Bombay HC on Muslim Marriage Registration: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुस्लिम दंपति की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि मुस्लिम पुरुष को एक से ज्यादा शादियों का अधिकार मुस्लिम पर्सनल लॉ में दिया गया है. ऐसे में उनकी एक से अधिक शादियां रजिस्टर्ड की जा सकती हैं.
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Bombay HC on Muslim Marriage Registration: बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मुस्लिम शख्स एक से ज्यादा विवाह रजिस्टर्ड करा सकता है. अदालत ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में इसकी अनुमति है इसलिए उन्हें एक से ज्यादा शादियां करने से नहीं रोका जा सकता. मुस्लिम दंपती ने अपनी याचिका में अदालत से विवाह प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिए जाने की अपील की थी. जबकि अधिकारियों ने उन्हें प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया था, क्योंकि यह युवक की तीसरी शादी थी.
मुस्लिम व्यक्ति और उसकी तीसरी पत्नि जो अल्जीरियाई है ने, तब अदालत का दरवाजा खटखटाया था जब उन्हें मैरिज रजिस्ट्रार ने प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया था. उन्होंने यह आवेदन फरवरी 2023 में दिया था. ठाणे नगर निगम ने इस आधार पर जोड़े को विवाह प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर दिया कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन और विवाह पंजीकरण अधिनियम के तहत, विवाह की परिभाषा केवल एक विवाह को मानती है, न कि एक से अधिक विवाह को.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 15 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान नगर निगम के उप विवाह रजिस्ट्रार को एक व्यक्ति और उसकी तीसरी पत्नी के आवेदन पर फैसला लेने का निर्देश दिया. जस्टिस बर्गेस कोलाबावाला और सोमशेखर सुंदरसन ने कहा, 'अधिनियम की पूरी योजना में, हमें ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो किसी मुस्लिम पुरुष को तीसरी शादी पंजीकृत करने से रोकता है. इस अधिनियम में ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह दर्शाता हो कि मुसलमानों के व्यक्तिगत कानूनों को बाहर रखा गया है.'
सुनवाई के दौरान बेंच ने प्राधिकरण के इनकार को "पूरी तरह से गलत" करार दिया और कहा कि अधिनियम मुस्लिम पुरुषों को एक से अधिक विवाह पंजीकृत करने से नहीं रोकता, क्योंकि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत इसकी अनुमति है. अदालत ने आगे कहा,'मुसलमानों के लिए व्यक्तिगत कानूनों के तहत, उन्हें एक समय में चार पत्नियां रखने का अधिकार है. हम अधिकारियों की इस दलील को स्वीकार करने में असमर्थ हैं कि, महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन और विवाह पंजीकरण अधिनियम के प्रावधानों के तहत, सिर्फ एक विवाह रजिस्टर्ड किया जा सकता है.'
अदालत ने कहा कि अगर वह प्राधिकारियों की दलील मान भी लें तो इसका मतलब यह होगा कि महाराष्ट्र विवाह ब्यूरो विनियमन एवं विवाह पंजीकरण अधिनियम, ‘पर्सनल लॉ’ को नकारता है और/या उन्हें विस्थापित कर देता है. जबकि इस अधिनियम में ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह दिखाता हो कि मुसलमानों के व्यक्तिगत कानूनों को बाहर रखा गया है.
पीठ ने यह भी बताया कि ठाणे नगर निगम ने याचिकाकर्ता की दूसरी पत्नी के साथ शादी को पंजीकृत किया था. नगर निगम द्वारा दावा किए जाने के बाद कि उनके पास विवाह को पंजीकृत करने के समय सभी संबंधित दस्तावेज नहीं थे, जोड़े को दो सप्ताह के अंदर सभी दस्तावेज जमा करने के लिए कहा गया था. इस पर अदालत ने कहा कि एक बार दस्तावेज जमा हो जाने के बाद, नगर निगम के पास विवाह प्रमाण पत्र जारी करने या व्यक्तिगत सुनवाई के बाद मना करने के लिए 10 दिन का समय होगा.