सफेद या फिर ब्राउन? जानिए सेहत के लिए कौन सा चावल है बेस्ट, मिलते हैं ये जबरदस्त फायदे
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सफेद या फिर ब्राउन? जानिए सेहत के लिए कौन सा चावल है बेस्ट, मिलते हैं ये जबरदस्त फायदे

Benefits of brown rice: न्यूट्रिशनिस्ट भुवन रस्तोगी ने अपनी पोस्ट में ब्राउन राइस से जुड़े कई दिलचस्प तथ्य भी शेयर किए हैं और बताया है कि डेली डाइट में इसे शामिल करने के क्या-क्या लाभ मिलते हैं.

Benefits of brown rice

Benefits of brown rice: हमारे देश में चावल को पसंद करने वालों की संख्या करोड़ों में है. साउथ इंडिया में तो इसे रोटी से ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है. क्योंकि चावल में बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर के लिए जरूरी माने जाते हैं. लेकिन लोग अक्सर इस बात को लेकर दुविधा में रहते हैं कि व्हाइट राइस और ब्राउन राइस में कौन सा ज्यादा बेहतर है? क्या वाकई एक राइस दूसरे से बेहतर है या फिर ये बस एक मिथक है. इस बारे में न्यूट्रिशनिस्ट भुवन रस्तोगी ने अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट की है.
 
क्या है व्हाइट और ब्राउन राइस?
न्यूट्रिशनिस्ट भुवन ने लिखा, सभी व्हाइट राइस पॉलिश किए जाने से पहले ब्राउन ही होते हैं. बिना पॉलिश किए गए चावल ही ब्राउन राइस के नाम से बेचे जाते हैं. ब्राउन चावल साबुत अनाज होता है जबकि व्हाइट राइस प्रोसेस्ड होता है. जब चावल के दाने को पॉलिश किया जाता है, तो इससे चोकर और अंकुर का हिस्सा निकाल दिया जाता है. चावल का अंकुरित भाग वो हिस्सा होता है जिसमें खूब सारा मिनरल और चोकर में भरपूर फाइबर होता है. पॉलिश के बाद व्हाइट राइस से फाइबर, विटामिन और मिनरल्स निकल जाते हैं.

ब्राउन और सफेद चावल में से कौन सा बेहतर?
न्यूट्रिशनिस्ट भुवन ने आगे लिखा है कि 'पके हुए सफेद चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 70 से ज्यादा और ब्राउन राइस का लगभग 50 है.' इसका मतलब है कि व्हाइट राइस की तुलना में ब्राउन राइस ब्लड ग्लुकोज का स्तर ज्यादा नहीं बढ़ाता है और डायबिटीज के मरीजों के लिए ये बेहतर विकल्प है. हालांकि, फाइबर की कमी पर ध्यान देने की जरूरत है.

भुवन कहते हैं कि ज्यादातर लोग खाने में सिर्फ सफेद चावल खाना पसंद करते हैं, जिससे शरीर में फाइबर की जरूरी मात्रा नहीं पहुंच पाती है. लिहाजा हमें अपनी डाइट में कुछ भी ऐसा शामिल नहीं करना चाहिए, जिसमें सिर्फ कैलोरी हो और कोई भी पोषक तत्व ना हो.

ब्राउन राइस को प्राथमिकता देना जरूरी
लास्ट में न्यूट्रिशनिस्ट भुवन ने लिखा है कि, '1900 के दशक की शुरुआत में बेरीबेरी बीमारी ब्राउन राइस की तुलना में बहुत ज्यादा व्हाइट राइस खाने की वजह से फैलना शुरू हुई थी, क्योंकि इसकी वजह से लोगों में विटामिन B1 की कमी हो गई. खासतौर से उन लोगों में जिनका मुख्य भोजन चावल ही होता था. इसलिए व्हाइट राइस की जगह ब्राउन राइस को प्राथमिकता देना हेल्थ ट्रेंड नहीं है, बल्कि ये एक तरह से अपनी जड़ों में वापस लौटने जैसा है. 

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यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.

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