कभी अंफान, कभी दाना... ये तूफान ओडिशा-बंगाल में ही बार-बार क्यों आते हैं? कभी सोचा है आपने
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कभी अंफान, कभी दाना... ये तूफान ओडिशा-बंगाल में ही बार-बार क्यों आते हैं? कभी सोचा है आपने

Cyclone Dana: बंगाल और ओडिशा एक बार फिर हाई अलर्ट हैं. चक्रवाती तूफान 'दाना' को लेकर सभी विभाग तैयारियों में लगे हुए हैं. बताया जा रहा है कि 24 अक्टूबर की रात या फिर 25 अक्टूबर की सुबह 'दाना' दस्तक दे सकता है. ऐसे में एक सवाल अक्सर मन में आता है कि आखिर सभी तूफान बंगाल और ओडिशा में ही क्यों आते हैं. तो चलिए जानते हैं.

कभी अंफान, कभी दाना... ये तूफान ओडिशा-बंगाल में ही बार-बार क्यों आते हैं? कभी सोचा है आपने

Cyclone Dana: चक्रवाती तूफानी 'दाना' तेजी से खतरनाक रूप लेता जा रहा है. इसको लेकर भारतीय मौसम विभाग (IMD), रेलवे समेत तमाम संबंधित विभागों ने कमर कसली है. पूर्वी तटीय रेलवे (ईसीओआर) ने चक्रवात 'दाना' के निकट आने पर 85 अप ट्रेन और 93 डाउन ट्रेन सहित 178 ट्रेनों को रद्द करने की घोषणा की है. चक्रवात के 24 अक्टूबर की रात या 25 अक्टूबर की सुबह ओडिशा में दस्तक देने की उम्मीद है. इसके अलावा भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया है कि बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना दबाव मंगलवार शाम को और तेज हो गया और इसके एक गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की आशंका है.

IMD के मुताबिक यह 25 अक्टूबर को सुबह ओडिशा-पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों से टकरा सकता है, जिसमें हवा की गति 100 से 110 मील प्रति घंटे और हवा की गति 120 मील प्रति घंटे तक हो सकती है. दबाव के तेज होने के कारण ओडिशा, पश्चिम बंगाल के अधिकारी, तटरक्षक बल, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और अन्य बचाव दल हाई अलर्ट पर हैं. चक्रवाती तूफान दाना हो या फिर इससे पहले आने वाले तूफान वो सभी पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लिए ज्यादा खतरनाक होते हैं. तो चलिए जानते हैं कि आखिर इन दोनों राज्यों के लिए सभी तूफान खतरे की घंटी क्यों होते हैं.

ओडिशा-बंगाल में ही क्यों आते हैं तूफान

➤ भौगोलिक स्थिति: सबसे पहले बात करते हैं भौगोलिक स्थिति की. ओडिशा और बंगाल दोनों ऐसे राज्य हैं जो खाड़ी के किनारे स्थित हैं. जिसकी वजह से ये दोनों राज्य चक्रवातों के लिए संवेदनशील हैं. बंगाल की खाड़ी तूफ़ानों को जन्म देने और उनकी तीव्रता को बढ़ाने के लिए एक आदर्श वातावरण प्रदान करती है. गर्म समुद्री पानी और हवा की नमी चक्रवातों को जन्म देती है. जिसकी वजह से अक्सर ये दोनों राज्य तूफान आने पर खतरे के दौर से गुजरते हैं. 
➤ मौसमी प्रभाव: हर साल गर्मियों के अंत और मानसून के दौरान (अप्रैल से नवंबर), बंगाल की खाड़ी में समुद्र का तापमान अधिक हो जाता है, जिससे कम वायुदाब वाले क्षेत्र बनते हैं. ये क्षेत्र चक्रवातों का कारण बनते हैं और पूर्वी तटों की ओर बढ़ते हैं, जिनमें ओडिशा और बंगाल प्रमुख रूप से प्रभावित होते हैं.
➤ दक्षिणी एशियाई मानसून: दक्षिण-पश्चिम मानसून का प्रवाह भी चक्रवातों की दिशा और तीव्रता को प्रभावित करता है. मानसून के दौरान और उसके बाद, बंगाल की खाड़ी में पैदा होने वाले चक्रवात अक्सर उत्तर-पूर्वी दिशा में बढ़ते हैं, जिससे ओडिशा और बंगाल के तटीय इलाकों पर गहरा असर होता है.
हवा का प्रवाह: ऊपरी वायुमंडलीय हवा की दिशा और प्रवाह भी तूफ़ानों की दिशा निर्धारित करता है. बंगाल की खाड़ी में तूफ़ानों की दिशा अक्सर ओडिशा और पश्चिम बंगाल की तरफ होती है क्योंकि यहां का वातावरण तूफ़ानों के लिए अनुकूल होता है.

कैसे रखा जाता है नाम?

यहां एक सवाल और भी ज़हन में आता है कि आखिर तूफानों के ये अजीब-अजीब नाम कैसे रखे जाते हैं. दरअसल साल 2000 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग एशिया और प्रशांत यानी ESCAP नाम रखने की शुरुआत हुई थी. इस ग्रुप में भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल थे. हालांकि 2018 में ईरान, क़तर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन भी इसका हिस्सा बन गए.

किसने रखा नाम और क्या है मतलब?

इस बार के चक्रवाती तूफान का नाम 'दाना' कतर ने रखा है. दाना अरबी भाषा का शब्द है जिसका मतलब "उदारता" होता है. यहां यह भी बता दें कि चक्रवात का नाम रखने के कुछ दिशानिर्देश होते हैं. जैसे नाम में किसी भी तरह की धार्म और राजनीति से संबंधित ना हो. 

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