Explained: चुनावी नतीजों के बाद भी करा सकते हैं EVM की जांच, ये है प्रोसेस और फीस
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Explained: चुनावी नतीजों के बाद भी करा सकते हैं EVM की जांच, ये है प्रोसेस और फीस

EVM Chek: सुप्रीम कोर्ट के अनुसार चुनाव में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवार अपने निर्वाचन क्षेत्र में उपयोग किए गए कुल ईवीएम का 5 प्रतिशत तक सत्यापन करा सकते हैं. इसके लिए चुनाव परिणाम घोषित होने के सात दिनों के भीतर एक लिखित आवेदन देना अनिवार्य होता है.

Explained: चुनावी नतीजों के बाद भी करा सकते हैं EVM की जांच, ये है प्रोसेस और फीस

EVM Verification Cost: पिछले कुछ समय से देश में चुनावी प्रक्रिया को लेकर पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं, खासकर ईवीएम के उपयोग को लेकर कई राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों ने चिंताएं जाहिर की हैं. इसी बीच महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद 11 उम्मीदवारों ने ईवीएम की जांच की मांग करते हुए अपने निर्वाचन क्षेत्रों में उपयोग किए गए माइक्रोकंट्रोलर्स की सत्यापन प्रक्रिया शुरू कराई है. यह मांग उन क्षेत्रों से आ रही है जहां उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है. आइए इस बारे में समझते हैं कि ईवीएम की जांच कराने की प्रक्रिया क्या है और इसके लिए कितनी फीस लगती है.

कानूनी प्रावधान और आवेदन की प्रक्रिया और फीस..
असल में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार चुनाव में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवार अपने निर्वाचन क्षेत्र में उपयोग किए गए कुल ईवीएम का 5 प्रतिशत तक सत्यापन करा सकते हैं. इसके लिए चुनाव परिणाम घोषित होने के सात दिनों के भीतर एक लिखित आवेदन देना अनिवार्य होता है. उम्मीदवारों को इस प्रक्रिया के लिए एक निश्चित शुल्क जमा करना होता है, जो ईवीएम की संख्या पर निर्भर करता है. महाराष्ट्र में 137 ईवीएम की जांच के लिए उम्मीदवारों ने कुल 66.64 लाख रुपये का भुगतान किया है.

प्रक्रिया क्या है और इसका तकनीकी पहलू क्या है?
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक जांच प्रक्रिया में उम्मीदवारों की उपस्थिति में एक मॉक पोल का आयोजन किया जाता है. इसमें ईवीएम के निर्माणकर्ता कंपनियों के इंजीनियर, जिला चुनाव अधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारी शामिल होते हैं. यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रक्रिया उच्च न्यायालय और चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार हो. इस दौरान ईवीएम के माइक्रोकंट्रोलर और वीवीपैट (VVPAT) का विश्लेषण किया जाता है ताकि किसी भी गड़बड़ी की संभावना को खारिज किया जा सके.

उम्मीदवारों की चिंताएं और मांगें क्या हैं.. 
रिपोर्ट के मुताबिक हाल के मामले में एनसीपी शरद पवार के हड़पसर उम्मीदवार प्रशांत जगताप ने अपने क्षेत्र के 27 ईवीएम की जांच के लिए 12 लाख रुपये से अधिक का भुगतान किया है. इसी प्रकार कांग्रेस के पुणे कैंटोनमेंट उम्मीदवार रमेश बागवे और अन्य उम्मीदवारों ने भी अपने निर्वाचन क्षेत्रों में ईवीएम की जांच की मांग की. कई उम्मीदवारों का दावा है कि कुछ मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की भावना उनके पक्ष में थी, लेकिन परिणाम विपरीत आए, जिससे वे हैरान हैं.

चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता पर बहस जारी.. 
इधर फिलहाल पूरे देश में ईवीएम की जांच प्रक्रिया, भारतीय चुनाव प्रणाली में पारदर्शिता पर जारी है. खासकर विपक्षी दल इसको लेकर काफी ज्यादा हमलावर और लगातार इस तरीके को बदलने की मांग कर रहे हैं. उधर मशीनों की जांच का मामला नया है. यह प्रक्रिया महंगी है, लेकिन लोकतंत्र की मजबूती और चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता के लिए इसे एक विकल्प माना जा रहा है.

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