाथ शिंदे सरकार ने मराठा आरक्षण को लेकर कोई कदम नहीं उठाया. बीजेपी-शिवसेना (शिंदे गुट) के गठबंधन की सरकार मराठाओं को आरक्षण देने की पूरी कोशिश में हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आगे वह कुछ नहीं कर पा रही है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण को लेकर तय की गई सीमा भेद पाना शिंदे सरकार के लिए बेहद मुश्किल है. बीड में जारी हिंसा के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को राज्यपाल से मुलाकात की थी. वहीं, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी बीजेपी नेताओं के साथ बैठक की थी.